ठंड में धुंध ने बिगाड़ी शहर की आबोहवा
वाराणसी (रणभेरी सं.)। मौसम बदल चुका है। सर्दी का अहसास होने लगा है। हवा की रफ्तार में कमी आई है। इस कारण शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति भी बिगड लगी है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) मुश्किलें पैदा करने लगा है। एक हफ्ते से एक्यूआइ स्तर 130 से 140 के मध्य है, इसके कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने येलो अलर्ट जारी किया है। कहा है कि यह स्तर इंसान के फेफड़े व हृदय को नुकसान पहुंचा सकता है। सांस लेने में तकलीफ होगी। अस्थमा के रोगियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हवा में प्रदूषक तत्वों की वृद्धि हो चुकी है। दरअसल, यह मुश्किल दीपावली पर खूब पटाखे छोड़े जाने के बाद शुरू हुई है। वाराणसी के बहुत से ऐसे इलाके हैं जिसकी हवा दूषित हो गई है। अर्दली बाजार में एक्यूआइ 282, मलदहिया में एक्यूआइ सबसे अधिक 325, भेलूपुर एक्यूआइ 272, बीएचयू में एक्यूआइ 302 और नगर निगम में एक्यूआइ 262 दर्ज किया गया है। ये आंकड़े वातावरण में मौजूद हवाओं की कमजोर गुणवत्ता की ओर इशारा करते हैं। हवा की गुणवत्ता का स्तर बनारस के कई इलाकों में खराब है।
स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हवा
बीएचयू के टीबी और श्वसन रोग विभाग के पूर्व प्रोफेसर डा। गोविंद नारायण मिश्रा ने बताया कि इससे आंख में जलन, नाक के अंदर ब्लाकेज, गले में खराश हो सकती है। इंसान को लगता है कि कुछ फंसा हुआ है। हरा-पीला रंग का पदार्थ गले से निकलता है। सांस फूलने लगती है। सामान्य लोगों को भी समस्या होती है। रोगी अधिक परेशान हो सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी आगे बढ़ सकती है। मरीजों के लिए आक्सीजन और दवाओं की जरुरत बढ़ जाती है। धूम्रपान करने वालों को अधिक समस्या इस दौरान होती है।
दिल के मरीजों में सूजन का खतरा
हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा जितनी अधिक होगी, एक्यूआइ का स्तर उतना ज्यादा होगा। जितना ज्यादा एक्यूआइ, उतनी खतरनाक हवा। जहरीली हो रही हवा के कारण लोगों का सांस लेना मुश्किल होने लगा है। जो व्यक्ति पहले से बीमार हैं या किसी क्रानिक डिजीज से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह स्थिति और भी खतरनाक साबित होगी। दिल के मरीजों में सूजन बढऩे का खतरा रहता है। वायु प्रदूषण हवा में 2.5 पीएम और अन्य हानिकारक गैस व केमिकल की वजह से होता है।
इनके छोटे-छोटे कण आसानी से सांस के जरिए हमारे रक्त में प्रवेश कर शरीर के किसी भी हिस्से तक असर डाल सकते हैं। प्रदूषण की वजह से दिल को भी नुकसान हो सकता है। ये कण ब्लड वेसल्स को संकरा कर देते हैं, ब्लड सकुर्लेशन बढ़ाते हैं और दिल की मांसपेशियों को कमजोर बना सकते हैं।
आ रही कंपाने वाली ठंड
बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर मनोज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी में अब मौसम तेजी से बदल रहा है। रात के साथ दिन के समय के तापमान में भी थोड़ी गिरावट देखी जा रही है। उम्मीद है कि अभी 2 से 3 दिनों में तापमान थोड़ा और लुढ़केगा। उसके बाद मौसम में कोई खास बदलाव की उम्मीद नहीं है।
एक्यूआइ क्या है !
एक्यूआइ यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक ऐसा पैमाना है, जिससे पता चलता है कि हवा कितनी साफ या प्रदूषित है। यह अलग-अलग स्थानों के लिए पता लगाया जा सकता है। 0 से 500 तक के बीच इसका स्तर पता लगाया जाता है, जिसमें 0-50 अच्छी वायु गुणवत्ता, 51-100 संतोषजनक वायु गुणवत्ता, 101-200 मध्यम वायु गुणवत्ता, 201-300 खराब वायु गुणवत्ता, 301-400 बहुत खराब वायु गुणवत्ता और 401-500 गंभीर वायु गुणवत्ता माना गया है।
इस समय हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। सर्दी में समस्या बनी रहेगी, इसलिए हर किसी को सेहत के प्रति फिक्रमंद रहना होगा। शहर में पहले के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन और सीएनजी गैस चालित वाहनों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। अधिकांश लोग साइकिल भी चला रहे हैं।-शशि विंदकर, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड