आज से क्यूआर-कोड लगाकर चलेंगे ई-रिक्शा

आज से क्यूआर-कोड लगाकर चलेंगे ई-रिक्शा

वाराणसी (रणभेरी सं.)। वाराणसी में आज से ई-रिक्शा के नई यातायात प्रणाली लागू की गई। शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा निर्धारित रूट पर क्युआर-कोड लगाकर चलेंगे। सबसे पहले इसका आगाज काशी जोन के 11 थाना क्षेत्रों में किया जाएगा और जिसके लिए चार रूट तक किए गए हैं। काशी जोन के आदमपुर, जैतपुरा, कोतवाली, चेतगंज, सिगरा, चौक, दशाश्वमेध, लक्सा, भेलूपुर, लंका और चितईपुर थाना क्षेत्र में 10 सितंबर से ई-रिक्शा नई व्यवस्था के तहत चलेंगे। इन 11 थाना क्षेत्रों में लाल, पीले, हरे और नीले रंग के क्यूआर कोड तैयार किए गए हैं। आज सुबह से ई-रिक्शा के लिए कलर आधारित क्यूआर कोड का वितरण भी शुरू हो गया। रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस और फिटनेस पेपर लेकर ई-रिक्शा चालकों को ट्रैफिक पुलिस लाइन पहुंच रहे हैं, यहां से उन्हें टोकन मिलेगा और उसी के आधार पर क्यूआर कोड दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर वाहन चालकों का विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है।

एडीसीपी ट्रैफिक राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि काशी जोन के 11 थाना क्षेत्रों आदमपुर, जैतपुरा, कोतवाली, चेतगंज, सिगरा, चौक, दशाश्वमेध, लक्सा, भेलूपुर, लंका और चितईपुर के लिए नई व्यवस्था बनाई गई है। सभी ई-रिक्शा चालक को क्यूआर कोड उनकी सुविधा को देखते हुए दिया जाएगा। तब तक उनका ई-रिक्शा जिस थाना क्षेत्र के पते पर पंजीकृत हैं, वहां चला सकेंगे। शर्त यही है कि ई-रिक्शा का फिटनेस पेपर होना चाहिए।

एडीसीपी ट्रैफिक ने कहा कि नई व्यवस्था की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी। काशी की तरह ही गोमती और वरुणा जोन के ई-रिक्शा काशी जोन के 11 थाना क्षेत्रों में कतई नहीं आने दिया जाएगा, नियम तोड़ने पर यातायात के नियमों के तहत जुमार्ना लगेगा। और जो भी समस्या या शिकायत आएगी, उसे दूर किया जाएगा।

बता दें कि ट्रैफिक पुलिस लाइन स्थित सभागार में पिछले दिनों व्यापार मंडल के पदाधिकारियों, ई-रिक्शा और आॅटो यूनियन के पदाधिकारियों व चालकों के साथ पुलिस अफसरों ने बैठक की थी। जिसमें तय किया गया कि चार रूट आधारित व्यवस्था के लिए ट्रैफिक पुलिस लाइन में पंजीकरण शुरू होगा। 10 सितंबर से ही जिन ई-रिक्शा की फिटनेस सही नहीं मिलेगी, उनके खिलाफ ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई भी शुरू करेगी।

नई यातायात प्रणाली पर ई-रिक्शा चालकों का विरोध

बनारस यातायात प्रशासन की ओर से ई-रिक्शा संचालन को लेकर बनाई गई नई व्यवस्था को लेकर शहर में ई-रिक्शा चालक हड़ताल पर हैं। हड़ताल के नाम पर चालकों ने दबंगई भी नजर आई। शहर में चल रहे आॅटो व ई-रिक्शा को रोककर उनसे विवाद करते दिखे। लाठी-डंडे से आॅटो को क्षतिग्रस्त भी किया। ई-रिक्शा चालक नई यातायात प्रणाली के विरोध में हैं और एरिया बंटवारे को लेकर ई-रिक्शा चालक यूनियन ने टोटो चालकों की महापंचायत बुलाई है। बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक स्थिति, पुलिस उत्पीड़न, खराब सडक, स्टैंड, पार्किंग, बैंक लोन, महंगाई, मामलों पर चर्चा की। ई-रिक्शा चालकों ने हड़ताल जारी रखने की चेतावनी दी है।

