36वें वर्ष में प्रवेश कर रही है बाबा मच्छोदरानाथ की दुर्गापूजा

 36वें वर्ष में प्रवेश कर रही है बाबा मच्छोदरानाथ की दुर्गापूजा

पंडाल में इस बार ओडिशा का किचकेश्वरी काली मंदिर का है प्रतिरूप
षष्ठी तिथि पर प्राण प्रतिष्ठा के साथ प्रतिमा हुई प्रतिष्ठापित
1991 में हुई थी मच्छोदरी पार्क में दुर्गा पूजा की शुरुआत

राधेश्याम कमल

शारदीय नवरात्र में शक्ति आराधन के शास्त्रोक्त अनुष्ठानों व गीत-संगीत की विविध विधाओं से सजे रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बेजोड़ युगलबंदी का शाहकार है मच्छोदरानाथ दुर्गा पूजा समिति की ओर से मच्छोदरी उद्यान में आयोजित भव्य दुर्गाेत्सव। काशी में बीते 36 वर्षों से आयोजित हो रहा यह पर्वोंत्सव नगर के भव्यतम शारदीय उत्सवों में अपना अलग ही स्थान रखता है। वर्ष 1991 में एक उत्साही नौजवान राजेश यादव (अब दिवंगत) ने क्षेत्र के कर्मठ युवाओं के सहयोग से दुर्गोत्सव की रौनकों से अछूते रहे इस क्षेत्र में दुर्गा पूजा की शुरुआत की। अपने भव्य रूप स्वरूप के कारण यह पूजा पंडाल अपने स्थापना वर्ष से ही काशी के देवी उपासकों के लिए एक मनोरम तीर्थ के रूप में विख्यात हो गई। काशिकेयों के बीच इस महा उत्सव का कैसा क्रेज है यह देखना हो तो पांच दिनी दुर्गोत्सव के किसी भी दिन संध्या से दूसरे दिन भोरहरी तक किसी भी वक्त खड़े होकर इसका आकलन किया जा सकता है। जब लगता है कि काशी के हर श्रद्धालु के लिए तयशुदा मंजिल मच्छोदरी उद्यान में सजा समिति का पूजा मंडप ही है। 

वाराणसी (रणभेरी): बाबा मच्छोदरा नाथ दुर्गोत्सव समिति की दुर्गा पूजा इस साल 36वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। इस दुार्गपूजा क शुरुआत 1991 में मच्छोदरी पार्क में की गई थी। जिस समय यह प्रतिमा मच्छोदरी पार्क में स्थापित की गई थी उस समय पुलिस प्रशासन ने 5-6 दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना करने से रोक दिया था। पुलिस मच्छोदरी पार्क के मेन गेट पर ताला बंद करके दुर्गा प्रतिमा को उठा कर थाने ले गई थी। मच्छोदरी के अलावा कई अन्य पंडालों से भी दुर्गा प्रतिमाएं पुलिस उठा कर थाने ले गई थी। मच्छोदरी की दुर्गा प्रतिमा उठा कर ले जाने से क्षेत्रीय नागरिकों का मन आक्रोशित हो उठा। इससे गुस्साये लोगों ने मच्छोदरी पार्क तिराहे पर धरना देना शुरू कर दिया।  लोगों का हुजूम थाने जाकर प्रदर्शन करने लगा। उन दिनों बाबा मच्छोदरा दुर्गोत्सव समिति के अध्यक्ष स्व. राजेश यादव अपने साथ कई युवाओं की टोली के साथ इसका नेतृत्व कर रहे थे। क्षेत्रीय नागरिकों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए आखिरकार पुलिस को झुकना पड़ा। पुलिस दुर्गा प्रतिमा को समिति के पदाधिकारियों को सौंप दी। दरअसल उन दिनों पुलिस प्रशासन किसी नये पंडाल में दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने पर रोक लगा दिया था। जिसके चलते यह विवाद उत्पन्न हुआ। जिन अन्य पंडालों से प्रतिमाएं पुलिस उठा ले गई थी उन्हें फिर वापस करना पड़ा था। इस तरह से मच्छोदरी पार्क में 1991 में दुर्गापूजा की शुरुआत हुई थी। उन दिनों समिति में स्व. राजेश यादव, श्याम मोहन पाठक, शिवकुमार शुक्ल, राजेश केशरी, अरविंद अग्रवाल पप्पू समेत कई लोग शामिल थे। 

