गंगा के पलट प्रवाह से वरुणा में उफान
मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह की जगह बदली, घंटों करना पड़ रहा इंतजार
वाराणसी (रणभेरी सं.)। गंगा में उफान ने रफ्तार पकड़ी तो वरुणा नदी का पानी भी अपना तेवर दिखाने लगा है। तेवर का ही नतीजा है कि नदी का पानी बस्तियों में घुस गया है। नदी में जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ रहा है तो उसी रफ्तार से लोगों की मुश्किलें भी बढा शुरू हो गई हैं। डूब क्षेत्र के साथ वरुणा के तटवर्ती सलालपुर, रसूलगढ़, पुराना पुल, सरैया, चौकाघाट, नक्खीघाट आदि इलाकों में परिवारों के पलायन का सिलसिला शुरु हो गया है। साथ ही लोग सामान भी समेटने लग गए हैं। लोगों की सहूलियत के लिए प्रशासन ने जगह-जगह राहत शिविर भी शुरू कर दिया है। नक्खीघाट स्थित राहत शिविर नवोदय पब्लिक स्कूल में एक भी बाढ़ पीड़ित परिवार नहीं पहुंचा है। प्रशासन की ओर से राशन समेत हर चीज का इंतजाम है। वरुणा का पानी कई घरों में घुसा है, लेकिन स्थिति बहुत खराब नहीं है। इसलिए परिवार के लोग अभी अपने घरों में हैं।
घट रहा गंगा का जलस्तर
शनिवार सुबह वाराणसी में गंगा का जलस्तर घटकर 68.92 मीटर पर आ गया है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पानी का लेवल घट रहा है। यही स्थिति रही तो दो या तीन दिन में गंगा का पानी सामान्य हो जाएगा। बाढ़ के चलते सभी 84 घाटों का आपस में संपर्क टूट गया है।
घाटों का संपर्क कटा: गंगा नदी में जलस्तर बाढ से सभी 84 घाटों का संपर्क एक-दूसरे से पूरी तरह से कट गया है। पिछले तीन दिन से गंगा में बढ़ाव शुरू हुआ था, लेकिन शुक्रवार को घटने लगी। शुक्रवार सुबह से रात तक 3 या दो सेंटीमीटर कमी रही। विगत 24 घंटे के दौरान जलस्तर में 60 सेमी से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। इससे गंगा के तटवर्ती इलाकों के लोगों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
गलियों मे हो रहा शवदाह
काशी के डोमराजा परिवार से जुड़े रामबाबू चौधरी ने बताया कि बाढ़ के कारण हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह में काफी मुश्किलें हो रही हैं। जगह कम होने के कारण लोगों को इंतजार भी करना पड़ रहा है। लेकिन तमाम मुश्किलों के बाद शवदाह किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सामान्य दिनों में एक साथ 12 से 14 पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार होता था लेकिन इस समय स्थान की कमी के चलते एक बार में छह से सात शवों का ही अंतिम संस्कार हो रहा। लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है।
धुंए से आसपास के लोगों को दिक्कत
शवदाह के कारण धुंए से इलाकाई परेशान हैं। घाट के आसपास रहने वाले उन नागरिकों को विशेष समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जो श्वास रोग से ग्रसित हैं। काफी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर अन्यत्र चले गए हैं। हरिश्चंद्र घाट पर गैस आधारित शवदाह प्रणाली के लिए लगाए गए सिस्टम में भी बंद पड़ा है। इसका कारण बताया जा रहा कि घाट को नये स्वरूप में बनाने की तैयारी है इस लिए मरम्मत का काम चल रहा