काव्य-रचना
आंसू
होते हैं ये जज्बात दिल के
भावनाओं के साथ मिल के
भरे हुए जाम से
ये छलक जाते हैं।
दिल की कश्मकश है ये
दबी हुई कोई नस है ये
जिंदगी का हर दर्द
बिन बोले कह सुनाते हैं।
जाने क्या ताकत है इनमें
जो पत्थर दिल को भी
मोम सा पिघलाते हैं,
एक बार ग़र बह जाये तो
अपनी हर बात
हर जिद मनवाते हैं।
नाम तो कुछ और है इनका
काम तो कुछ और है इनका
पर ना जाने क्यों
ये आंसू कहलाते हैं।
अंकिता शर्मा