पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न होने से बनारस बार एसोसिएशन में उबाल

पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई न होने से बनारस बार एसोसिएशन में उबाल

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष-महामंत्री को ज्ञापन सौंप न्यायिक कार्य से विरत रहने की मांग की

वाराणसी (रणभेरी):  कैंट थाने में अधिवक्ता शिवा प्रताप सिंह पर दरोगा एवं पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए कथित हमले के मामले में अब अधिवक्ता समाज खुलकर विरोध के मूड में आ गया है। शुक्रवार को वाराणसी न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं ने बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश तिवारी, महामंत्री शशांक श्रीवास्तव और संयुक्त सचिव प्रशासन शैलेंद्र सिंह पटेल को विज्ञापन सौंपते हुए न्यायिक कार्य से विरत रहने की मांग की।

अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने न केवल थाने में घुसकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया बल्कि अधिवक्ता के साथ मारपीट कर पूरी वकालत बिरादरी का अपमान किया है। इस घटना को अधिवक्ताओं ने लोकतांत्रिक मूल्यों और न्यायिक गरिमा पर सीधा प्रहार बताया। उन्होंने कहा कि घटना के कई दिन बीत जाने के बावजूद पुलिस प्रशासन द्वारा दोषी पुलिसकर्मियों को न तो निलंबित किया गया है और न ही किसी ठोस कार्रवाई का संकेत दिया गया है। उल्टा, अधिवक्ताओं पर दबाव बनाकर झूठे मुकदमे दर्ज करने का प्रयास किया जा रहा है। 

अधिवक्ता समाज ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही दोषी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन को जिलेभर में तेज किया जाएगा और यह लड़ाई सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ी जाएगी।ज्ञापन देने वालों में पूर्व महामंत्री अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला, अधिवक्ता विकास सिंह, अधिवक्ता सुनील त्रिपाठी, अधिवक्ता अनूप पांडेय, अधिवक्ता अमनदीप सिंह, अधिवक्ता सय्यद असद सहित कई अधिवक्ता शामिल रहे।

विवेचना पूरी होने तक किसी अधिवक्ता की गिरफ्तारी नहीं

वाराणसी में अधिवक्ता और पुलिसकर्मियों के बीच हुए विवाद के बाद कचहरी का माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है। अधिवक्ताओं ने परिसर में जुलूस निकाला और जोरदार नारेबाजी की। वहीं, तीन दिन बीत जाने के बाद भी नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से क्षुब्ध दरोगा मिथिलेश प्रजापति के परिजनों ने पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर धरना दे दिया। करीब एक घंटे तक धरना चला, जिसके बाद पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और एडीसीपी नीतू कात्यायन ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया। धरने के दौरान पुलिस आयुक्त ने स्पष्ट कहा कि यह हमला केवल दरोगा मिथिलेश पर नहीं, बल्कि पूरी पुलिस व्यवस्था पर है। ऐसे में दोषियों की गिरफ्तारी तय है और यदि ऐसा नहीं हुआ तो पुलिस बल का मनोबल गिर जाएगा। 

दोपहर बाद कमिश्नरी सभागार में मंडलायुक्त एस. राजलिंगम की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई। इसमें सेंट्रल और बनारस बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) शिवहरी मीणा, डीसीपी प्रमोद कुमार, डीसीपी (गोमती जोन) आकाश पटेल और एडीएम सिटी आलोक वर्मा मौजूद रहे। बैठक में तय किया गया कि विवेचना पूरी होने तक आरोपी अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी नहीं होगी। हालांकि, सीसीटीवी फुटेज और वीडियोग्राफी के आधार पर हमलावरों की पहचान कर गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की बात कही गई। प्रशासन ने यह भी कहा कि पैरोकार कचहरी नहीं जा रहे हैं, इसलिए स्थिति को सामान्य करना आवश्यक है। बार एसोसिएशन ने पुलिस और प्रशासन से एडीसीपी नीतू कात्यायन को कचहरी से दूर रखने की मांग की। साथ ही, उन्होंने कहा कि किसी निर्दोष अधिवक्ता पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

एडीसीपी नीतू पर दुर्व्यवहार का आरोप

इसी बीच कुछ अधिवक्ता दरोगा के परिजनों के मामले में जानकारी लेने पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचे। उन्हें गेट पर रोक दिया गया, जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई। अधिवक्ताओं का आरोप है कि इस दौरान एडीसीपी नीतू कात्यायन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इसके बाद अधिवक्ताओं ने कार्यालय परिसर में नारेबाजी भी की।