ई रिक्शा की हड़ताल से आटो चालकों की चांदी 

बनारस शहर में सोमवार को सड़कों का नजारा बदला-बदला दिखा। 
लगभग हर मार्ग पर ई-रिक्शा की संख्या बहुत कम दिखी। अधिकतर मार्गों पर ई-रिक्शा की जगह आॅटो ही दिख रहे थे। ई-बसें भी खूब दौड़ रही थीं। जो भी ई-रिक्शा चालक सवारी लेकर जा रहे थे तो उन्हें हड़ताल के समर्थन में रास्ते में ही रोका जा रहा था। हालांकि मंडुवाडीह, लंका, भेलूपुर समेत कई थाना क्षेत्रों में जिस भी रोड पर पुलिस फोर्स गश्त करते दिखी, हड़ताल के समर्थन में ई-रिक्शा को नहीं रोका गया। हड़ताल के समर्थन में ई-रिक्शा चालकों के कुछ समूह ने सोमवार को शहर की सड़कों पर सवारी ढोने की बजाय अपने वाहनों को पूरे दिन खड़ा रखा। हड़ताल में ई-रिक्शा चालकों के कई समूह के शामिल न होने और लगभग सभी मार्गों पर आॅटो के चलने से हड़ताल का खास असर नहीं रहा। ई-बसों से भी सवारियों को काफी सहूलियत हुई। इससे नाराज हड़ताल करने वाले ई-रिक्शा चालक ने उन्हें रोकने का प्रयास किया।  यूनियन से जुड़े सदस्यों ने कई ई-रिक्शा की हवा निकाल दी तो लाठी-डंडों से लैस कईयों ने ई-रिक्शा को चलने से रोका।  कई वाहनों से सवारियों को नीचे भी उतार दिया। इसे लेकर कई कुछ जगहों पर नोकझोंक  भी हुई।

साहब! हमारी भी तो सुनिए... 

ई-रिक्शा चालक एकजुट हो बुलंद की आवाज, रूटवार संचालन का कर रहे विरोध 

ई-रिक्शा पर बारकोड लगाने के विरोध में लगातार पांचवें दिन सोमवार को शास्त्री घाट पर धरना जारी रहा। वहीं दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन ई-रिक्शा चालक शास्त्री घाट पर जुटे और आज बुधवार को संसदीय जनसंपर्क कार्यालय में चाबी सौंपने पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया। अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन के अध्यक्ष प्रवीण काशी ने कहा कि अगर क्यूआर कोड लगवा दिया तो गलियों और मोहल्लों में गाड़ी चलानी पड़ेगी। जिससे कमाई पर असर पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया गया कि यातायात पुलिस और होमगार्ड जबरन ई-रिक्शा चालकों को बारकोड लगवाने के लिए ले जा रहे हैं। जो गैरकानूनी है। प्रवीण काशी ने कहा की चालक पहले ही कमाई कम होने की वजह से अपने ई रिक्शा के बैंक की किस्त जमा कर पाने में असमर्थ है। बढ़ती महंगाई मे घर का खर्च नहीं उठा पा रहा। यदि उसका रुट और एरिया छोटा कर दिया गया तो ऐसी स्थिति में उसकी स्थिति और दयनीय हो जाएगी। प्रवीण काशी ने कहा की ई रिक्शा की लांचिंग देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2016 मे बनारस को रोजगार युक्त और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शुरू की गई थी। परिणाम स्वरूप आज 25 हजार के करीब ई रिक्शा चला कर लोग अपने घर का भरणपोषण कर रहे। यातायात अधिकारियों के द्वारा बिना किसी शोध के कोई नये नियम का निर्माण प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू किए गए आत्मनिर्भर मिशन को फेल कर देगा। सरकारी नौकरी की कमी और प्राइवेट नौकरी मे वेतन की कमी अधिकांश लोगों को ई रिक्शा की तरफ आकर्षित कर रही। जाम देश के सभी महानगरों मे एक सामान्य बात है। दिल्ली, बम्बई, बैंगलोर और चेन्नई हर शहर में जाम लगते हैं, वहां जाम का कारण ई-रिक्शा नहीं बल्कि लग्जरी कारें हैं। बनारस में जाम के कई सारे कारण हैं जिसमें सबसे प्रमुख कारण बेरोजगारी है जिसकी वजह से 90 फीसद लोगों ने 75 फीसद ई रिक्शा लोन पर लेकर अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे। इसके अलावा ई रिक्शा चालकों मे परिचालन प्रशिक्षण का अभाव है जिसकी वजह से चालक यातायात नियमों का बखूबी से पालन नहीं कर पाते। इसके लिए यातायात विभाग की तरफ से कोई विशेष योजना और कार्यक्रम नहीं है।

