काशी विद्यापीठ का 43वां दीक्षांत समारोह, 57 मेधावियों को मिला गोल्ड और 16 को पीएचडी की उपाधि
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 43वें दीक्षांत समारोह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। दीक्षांत समारोह में 57 मेधावियों को गोल्ड मेडल और 16 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई। वहीं, पीजी के 15 हजार 189 और यूजी के 58 हजार 370 छात्रों को उपाधियां प्रदान की गई। इसके साथ ही, प्रतिष्ठित डिलीट उपाधि राज्यपाल के हाथों सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री बिमला पोद्दार को प्रदान की गई। एक और डिलीट उपाधि प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्म विभूषण छन्नू लाल मिश्र को दी जानी थी, मगर वह विश्वविद्यालय नहीं पहुंचे।
राज्यपाल का स्वागत पारंपरिक परिधान में कुलपति प्रो. आनंद त्यागी समेत सभी विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने किया। कुलाधिपति होने के नाते राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह के आधिकारिक कार्यक्रम के शुरूआत की घोषणा की, इसके साथ ही कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत के मंच से जिम्मेदार अधिकारियों की क्लास लगा दी। कुलाधिपति ने कहा कि हम तो नैक में भी ए प्लस नहीं आते हैं यह स्थिति है हमारी। चिंता की बात है कि इसके लिए हम प्रयास ही नहीं करते हैं और जब प्रयास ही नहीं होगा तो कैसे आगे बढ़ोगे। साथ उन्होंने कहा कि राज्यपाल राजभवन में बुलाकर हमें मार्गदर्शन करना पड़ता है कि ऐसा करो वैसा। यह काम हमारा है। यह जज्बा होना चाहिए अंदर से कि मेरा विश्वविद्यालय देश में सर्वश्रेष्ठ बने। यह जज्बा नहीं होगा तब तक श्रेष्ठ विश्वविद्यालय नहीं बनेगा। यह संकल्प करने की आवश्यकता है सभी को। मेधावियों को चारित्रिक विकास की सलाह देते हुए कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षा का लक्ष्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं है। उत्तम चरित्र आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। असली शिक्षा वही है जो आपके चरित्र का निर्माण करें।
वही विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश देते हुए कहा कि होनहार विद्यार्थियों के लिए अलग से समय दें। विद्यार्थियों के साथ समय निकालकर कुलसचिव व अध्यापक बैठें और उनकी समस्याओं से अवगत हों। शिक्षा एक ऐसा आधार है जिस पर राष्ट्र की प्रगति निर्भर करती है। उच्च शिक्षा समाज में परिवर्तन लाने का सबसे प्रमुख घटक रही है। दो दशक में युवाओं के लिए कई नए विश्वविद्यालय खुले हैं, लेकिन चिंता की बात है कि शिक्षण और शोध की गुणवत्ता में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है जो भारत को विश्व के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय की श्रेणी में पहुंचाए। हम तो नैक में भी खराब प्रदर्शन करते हैं। शिक्षण, संकाय और क्षमता निर्माण की गुणवत्ता को बढ़ाना होगा।
राज्यपाल ने छात्राओं से पूछा, कितने लोगों ने काशी विश्वनाथ के किये दर्शन --
आनंदी बेन पटेल ने हॉल में बैठी छात्राओं से पूछा कि यहां पर कितने लोगों ने लोकार्पण के बाद बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन किए। इस जवाब में हॉल में केवल 10-15 हाथ ही उठे। यह देख राज्यपाल हतप्रभ होकर बोलीं कि जब विद्यार्थियों का यह हाल है तो शिक्षकों से फिर नहीं पूछूंगी। एक बार आपको बाबा के दर्शन करने चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लोगों से अपील करती हूं कि इन्हें धाम को दिखाया जाए।आनंदी बेन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई इंजीनियर या आर्किटेक्ट नहीं हैं, मगर उन्होंने जिस तरह से मंदिर के कॉरिडोर का अक्स सबसे पहले कागज पर खींचा था वह शानदार था।