अपने बदहाल सूरत पर रो रहा बड़ी गैबी का हनुमान कुंड
धूमिल होती जा रही धनवंतरी कूप की धार्मिक मान्यता, अपने दुर्दिन पर आंसू बहाता कुंड
वाराणसी(रणभेरी): काशी विश्वनाथ और मां गंगा की नगरी काशी जहां सदियों से तालाबों - कुंडों की अपनी एक अलग धार्मिक व पौराणिक मान्यता रही है। यही कारण है कि काशी में अनेक सिद्ध संत महात्मा आए और उन्होंने अपने तप त्याग और ज्ञान के आलोक से काशी को और भी अधिक प्रकाशवान किया। इसी प्रकार आज से लगभग 300 साल पहले अघोरपंथी संत बाबा बड़े गैबी नाथ भी यहां आए थे। जिन्होंने अपने सिद्ध तप के बल पर काशी खंड में बड़े गैबी नाथ गंगा कुंड और हनुमान कुंड को अवतरित किया। जो गंगा और हनुमान कुंड आज अपनी बदहाल सूरत पर बिलख रहे हैं।
सदियों से औषधीय गुणों से भरपूर ये कुंड यहां के लोगों के लिए जीवन दायिनी साबित हुए। लेकिन आज यहां के स्थानीय लोगों और प्रशासन के लापरवाही से इन कुंडों के जल विषाक्त होते जा रहे हैं। हनुमान कुंड के चौहद्दी पर सरकार ने वीडीए कॉलोनी बसा दी है। जहां से लोग कूड़ा कचरा कुंड में फेकते हैं और कॉलोनी का मल जल भी इसी कुंड में बहाया जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां बड़े गैबी नाथ बाबा की समाधि स्थल के साथ साथ एक प्राचीन कुआं भी है जिसका जल अपने औषधीय गुणों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन अब इस कुएं का पानी भी अपनी औषधीय गुण छोड़ रहा है। मान्यता के अनुसार इस कुएं का निर्माण धनवंतरी ऋषि ने करवाया था। इस कुएं का जल पीने मात्र से कई गंभीर रोगों से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन आज कुंडों के जल दूषित होने से इस कुएं का पानी भी दूषित हो रहा है। लोगों का कहना है कि मंदिर कुंड और अखाड़े के जीर्णोद्धार के लिए कई लोगों ने वायदे किए। स्थानीय पार्षद से लेकर विधायक तक ने इस कुंड को अपना चुनावी मुद्दा बनाया लेकिन अब तक इसपर किसी ने कोई कार्य नहीं करवाया। सरकार के तमाम योजनाओं में से एक तालाबों कुंडों को संरक्षित करने और साफ सुथरा रखने की भी योजना है। गौरतलब है की वर्तमान में भारत आजादी का 75वां अमृत महोत्सव भी मना रहा है। जिसके मद्देनजर काशी के 75 तालाबों कुंडों का जीर्णोद्धार करना है। लेकिन इस कुंड की ओर अब तक स्थानीय शासन प्रशासन का ध्यान न जा पाना वास्तव में चिंतनीय है।
हम लोगों ने इस कुंड के साफ सफाई व जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय शासन प्रशासन के साथ साथ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। यह कुंड लगभग 20 बीघा में फैला हुआ है। इसमें वीडीए कॉलोनी के लोगों के द्वारा मल जल बहाया जाता है, और कचरा फेंका जाता है।
जिससे की इस कुंड का जल विषैला हो गया है।