बर्बादी के मुहाने पर आ जायेंगे ई-रिक्शा चालक

प्रवीण काशी ने कहा की ई रिक्शा रोजगार का एक ऐसा माध्यम है जिसमें बहुत लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है। यदि इसको समर्थन और सहयोग के स्थान पर कोई नकारात्मक कदम उठाया गया तो इनकी हालत महाराष्ट्र के किसानों की तरह हो जाएगी जहां बहुत बडी संख्या में कर्ज लिए हुए लोगों ने आत्महत्या की। इनकी बैंक की सिबिल खराब हो जाएगी। लोन नहीं भरने एवं परिवार के भरणपोषण का दबाव इन लोगों को अपराध, नशा और आत्महत्या करने के लिए विवश करेगा। इन चालकों को होमगार्ड, पुलिस और नगर निगम सभी से उत्पीड़न के अलावा कुछ नहीं मिलता।

कागजों पर पार्किंग स्टैंड

नगर निगम की जिम्मेदारी स्टैंड और पार्किंग देने की है लेकिन सभी पार्किंग और स्टैंड सिर्फ कागज पर हैं जबकि ई रिक्शा चालकों से स्टैंड और पार्किंग के नाम पर करोड़ों रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष वसूला जा रहा है। जाम के समाधान के लिए अखिल भारतीय ई रिक्शा चालक यूनियन अपना समाधान माडल प्रशासन से साझा करना चाहता है लेकिन प्रशासन ने अभी तक यूनियन की नहीं सुनी। यूनियन का कहना है कि यदि ई रिक्शा को रोक देंगे तो भी जाम समाप्त नहीं होगा क्योंकि इसके पीछे बडा कारण बनारस की सडकें हैं जो बहुत कम चौडी हैं। बनारस गलियों का शहर है। यदि ई रिक्शा को मुख्य सडक से हटाया गया तो गलियों में रहने वाले लोगों का जीवन जाम से दूभर हो जाएगा। ज्यादातर बाजार, स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षण संस्थान और होटल काशी जोन मे है। तीर्थ यात्री और पर्यटकों का केंद्रीय स्थल सभी मंदिर एवं घाट भी वहीं है इसकी वजह से वहां जाम लगना स्वाभाविक है। इस दौरान जिलाध्यक्ष बबलू अग्रहरि, शशिकांत, सोनू गौतम, त्रिलोकी विश्वकर्मा, किशन, सुनील, राहुल, श्याम, रोमी पाठक, अमित, रामबाबू सेठ, विजय जायसवाल, करन कुमार आदि मौजूद रहे।