नौतपा की बेरहम मार, अस्पतालों में कतार
वाराणसी (रणभेरी)। नौतपा में वाराणसी में आसमान से आग बरस रही है। लोग बीमार पड़ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टर्स ने अगर काम न हो तो घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं। वाराणसी के बीएचयू सहित कबीरचौरा अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में भी मरीजों के आने और भर्ती होने का सिलसिला जारी है। पुरुष चिकित्सालय में लगातार डिहाइड्रेशन और उलटी-दस्त के मरीज एडमिट हो रहे हैं। कबीरचौरा अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीजों की भीड़ लगी हुई है। ज्यादातर मरीज लूज मोशन और उलटी की शिकायत के साथ पहुंच रहे हैं। यहां बने वार्ड में आवश्यकतानुसार मरीजों को एडमिट किया जा रहा है। इमरजेंसी में ड्यूटी डॉक्टर वीके सिंह ने बताया कि मौसम को देखते हुए पेशेंट ज्यादा हैं। डिहाइड्रेशन के मरीज ज्यादा आ रहे हैं। डॉक्टर वीके सिंह ने बताया कि डिहाइड्रेशन ही इस वक्त की सबसे बड़ी समस्या है। ऐसे में सभी मरीजों को जिन्हें एडमिट होने की जरूरत नहीं है। उन्हें दिन भर पानी पीने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा इमरजेंसी वार्ड में ओआरएस काउंटर बनाए गए हैं। साथ ही इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक में एसी, कूलर और पंखा लगाया गया है। अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में अस्पताल प्रशासन ने एसी लगवाए हैं। मरीज मधु अग्रवाल ने बताया कि डिहाइड्रेशन की दिक्कत के बाद यहां एडमिट हुई थी। अटेंड करने की व्यवस्था काफी अच्छी है। एडमिट करने के बाद डॉक्टर हर समय नहीं हैं। गर्मी में यदि लाइट कटती है, तो तुरंत जनरेटर तो चला दिया जाता है। वहीं नंदलाल पांडेय ने बताया कि बस केवल छूमंतर वाला है।
पसीना निकलने पर लगातार पिये पानी
आखिर धूप में अचानक लू लगने से मौत कैसे होती है? यह बड़ा सवाल है। दिल्ली से आंध्रा प्रदेश तक लोगों की मौत हो रही है। हम सभी धूप में घूमते हैं, फिर कुछ लोगों की ही धूप में जाने के कारण अचानक मृत्यु क्यों हो जाती है डॉ मुकुंद ने बताया कि हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37 डिग्री डिग्री सेल्सियस होता है। इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते है। पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है। लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरुरी और आवश्यक है।
शरीर का तापमान 42 डिग्री होना खतरनाक
पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है। जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना टालता है। जब बाहर का टेम्प्रेचर 45 डिग्री के पार हो जाता है। और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप्प हो जाती है। तब शरीर का तापमान 37 डिग्री से ऊपर पहुंचने लगता है।शरीर का तापमान जब 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त मे उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है। स्नायु कड़क होने लगते है। इस दौरान सांस लेने के लिए जरुरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं। शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर लो हो जाता है, महत्वपूर्ण अंग (विशेषत: ब्रेन) तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है।
ऐसे बचे असामयिक मौत से, खाने में लें हरी सब्जियां
डॉ. मुकुंद ने बताया कि गर्मी में अचानक मौत जो हीट स्ट्रोक से होती है। जिसे हम सडेन डेथ का नाम देते हैं। उससे बचने के लिए हमें बस कुछ नियम को गर्मियों में फॉलो करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कभी भी शरीर में पानी की कमी न होने दें। किसी भी अवस्था में कम से कम तीन लीटर पानी अवश्य पीए। यदि किडनी की बिमारी है, तो कम से कम 8 लीटर पानी पीए।