टेम्प्नेचर के टॉर्चर के बाद अब मौसम विभाग का हाई अलर्ट

टेम्प्नेचर के टॉर्चर के बाद अब मौसम विभाग का हाई अलर्ट
टेम्प्नेचर के टॉर्चर के बाद अब मौसम विभाग का हाई अलर्ट

वाराणसी (रणभेरी)। नौतपा को देखते हुए मौसम विभाग ने भी हाई एलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार 29 मई से 2 जून तक  सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक कोई भी व्यक्ति बाहर (खुले आसमान के नीचे) नही निकलेगा क्योंकि मौसम विभाग ने यह बताया है कि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस तक जायेगा,जिससे अगर किसी भी व्यक्ति को घुटन महसूस हो या अचानक तबियत खराब हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं रूम के अंदर दरवाजा खोल कर रखे ताकि विंटीलेशन ना रहे,मोबाइल का प्रयोग कम करे, मोबाइल फटने की संभावना जताई जा रही है,कृपया सावधान रहें और लोगो को सूचित करें,दही , मट्ठा, बेल का जूस आदि ठंडे पेय पदार्थ का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें। नागरिक सुरक्षा महानिदेशालय नागरिकों और निवासियों को निम्नलिखित के प्रति सचेत करता है। आने वाले दिनों में 47 से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच बढ़ते तापमान और क्यूम्यलस बादलों की उपस्थिति के कारण अधिकांश क्षेत्रों गर्मी का प्रकोप रहेगा।  मौसम वैज्ञानिकों ने बताया की खूब पानी और तरल पदार्थ पियें,सुनिश्चित करें कि गैस सिलेंडर को धूप में न रखें, सुनिश्चित करें कि बिजली मीटरों पर अधिक भार न डालें और एयर कंडीशनर का उपयोग केवल घर के व्यस्त क्षेत्रों में करें, विशेषकर अत्यधिक गर्मी के समय में। और दो तीन घंटे के बाद 30 मनिट्स का रेस्ट जरूर दे। बाहर 45-47 डिग्री घर पे एसी 24-25 डिग्री पर ही चेलाएँ, सेहत और तबियत ठीक रहेगी। सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आने से बचें, खासकर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच।
सड़कों पर पसरा सन्नाटा, गंगा में नहाने वालों की उमड़ी भीड़
जेठ के महीने में  चल रहे नौतपा के प्रकोप से काशी में गर्मी का लहर चल रहा है। नौतपा काशीवासियों को पूरी तरह से अपने आगोश में ले लिया है । प्रात: 7:00 बजे से ही भगवान भास्कर अपने तेज से लोगों को प्रभावित करने लगे हैं और जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ रहा है सूर्य का प्रकोप अपने चरम सीमा को पहुंच जा रहा है। सुबह के 10 बजे येसा लग रहा है जैसे की खड़ी  दोपहरी हो गई हो। सड़के पूरी तरह से बीरान लगने लग रही हैं ।  बहुत जरूरी काम होने पर ही लोग बाहर निकल रहे है।  सड़कों पर सियापा छाया हुआ है । खास करके हृदय रोग, सांस के मरीज और फेफड़ों से संबंधित मरीजों के लिए यह मौसम बहुत ही घातक है।