झुलसाती गर्मी में मासूमों को सजा, साहब ले रहे एसी का मजा !
*जिम्मेदारों की संवेदनहीनता का खामियाजा भुगत रहे बच्चे, बदन झुलसाने वाली गर्मी में भी खरी दोपहरी में हो रही स्कूलों की छुट्टी
*सुबह से दोपहर तक गर्मी का बोझ झेल रहे बच्चे, 42 डिग्री के बाद भी नहीं बदला कई निजी स्कूलों का समय
वाराणसी(रणभेरी) । आसमान से आग बरस रही है। इसके साथ चलने वाली हवा शरीर को झुलसा दे रही है, फिर भी मासूम बच्चे चिलचिलाती धूप में स्कूल जाने को मजबूर है। स्कूल का समय नहीं बदलने से बच्चे भीषण गर्मी में तिलमिला रहे है। एसी में बैठकर आराम फरमाने वाले साहब को झुलसते मासूम का चेहरा नहीं दिख रहा। जहां सुबह 10 के बाद से ही गर्मी की तपिश बेचैन करने वाली है ऐसे में स्कूल जाने वाले बच्चों के साथ ही उनके अभिभावक को भी इस कड़ी धूप में उन्हें लाने और ले जाने के लिए तपस्या करनी पड़ रही है। अभिभावक पीठ पर बच्चों का बैग और आगे बच्चे को लेकर उसे धूप से बचाने में अपनी शरीर झुलसा रहे हैं। कई निजी विद्यालयों में इस झुलसाने वाली गर्मी में बच्चों की छुट्टी खरी दोपहरी में हो रही। खरी दोपहरी में स्कूलों की छुट्टी 12:30 या एक बजे हो रही, जो किसी आफत से कम नहीं है। बुधवार को विद्यालयों में छुट्टी के समय की पड़ताल की गई तो जो तस्वीर सामने आई, उसे देखने के बाद बस यही कह सकते हैं कि बच्चे और अभिभावक पढ़ाई के लिए तपस्या कर रहे हैं, लेकिन ऐसी में बैठने वाले साहब को तपती गर्मी से मासूमों को हो रही फजीहत का एहसास नहीं हो रहा।
स्कूल वैन में भी पसीना बहाते है मासूम
दोपहर में जब छुट्टी होती है तो खड़ी दोपहरी में स्कूली बच्चों की हालत सबसे ज्यादा खराब रहती है। गर्म हवाओ के थपेड़े अब दिन निकलने के साथ ही शुरू हो जाते हैं। उधर स्कूल से जिस वैन में बच्चों को लाया जाता है वे भी बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं। इसमें पसीने में नहाए और प्यास से व्याकुल बच्चों को लगता है कि कब घर पहुंचे।
चिकित्सकों ने मौसम को बताया प्रतिकूल
डाक्टरों ने भी इस झुलसाने वाली गर्मी को छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के लिये प्रतिकूल बताया है। डॉ. प्रद्दुम्न राय ने बताया कि छोटे बच्चे जब क्लास रूम में होते हैं तो बाल सुलभ स्थितियों के कारण लगातार पानी नहीं पीते हैं। जिससे गर्मी में पानी की कमी हो सकती है। साथ ही अगर कूलर का इंतजाम नहीं होता है तो क्लास के पंखों की हवा भी संवेदनशील बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसकी वजह यह है कि गर्मी में वातावरण में आर्द्रता कम होने से हवा में नमी बिल्कुल कम हो जाती है जो संवेदनशील त्वचा को छुलसा देती है। इससे त्वचा में दाने भी आने लगते हैं। वहीं डिहाइड्रेशन की भी समस्या हो सकती है। अभिभावक को चाहिए कि बच्चों को बोत्तल में पानी के साथ ग्लूकोस या शिकंजी मिलाकर दें और बताए कि समय समय पर पीते रहे ताकि शरीर में पानी की मात्रा कम न हो। तपती गर्मी में स्कूल प्रबंधक को भी बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को धूप में खेलने से रोकना चाहिए।
छुट्टी के समय ऐसा होता नजारा
तापमान में वृद्ध जारी है, लगातार पारा चढ़ रहा है। मंगलवार को दोपहर में पारा 42 डिग्री के पार रहा। गर्मी से तो हर कोई बेहाल है, लेकिन स्कूली बच्चे और उनके अभिभावक इसकी मार से अधिक परेशान हैं। सुबह तो ठीक है, लेकिन दोपहर में हर दिन बच्चों को ले जाने वाले अभिभावक तप रहे हैं। बुधवार को दोपहर के 12.30 बजे थे। निजी विद्यालय की छुट्टी हुई थी। बच्चे बाहर निकल रहे थे। इसी बीच शहर में ही रहने वाले एक अभिभावक अपने करीब 7-8 साल के बच्चे को लेकर आगे बढ़े। धूप से वह कितना परेशान थे, यह उनके चेहरे पर साफ दिखाई पड़ रहा था। बच्चे का बैग पीठ पर और उसके सिर पर तौलिया जिससे धूप न लगने पाए। लेकिन खुद का चेहरा लू से लाल हो चुका था।
बोले अभिभावक, स्कूलों में नहीं हैं कोई खास इंतजाम
आज दो मई है लेकिन अप्रैल माह से ही गर्मी का कहर जारी है। एक अभिभावक ने बताया कि इस बार अप्रैल महीने में ही जून जैसी गर्मी पड़ रही है। उनके बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ रहे हैं। सीबीएसई पाठ्यक्रम वाले कई स्कूल में दोपहर के 1 तो कई में शाम के चार बजे तक छोटे बच्चों की क्लास लग रही है। लेकिन क्लास रूम में गर्मी से बचने के कोई खास इंतजाम नहीं है। सिर्फ पंखे लगे हैं वे भी गरम हवा छोड़ते हैं। ऐसे में छोटे बच्चे जब स्कूल से लौटते हैं तो उनकी हालत खराब रहती है। जिला प्रशासन को चाहिए कि बढ़े तापमान को देखते हुए विद्यालयों को एक शिफ्ट में करें और विद्यालय की टाइमिंग सुबह से 11 बजे तक की जाए।