पैसों की लालच में बनारसी साड़ी की साख पर लगा रहे बट्टा

वाराणसी (रणभेरी सं.)। बॉलीवुड से लेकर कॉरपोरेट जगत में बनारसी साड़ी की साख है। इसकी पूरी दुनिया दीवानी है। यही वजह है कि जो भी काशी आता है। बनारसी साड़ी को खरीदने की चाह रखता है, लेकिन अटूट भक्ति व श्रद्धा के साथ काशी आने वाले श्रद्धालुओं के साथ खुलेआम धोखा हो रहा है। बनारसी साड़ी से ही काशी की पहचान पूरी दुनिया में है, लेकिन चंद लोग पैसे कमाने के लिए बनारसी साड़ी की साख पर बट्टा लगा रहे हैैं। असली बनारसी साड़ी के नाम पर उन्हें नकली साड़ी थमा दे रहे हैं। जबसे श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण हुआ है और बनारस आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है, तभी से डुप्लीकेसी का कारोबार तेज गति से भाग रहा है। फुटपाथ पर नकली साड़ी तो सिर्फ एक बानगी है। यहां के मोहल्लों, गलियों में जिस रफ्तार से साड़ी की दुकानें खुल रही हैं, उसी रफ्तार से नकली साड़ी का कारोबार दो अरब से पार पहुंच गया है। जंगमबाड़ी मठ से चंद कदम दूर फुटपाथ पर साड़ी की ढेर लगी थी। दो-तीन की संख्या में युवक उस रोड से गुजरने वाले लोगों से बनारसी साड़ी बोलकर उसे बेच रहे थे। उनके टारगेट पर सिर्फ महाकुंभ स्नान के बाद बनारस आए श्रद्धालु ही थे। साड़ी कीमत 200 रुपए से शुरू होकर पांच सौ रुपए तक थी। जंगमबाड़ी से आगे बढ़ते ही मदनपुरा इलाके में फुटपाथ पर साड़ी की दुकान सजी थी। यहां भी दो की संख्या में मौजूद युवक अपनी साड़ी को बनारसी कह कर बेच रहे थे। इनके टारगेट पर श्रद्धालु ही थे। वैसे ही श्रद्धालुओं की भीड़ वहां से गुजर रही थी कि ये जोर-जोर से बनारसी साड़ी मात्र 400 रुपए में कहकर बेच रहे थे।
परंपरा के अनुसार प्रयागराज में हर 12 साल पर महाकुंभ लगता है। श्री काशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद यह पहला महाकुंभ है, जहां स्नान के बाद श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन और गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु काशी भी आ रहे हैं। 13 जनवरी से अब बनारस में एक करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं और आने का सिलसिला लगातार जारी है। बाबा का दर्शन-पूजन करने के बाद श्रद्धालु बनारसी साड़ी भी खरीदते हैं। पहले कमाने के चक्कर में कई लोग नकली साड़ी फुटपाथ पर आकर बेचने लगे हैं।
फुटपाथ पर सौ, शोरूम में हजार
फुटपाथ पर नकली बनारसी साड़ी 200 से पांच रुपए में मिल रही है। शुुरुआत एक हजार से होती है, लेकिन मोल-भाव में पांच सौ रुपए तक पहुंच जाती है। हालांकि साड़ी की प्रतिष्ठानों पर यही साड़ी दो से पांच हजार में बेची जाती है। यह सिलसिला करीब शहर के सभी साड़ी के दुकानों में देखने को मिलता है।
साड़ी पॉलिएस्टर की, बताते रेशम की
पॉलिस्टर और सिंथेटिक्स धागे से तैयार की गई साड़ी को दुकानदार प्योर रेशम की बताकर खुलेआम श्रद्धालुओं के साथ चीटिंग करते हैं। शहर के सभी दुकानों में लगभग यही खेल होता है। असली रेशम के धागों से तैयार बनारसी साड़ी की कीमत कम से कम दस हजार है। श्रद्धालुओं को बनारस की असली साड़ी बताकर नकली साड़ी तो देते ही हैं।
हर माह दो अरब का कारोबार
मार्केट से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि नकली साड़ी का कारोबार करीब दो अरब पहुंच चुका है। पिछले 15 दिन में 90 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी आ चुके हैं। एक अनुमान के तहत औसतन हर महीने करीब दस लाख श्रद्धालु बनारस आते हैं। इसके चलते साड़ी की भी डिमांड दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। तीन साल पहले जहां 50 से 60 करोड़ का कारोबार होता था, जोकि अब बढ़कर दो अरब के पास पहुंच चुका है।