ठगी का नया किस्सा, कई हो गए इसका हिस्सा!

ठगी का नया किस्सा, कई हो गए इसका हिस्सा!

वाराणसी (रणभेरी)। साइबर क्रिमिनल्स लोगों को ठगने के लिए रोज नए-नए तरीके ढूंढ़ रहे हैं। तेजी से बढ़ रहे डिजिटल दुनिया में साइबर अपराधियों ने डिजिटल हाउस अरेस्ट नाम का नया टर्म इजाद किया है। यह बिलकुल ही नया तरीका है, जिसमें साइबर क्रिमिनल्स पुलिस, सीबीआई या फिर कस्टम अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और घर पर ही बंधक बनाकर रखते हैं। ठगी का यह नया खेल यहीं से शुरू होता है और फिर आपके बैंक अकाउंट को खाली किया जाता है। घर पर बंधक बनाकर रखने वाले इस ठगी के हाल में कई मामले सामने आए हैं आरबीआई की रिपोर्ट की मानें तो बीते साल 302.5 बिलियन यानी 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक फ्रॉड भारत में रिकॉर्ड किए गए हैं। पिछले एक दशक की बात करें तो 1 जून 2014 से लेकर 31 मार्च 2023 तक भारतीय बैंकों में 65,017 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं, जिसकी वजह से 4.69 लाख करोड़ रुपये की ठगी की गई है। साइबर क्रिमिनल्स यूपीआई स्कैम, क्रेडिट कार्ड स्कैम, ओटीपी स्कैम, नौकरी के नाम पर स्कैम, डिलीवरी स्कैम आदि के जरिए लोगों को चूना लगा रहे हैं। इन सब के अलावा डिजिटल हाउस अरेस्ट नाम का नया तरीका अब साइबर अपराधियों के लिए हथियार बन रहा है।
क्या है डिजिटल हाउस अरेस्ट ?
साइबर अपराधियों का यह नया तरीका पीड़ित को घर में ही बंधक बनाने और उनसे ठगी करने के लिए अपनाया जाता है। इस फ्राड में आपको एक कम्प्यूटर जनरेटेड वायस काल आती है या फिर नार्मल काल आती है और बताया जाता है जो आपका पार्सल जा रहा था कैंसिल हो गया है. अधिक जानकारी के लिये के लिये हमारे कस्टमर केयर अधिकारी से बात कीजिये। यहा पर जैसे ही काल कनेक्ट की जाती है उनके द्वारा बताया है जाता है कि आपके सामान में गैरकानूनी सामान था या फिर कोई सामान ले के जा रहा था जिसमें आपके नाम का आधार और सिम कार्ड लगा है अगर आपको लगता है कि आपके आधार या सिम कार्ड का दुरूपयोग हुआ है। तो आपकी तुरन्त एफआईआर कराइये नहीं तो आपको जेल भेज दिया जायेगा। फिर वहां से अपना एविडेंस देते रहिएगा तो पीड़ित को लगता है कि यही पर हम अपनी एफआईआर दर्ज करा दें, तो सामने वाला कस्टमर केयर अधिकारी बताता है कि ये हाई स्क्योरिटी का मामला है सारी बाते गोपनीय रखियेगा। किसी से अभी शेयर नही किजिएगा और आपको विडियो कालिंग एप स्काइप डाउनलोड करा दिया जाता है। सामने फर्जी पुलिस वाले वर्दी में बैठे होते है और वो आपका एफआई आर लिखना चालू करते है। जैसे अपनी घटना बताते है कि आधार या सिम कार्ड गलत यूज हुआ है और अपना नाम पता बताते है तभी फर्जी पुलिस के तरफ से बैकग्राउंड से आवाज आने लगती है कि इसका नाम मनी लांड्रिंग में स्मलिंग भी नाम आया है और फर्जी पुलिस वाला कहता है कि आपको लाइन पर बने रहना होगा क्योकि आपका नाम और भी हमारे केस आया है। जब तक जांच पुरी नहीं होती आप कैमरे के सामने बने रहेंगे। मनी लॉन्ड्रिंग वरिफाई करने के लिये आप को अपने खाते की डिटेल और बैंक बैलेंस दिखाना होगा अब जैसे ही पीड़ित दिखाता है कि खाते में इतना बैंलेंस