रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में काशी उत्सव का रंगारंग आगाज

रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में काशी उत्सव का रंगारंग आगाज

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में आयोजित तीन दिवसीय काशी उत्सव का कार्यक्रम मंगलवार को  अब शाम 5:30 बजे पुस्तक प्रदर्शनी और चित्र वीथिका का उद्घाटन मीनाक्षी लेखी, संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री भारत सरकार द्वारा किया जाएगा।शाम 5:30 बजे पुस्तक प्रदर्शनी और चित्र वीथिका का उद्घाटन मीनाक्षी लेखी, संस्कृति एवं विदेश राज्य मंत्री भारत सरकार द्वारा किया गया। जबकि वैदिक मंगलाचरण संग दीप प्रज्वलन काशी की विभूतियों द्वारा किया गया।  साथ ही सम्‍मान समारोह का भी आयोजन किया गया है। स्वागत तथा विषय संकल्पना के साथ आयोजन की शुरुआत में नीलकंठ तिवारी, मीनाक्षी लेखी सहित कई गणमान्‍य अतिथि कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे। 

काशी उत्सव की पहली शाम की महफिल को कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविता और तरानों के दम पर लूट लिया। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में अब तक होने वाले कार्यक्रम में सबसे अधिक भीड़ मंगलवार को दिखी। यहां सभागार खचाखच भरा रहा। कुछ लोगों ने खड़े होकर कुमार विश्वास की कविता को पूरे उत्साह के साथ सुना। कुमार ने एक के बाद एक कविता और गीत की प्रस्तुति से काशी उत्सव के पहले दिन की शाम की महफिल लूट ली। कुमार विश्वास ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत 'ये गंगा का किनारा है' गीत के माध्यम से गंगा निर्मलीकरण की ओर सभी का ध्यान आकृष्ट करते हुए गंगा की महत्ता को भी दर्शाया। इसके बाद देश वंदना में जयशंकर प्रसाद के गीत 'अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहां पहुंचे अनजान क्षितिज को, मिलता एक सहारा'  की प्रस्तुति से जयशंकर प्रसाद को याद किया।

इसके बाद 'क्या कहती हो ठहरो नारी, संकल्प अश्रु जल से अपने, तू दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने से सपने' गीत को गाया तो लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया। इस गीत के माध्यम से कुमार विश्वास ने नारी सशक्तिकरण की ओर सभी का ध्यान खींचा। कार्यक्रम की कड़ी में ही भारत का पहला प्रयाण गीत 'बढ़े चलो-बढ़े चलो' की जैसे ही शुरुआत की तो भारत माता के जयकारे से रुदाक्ष कन्वेंशन सेंटर का सभागार गूंज उठा।बनारस में कुछ भी कहा जाए, यह कम होता है। यहां मंच पर आने के लिए मंत्री होना जरूरी नहीं है। कला की पहचान होती है। यह वही काशी है, जहां का मरना भी मंगल होता है। ऐसी काशी बहुत नसीब वालों को मिलती है। काशी में मराठी भाषियों का भी बहुत जुड़ाव रहा है। कवि सुब्रमहणयम भारती ने यहीं चार साल तक प्रवास किया है। 

केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने अपने भाषण की शुरूआत भोजपुरी से की। कहा कि  इहा सभागार में उपस्थित सब लोगन के गोड़ लागत बाड़ी।  प्रणाम बाड़ी। हर हर महादेव के जयघोष से भी गूंज उठा। अन्नपूर्णा देवी की भी जयकारे लगे।मीनाक्षी लेखी ने कहा कि काशी नगरी का जो उत्सव मनाया जा रहा है, वह अविस्मरणीय है। काशी का जीवन ऐसा है जिसने लोक संगीत, वेदों पर टिप्पणी, ज्ञान विज्ञान यंत्र पर सब पर काम हुआ है। काशी में तीन दिवसीय उत्सव का उद्देश्य लोगों को समृद्ध विरासत से अवगत कराना है। 

तीन दिवसीय उत्सव में दिखेगी काशी की विरासत

आयोजन के प्रथम सत्र में प्रो. मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी की पुस्तक काशी की प्राचीन देवमूर्तियां विमोचन हुआ। इस मौके पर काशी के हस्ताक्षर भारतेन्दु हरिश्चंद्र एवं जयशंकर प्रसाद का हिंदी साहित्य को अवदान, राष्ट्रवाद की संकल्पना विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।