BHU : शोध प्रवेश प्रतिक्रिया के विरोध में शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना, सपा का मिला समर्थन, बोला - मैं दलित हूं इसलिए नहीं मिल रहा न्याय

BHU : शोध प्रवेश प्रतिक्रिया के विरोध में शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना, सपा का मिला समर्थन, बोला - मैं दलित हूं इसलिए नहीं मिल रहा न्याय

वाराणसी (रणभेरी):  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश का विवाद समाप्त होने का नाम नही ले रहा है। मालवीय सेंटर फॉर पीस रिसर्च का एक छात्र कई कागजात और फ़ाइल लेकर कुलपति आवास आ गया और कुलपति जी, कुलपति जी का आवाज लगाने लगा। कुलपति आवास पर अचानक अफरातफरी का माहौल बन गया फिर छात्र वही धरने पर बैठ गया। छात्र का आरोप है कि वह दलित श्रेणी से आता है और पीएचडी प्रवेश में उसका सामान्य रैंक 2 है और विभाग में 3 सीटें खाली है जो इस प्रवेश प्रक्रिया के लिए विज्ञापित की गई थी। इतना ही नहीं छात्र धरना स्थल पर ही रोने लगा उसने कहा कि मेरा सपना था कि मैं बीएचयू में पीएचडी की पढ़ाई करूं।

मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी मेरे नंबर अच्छे आए रैंक अच्छे आए लेकिन मेरा एडमिशन नहीं किया गया। उसने बताया कि मेरे विभाग में भेदभाव किया गया है मैं दलित हूं इसलिए मेरा एडमिशन नहीं किया गया। धरना स्थल पर छात्र महामानव पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर, भीमराव अंबेडकर की तस्वीर, और राम दरबार की तस्वीर को लेकर बैठा है। पूरी रात छात्र ने धरना स्थल पर ही गुजरा। बीएचयू के छात्र शिवम सोनकर के मामले को समाजवादी पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह ने संज्ञान में लिया और छात्र से टेलीफोनिक वार्ता किया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहुंचे समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रोस्टर पर सवाल खड़े किया।

सत्यप्रकाश सोनकर ने छात्र शिवम् सोनकर के मुद्दे को लेकर कहा कि नियम के अनुसार जब सामान्य और ओबीसी कैटिगरी के निर्धारित किया जाता है, तब संविधान के अनुसार अनुसूचित की कैटेगरी भी निर्धारित किया जाना चाहिए। संविधान में सभी जाति के कैटेगरी के छात्रों के लिए आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन उसके बावजूद काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इसकी अनदेखी की जा रही है। छात्र शिवम् ने सामान्य कैटेगरी में दूसरा रैंक आने के बाद भी एडमिशन नहीं दिया जा था है। ऐसे में महामना जी की बगिया में शिक्षा के अधिकार का हनन कुछ विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के द्वारा किया जा रहा है। छात्र शिवम सोनकर का आरोप है, कि विभाग सामान्य श्रेणी में दूसरा स्थान आने के बाद भी उसका एडमिशन नहीं लिया गया।

वही विभाग के द्वारा शोध के 7 सीटों पर प्रवेश लेना था, जबकि मात्र 4 सीट पर एडमिशन लिया गया और 3 सीट रिक्त रखा गया है। छात्र ने आरोप लगाया कि दलित जाति का होने की वजह से उसे एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। जबकि रिक्त सीटों को रेट एग्जम्प्टेड श्रेणी में स्थानांतरित करने का प्रावधान है। अनिश्चितकालीन प्रदर्शन पर बैठे छात्र शिवम सोनकर ने कहा कि मैं लगातार 2 दिन से विभाग और सेंट्रल ऑफिस का चक्कर काट रहा हूँ। लेकिन विश्वविद्यालय का कोई जिम्मेदार अधिकारी मेरे मामले को संज्ञान में नही ले रहा है।