पूर्वांचल की नामी गिरामी है मच्छोदरी पार्क की दुर्गा पूजा

बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गोत्सव समिति मच्छोदरी पार्क के वर्तमान अध्यक्ष राजेश केशरी बताते हैं कि बाबा मच्छोदरानाथ का दुर्गाेत्सव समिति की यह पूजा पूर्वांचल की नामी गिरामी दुर्गापूजाओं में एक है। इस दुर्गा पूजा में क्षेत्र के व्यवसायियों एवं केराना व्यापारियों ने पूजा समिति को काफी सहयोग दिया। पहले पूजा करने के लिए समिति को 5,11,21, 101 रुपये ही चंदा मिला करता था। बाद में धीरे-धीरे चंदा बढ़ने लगा। अब महंगाई के दौर में चंदा देने से लोग कतरा रहे हैं।

70 फुट का ओडिशा का काली मंदिर का है प्रतिरूप

बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गोत्सव समिति के पंडाल में इस बार ओडिशा के किचकेश्वरी काली मंदिर का प्रतिरूप बनाया गया है। पंडाल की ऊंचाई 70 फुट है। इसको कोलकाता के 20 कारीगरों ने महीने भर की मेहनत के बाद अंतिम स्वरूप दिया है। यह पंडाल लोगों के बीच आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। 

7 फुट की हैं मां दुर्गा की प्रतिमा

बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गाेत्सव समिति के उपाध्यक्ष आशुतोष यादव बताते हैं कि इस बार पंडाल में 7 फुट की मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके साथ ही 4-4 फुट के गणेश-लक्ष्मी, सरस्वती-कार्तिकेय की प्रतिमाएं हैं। पंडाल में महादेव की प्रतिमा सजी है। महिषासुर युद्ध करते हुए नजर आयेगा। मां दुर्गा के साथ अन्य प्रतिमाओं को कोलकाता के शिल्पकार केना पाल ने अंतिम स्वरूप दिया है। 

अब तक बने प्रमुख पंडाल 

1-पशुपतिनाथ मंदिर (नेपाल), 2- चांदी की प्रतिमा (सन् 2000 से 2017 तक), 3- महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन (2024), 4- अक्षरधाम मंदिर (2019), 5- दक्षिणेश्वर काली मंदिर, 6- कर्नाटक विधान सभा, 7- सेंट फ्रांसिस चर्च, 8- गोेविंदादेवजी टेम्पल (2018), 9- काशी विश्वनाथ मंदिर (2023), 10- दुर्गाकुंड दुार्ग मंदिर (2016), 11-सोमनाथ मंदिर आदि रहा। 2007 में नेपाल का जब पशुपतिनाथ मंदिर बनाया गया था तो उस समय तकरीबन 500 टीन से इसे तैयार किया गया था। 

कौन-कौन हैं पदाधिकारी..

राजेश केशरी (अध्यक्ष), आशुतोष याद (उपाध्यक्ष),  अरविंद अग्रवाल पप्पू (कोषाध्यक्ष), सचिन यादव (महामंत्री) हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गोत्सव समिति के उपाध्यक्ष आशुतोष यादव बताते हैं कि मच्छोदरी पार्क में पूजा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी। इसमें 28 सितम्बर को सायं 7 बजे सुमन अग्रवाल की भजन संध्या, 29 की शाम 6 बजे से स्नेहा अवस्थी व अभिषेक गिरी का देवी जागरण, 30 की शाम 6 बजे से डांडिया व रात्रि 8 बजे से श्रद्धा पांडेय व वैष्णवी शर्मा की भजन संध्या, एक अक्टूबर को सायंकाल 5 बजे मैजिक शो एमके जादूगर तथा रात्रि 8 बजे से संजोली पांडेय व संजय तिवारी पंकज तिवारी का भजन, दो अक्टूबर की शाम 6 बजे से कवि सम्मेलन दमदार बनारसी व भजन संध्या रात्रि 10 बजे से राजेश श्रीवास्तव का। 30 सितम्बर मंगलवार को अष्टमी तिथि पर छप्पन भोग की झांकी सजेगी। 

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन 3 को

बाबा मच्छोदरानाथ दुर्गोत्सव समिति की दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन 3 अक्टूबर शुक्रवार को मच्छोदरी पार्क से शुरू होगा। जो विशेश्वरगंज मैदागिन होते हुए पुन: मच्छोदरी पार्क के कुंड में विसर्जित किया जायेगा। 4 अक्टूबर को शनिवार को अपराह्न एक बजे से भंडारा आयोजित है।