है तो कहते है ये पैसे आपको हमारे सुरक्षित आरबीआई के खाते में ट्रांसफर करना होगा। पैसे वरिफाई कर ये पैसे आपको रिटर्न कर दिये जाएंगे। पीड़ित डर कर पैसे भेज देता है जो आरबीआई का ना होकर साइबर अपराधी का खाता होता है फिर कहा जाता है कि हमारे आरबीआई के डिटेल में शो हो रहा है कि आपका और भी खाता है, ट्रेडिंग अंकाउंट भी है। जल्दी से जल्दी ये पैसे आप आरबीआई के वैलेट में भेजिये और फिर ऐसे ही बातो से डराकर लाखो करोड़ो रुपए ले लेते है। पुरे पैसे जाने के बाद एहसास होता है कि आपके साथ साइबर ठगी हुयी है। 
डरे नहीं बल्कि बरते सावधानियां
अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआइ अधिकारी बनकर डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचित करना चाहिए। तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर इसकी शिकायत करानी चाहिए, इस बात से नहीं डरना चाहिए कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी।  सामान्य तौर पर पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी आपको कॉल करके धमकी नहीं देगी इसके लिए कानूनी प्रक्रिया होती है और उसी के तहत उसे पूरा किया जाता है। जिसमें आपका लोकल पुलिस स्टेशन के अधिकारी शामिल होते है और आपके घर पर पुलिस भौतिक रूप से जरूर आती है,। अगर आपको कोई डराने या धमकाने का ऐसा कॉल आता है तो तुरंत आप उसकी सूचना पुलिस को दे ।
इस तरह लोगों को फंसाते हैं स्कैमर्स
इस तरह के कई मामले हाल ही में सामने आए हैं। ताजा मामला वाराणसी के सुसवाही (चितईपुर) निवासी  राम नरेश सिंह के साथ का है। उनको 9 मई की समय सुबह 8.45 पर फेडेक्स डिलीवरी कंपनी के नाम पर उन्हें वीडियो, व्हाट्सअप पर फोन आया। पहले राम नरेश के नाम पर पार्सल की बात कहकर कॉल को साइबर क्राइम मुंबई के नाम पर अन्य किसी को ट्रांसफर करके डरा कर बैंक वैरिफाई करने के नाम पर 10,47,808 रुपए का धोखाधड़ी कर लिया। जिसके बाद पीड़ित ने 13 मई को साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। साइबर क्राइम थाना  वाराणसी टीम ने राम नरेश सिंह के बैंक के नोडल अधिकारी का सहयोग लेते हुए व संबन्धित बैंक के नोडल अधिकारी जिस खाते में पैसा गया था उससे भी साइबर तकनीकी व ट्रिक का प्रयोग करते हुए लगातार प्रभावी पत्राचार व वातार्लाप करते हुए पूरी धनराशि वापस कराई और बेनिफिसियरी खाते को सीज कराया गया। यह कोई एक मामला नहीं है, ऐसे कई मामले हैं जिसमें लोग ठगो के जाल में फंसकर अपनी मेहनत की कमाई गवां बैठते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
इसके अलावा आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जैसे कि किसी के साथ अपनी निजी जानकारियां जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या फिर अन्य बैंकिंग डिटेल्स शेयर न करें। कोई भी बैंक या फिर सरकारी-गैरसरकारी संस्थान आपसे पिन, ओटीपी आदि की जानकारी नहीं पूछता है। ऐसे में आपको किसी के साथ अपनी निजी जानकारियां गलती से भी शेयर नहीं करनी चाहिए। साथ ही, अपने सोशल मीडिया और बैंक अकाउंट आदि के पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए, ताकि आप आनलाइन फ्रॉड से बच सकें।