मेरठ में हरीश प्लाइवुड इंडस्ट्री के 5 ठिकानों पर आयकर विभाग ने की छापेमारी, चल रहा था टैक्स चोरी का खेल
(रणभेरी): मेरठ में आयकर विभाग की टीम ने हरीश प्लाइवुड के पांच ठिकानों पर मंगलवार को रात दस बजे तक 14 सदस्यीय टीम ने छापेमारी की। सुबह बुधवार को भी कार्रवाई जारी रही,वहीं आयकर विभाग की टीम ने हरीश प्लाइवुड इंडस्ट्री के मालिकों के जगन्नाथपुरी स्थित करीब दस करोड़ की कीमत के घर को सात कारों में पहुंची आयकर विभाग की टीम ने मंगलवार की सुबह ही कब्जे में ले लिया। आयकर विभाग की टीम ने अंदर जाते ही परिजनों के मोबाइल फोन ले लिए और सबका बाहर आना-जाना बंद कर दिया। रात दस बजे तक करीब 15 घंटे इनके घर और प्रतिष्ठान समेत पांच ठिकानों को खंगालने का काम चलता रहा। शुरुआती 12 घंटे की जांच में 93 लाख से अधिक कैश और लाखों रुपये के आभूषणों का ब्योरा लिया गया।
जगन्नाथपुरी आवास पर सात गाड़ियों में 14 जांच अधिकारियों ने तीन मंजिला मकान में जांच की। जांच के दौरान किसी को भी अंदर या बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। सभी जांच स्थलों पर पुलिस तैनात रही। प्लाइवुड और सनमाइका के बिजनेस में अंडर बिलिंग कर टैक्स चोरी का मामला आयकर विभाग द्वारा जांच में केंद्र बिंदु रहा। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार काउंटर और फैक्टरी सेल को छिपाया जा रहा है। बिना बिल के प्रतिदिन लाखों रुपये की कैश सेल की जा रही है।
ऐसे होती है करोड़ों की टैक्स चोरी
घर हो या दुकान का फर्नीचर बनाने में बोर्ड, प्लाई और माइका का ही प्रयोग किया जाता है। यह व्यापार पूरी तरह अंडर बिलिंग में ही होता है। टॉप तीन से चार ब्रांड को छोड़कर जगादरी और यमुनानगर से आने वाली प्लाइवुड 30 से 50 प्रतिशत बिलिंग पर ही आती है। ऐसे में 18 लाख की प्लाई और बोर्ड की गाड़ी की कीमत 7 से 9 लाख के बीच दिखाई जाती है। रिटेल काउंटर पर कैश सेल होने के कारण करोड़ों रुपये की प्रतिवर्ष टैक्स चोरी होती है।
शहर में 180 प्लाइवुड हार्डवेयर की दुकानें हैं। शहर में प्रतिमाह प्लाइवुड वीनियर का 10 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है। लकड़ी के मुकाबले फर्नीचर को बनाने में प्लाइवुड काफी सस्ती पड़ती है। वजन भी कम होता है ऐसे में इसकी डिमांड भी अधिक रहती है। प्लाइवुड, लेमिनेट और हार्डवेयर पर 18 प्रतिशत टैक्स है।एक माह में छोटा व्यापारी 10 टन की प्लाइवुड की एक गाड़ी तो बड़े व्यापारी एक माह में पांच से दस गाड़ी यमुना नगर से मंगवाते हैं। अंडर बिलिंग होने के कारण एक ही बार लाखों रुपये की टैक्स चोरी हो जाती है। एक 19 एमएम के आठ बाई चार के बोर्ड की कीमत 50 रुपये के रुपये हिसाब से 1600 बैठती हैं। इसमें 18 प्रतिशत के हिसाब से 288 रुपये अतिरिक्त टैक्स देना होता है। टैक्स बचाने के लिए व्यापारी अंडर बिलिंग पर बोर्ड मंगवाते हैं।
1600 रुपये के बोर्ड की कीमत 900 रुपये कागजों में दिखाई जाती है। बोर्ड की कीमत घटने पर टैक्स भी उसी बोर्ड पर 18 प्रतिशत के हिसाब से 162 रुपये रह जाता है। एक गाड़ी में कम से कम 400 से 500 प्लाई बोर्ड आते हैं। ऐसे में टैक्स चोरी भी बढ़ जाती है।