काव्य रचना
आप मिली मुझे.....
आप मिली मुझे बनारस की शाम की तरह ..
थोड़ि ढलती हुई थोड़ि चाय के उफान की तरह..!
गलियों में चलना तुम शक्ति की तरह...
मैं देखूंगा तुम्हें शिव की तरह...!
घाट के उस छोर पे रहना तुम अहसास की तरह..
समेट लूँगा तुम्हें इस जहान की तरह ..!
तुम तैरना मेरे दिल में नाव की तरह..
मैं डूबता रहूँगा तुम में पानी की तरह..!
तुम समेटती हो शर्ट की बाँहो को किसी चांदनी की तरह..
मैं तुम्हें ढूँढता हूँ खुद में ख्वाब की तरह..!!
तुम्हारा बालों में यूँ हाथ घूमना ,दिल में मचलता है इश्क़ की तरह..
मेरे धड़कन बोलते है अब तेरी आवाज़ की तरह..!
यूँ ना सताया कर मुझे ,चाय के आखिरी घूँट की तरह..
मैं चाहता हूँ तुम्हें कुल्हड़ वाली चाय की तरह..!
मत घूम बनारस की गलियों में प्रेमिका की तरह ..
मुझे मिल तो बनारसी इश्क़ की कहानी की तरह..
कुमार मंगलम