काव्य -रचना

काव्य -रचना

   तुझे क्या बताएं शहर - ए - मुंबई    


तुझे क्या बताएं शहर - ए - मुंबई हम कहा से आए है,
मिलों का सफ़र तय कर के तू पहुंचेगा जहा...!
हम वहां से आए है ॥ 1 ॥

की इक घर करने को तेरे नशेमन मे,
ना जानें कितने मकान ठुकराए है..!
माँ, बाप, भाई, बहन को गांव की पग - डण्डी तक छोड़ कर आए है,
तुझे क्या बताएं शहर - ए - मुंबई हम कहा से आए है ॥ 2 ॥

ख्वाबों का सैलाब लिए कूच करता है जो तेरी ओर,
हम उसी कारवाँ से आए है...!
ये जो इक तरफ़ा इश्क़ है, दो तरफ़ा भी हो जाएगा..!
तुझे क्या बताएं शहर - ए - मुंबई हम कहा से आए है ॥ 3 ॥

दो रोज़ी की रोटी की आस लिए, घाट बनारस को छोड़ कर आए है,
तेरे प्रसाद वडा पाव के ख़ातिर देख माँ का रोटी छोड़ कर आए है..!
था उम्मीद 17 मे 18 से कुछ अच्छा होगा, देख सबसे मुह मोड़ कर आए है,
तुझे क्या बताएं शहर - ए - मुंबई हम कहा से आए है ॥ 4 ॥

सुना है तू भी वक्त के जैसा बहुत परीक्षा लेता है,
जो दिल लगा ले तुझसे तू उसको सब कुछ देता है...!
आज तेरा बच्चा तुझसे ये आश लगाया है,
गांव पिता के जैसा तो तू भी तो सबकी माँ है-
तुझे क्या बताएं शहर - ए - मुंबई हम कहा से आए है ॥ 5 ॥

 

शक्तिमान मिश्रा