पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू हुई माह पर्यंत माघी डुबकी के विधान, वाराणसी में गंगा घाटों पर पहुंचे श्रद्धालु
वाराणसी (रणभेरी): पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन स्नान, दान और जप का काफी महत्व होता है। इस साल पौष पूर्णिमा आज 6 जनवरी 2023, शुक्रवार को है। हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का काफी ज्यादा महत्व होता है। माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वही से गंगा में पुण्य की डुबकी के साथ माघ पर्यंत स्नान-दान, जप, व्रत, नियम, संयमादि का आरंभ हो गया। ये विधान माघ पूर्णिमा यानी पांच फरवरी तक चलेंगे। माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, नर्मदा, यमुना में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
इस विशेष स्नान अनुष्ठान के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचे। स्नान-दान के साथ ही यहां से ही प्रयागराज समेत तीर्थों का ध्यान किया। कड़ाके की ठंड के कारण स्नानार्थियों की संख्या भले कम रही हो लेकिन दशाश्वमेध, पंचगंगा, अस्सी समेत घाटों पर दृश्य विभोर करने वाला रहा। मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान, पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। माघ का स्नान पौष शुक्ल पूर्णिमा छह जनवरी प्रारंभ होकर माघ शुक्ल पूर्णिमा पांच फरवरी को पूर्ण होगा। माघ का पूरा माह पवित्र नदियों में स्नान, दान, पुण्य के लिए शुभ होता है। शास्त्रों में तीन माह पर्यंत नित्य स्नान दान का विधान है। इसमें माघ, कार्तिक और वैशाख शामिल हैं। अन्य दोनों स्नान की तरह माघ स्नान को भी आयुर्वेदिक दृष्टि से ऋतु अनुसार शारीरिक अनुकूलन का अनुष्ठान माना जाता है। इन तीनों माह में सूर्योदय के समय गंगा, प्रयागराज संगम समेत नदी-तीर्थ में स्नान की मान्यता है। हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यता के मुताबिक, पौष सूर्य देव का माह कहलाता है। कहा जाता है कि इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। पौष पूर्णिमा के दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व होता है. इस दिन पूजा, जप, तप और दान से न केवल चंद्र देव, बल्कि भगवान श्रीहरि की भी कृपा मिलती है. पूर्णिमा और अमावस्या को पूजा और दान करने से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं।