गोकुल बना तुलसी घाट, आज शाम होगी नाग नथैया
वाराणसी (रणभेरी): शिव की नगरी काशी के तुलसीघाट पर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को सैकड़ों साल पुरानी परंपरा ‘नाग नथैया लीला शनिवार की शाम को होगी। प्रातःकाल पांच बजे संकट मोचन मंदिर परिसर स्थित कदंब वन से डाल काटी गई। भक्त उसे अपने कंधों पर उठाकर संकट मोचन मंदिर से तुलसी घाट तक ले आए। यहां डाल का पूजन करने के बाद उसे नियत स्थान पर लगा दिया गया। आज शाम 4:45 पर नागनथैया की ऐतिहासिक लीला होगी।
गेंद निकालने के लिए कान्हा के कदम के पेड़ से छलांग लगाते ही हर तरफ वृंदावन बिहारी लाल और हर-हर महादेव का जयघोष गूंज उठा। कालिय दह की लीला के साक्षी बनने के लिए तुलसीघाट पर दोपहर बाद से ही लोगो की भीड़ जुटने लगी थी। पांच मिनट की इस अनूठी लीला के दर्शन के लिए अस्सी घाट से लेकर निषादराज घाट तक नौकाएं और बजड़े एक दम भरे रहे। इस लीला को देखने के लिए काफी संख्या में विदेशी पर्यटक भी मौजूद रहते है। इसमें भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव से लेकर उनके द्वारा किए गए पूतना वध, कंस वध, गोवर्धन पर्वत सहित कई लीलाओं का मंचन किया जाता है। एक माह पहले कृष्ण बलराम और राधिका चयन किया जाता है।
संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वंभरनाथ मिश्रा का कहना है कि तुलसीदास ने इस लीला में सभी धर्मों के भेदभाव को मिटा दिया है। सभी कलाकर अस्सी भदैनी के ही होते हैं। सबसे प्रमुख दीपावली के चार दिन बाद होने वाली नागनथैया अपने आप में अनोखी लीला है। बता दें कि काशी के चार लक्खा मेला प्रसिद्ध हैं। इसमें रथयात्रा का मेला, नाटी इमली का भरत मिलाप, चेतगंज की नक्कटैया और तुलसी घाट की नाग नथैया शामिल है। इसमें से तीन लक्खा मेला तो संपन्न हो गए हैं, जबकि चौथा मेला 29 अक्टूबर को होगा। एक लाख से अधिक भीड़ आने के चलते इन्हें लक्खा मेला कहा जाता है।