काशी में उमड़ी आस्था की बयार: बरेका सूर्य सरोवर पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य, ‘छठी मईया की जय’ से गूंज उठा वातावरण
वाराणसी (रणभेरी): बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) स्थित सूर्य सरोवर पर मंगलवार भोर में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। उदय होते भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए। व्रती महिलाएं और परिवारजन जैसे ही सरोवर किनारे पहुंचे, पूरा क्षेत्र छठ मईया के पारंपरिक गीतों और जयकारों से गूंज उठा।
ध्वनि विस्तारक यंत्रों से बजते गीत “उगा हे सूरज देव भेल भिनसरवा…” जैसी लोकधुनों ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। कई श्रद्धालु दंडवत प्रणाम करते हुए घाट तक पहुंचे, तो कई ढोल-नगाड़ों और शहनाई की धुनों पर नाचते-गाते सरोवर तक आए। हर किसी के मन में एक ही कामना रही- परिवार की सुख-समृद्धि, आरोग्य और वंश वृद्धि की।
प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी व्रती महिलाएं 36 घंटे निर्जला उपवास कर पूजा-अर्चना में लीन रहीं। भोर तीन बजे से ही परिवारों का घाटों पर पहुंचना शुरू हो गया था। महिलाएं घुटनेभर पानी में खड़ी होकर छठी मईया की स्तुति करती रहीं।
सुबह आसमान में बादल छाए रहने से सूर्योदय में थोड़ी देर हुई, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था अडिग रही। जैसे ही सूर्य की पहली किरण गंगा जल और सूर्य सरोवर के जल पर पड़ी, पूरे वातावरण में उत्साह और उल्लास की लहर दौड़ गई। व्रतियों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर उपवास का पारण किया।
शंख, शहनाई और ढोलक की मधुर धुनों के बीच “छठी मईया की जय” के जयघोष से पूरा इलाका गूंज उठा। सड़कों पर आगे-आगे अखंड दीप से सजा सूप लिए व्रती महिलाएं और पीछे-पीछे दउरा उठाए परिवारजन का दृश्य मन को भावविभोर कर रहा था।
प्रशासन की ओर से घाटों पर सुरक्षा, साफ-सफाई और रोशनी की विशेष व्यवस्था की गई थी। एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीम सतत निगरानी में तैनात रही। जब सूरज की पहली किरण काशी के आकाश में फूटी, तो ऐसा लगा मानो छठी मईया की कृपा हर घर पर बरस रही हो-और काशी एक बार फिर आस्था के रंग में डूब उठी।











