अयोध्या जिला अस्पताल में इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला, मरीज को बेड पर बंधा छोड़ने का वीडियो हुआ वायरल

अयोध्या जिला अस्पताल में इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला, मरीज को बेड पर बंधा छोड़ने का वीडियो हुआ वायरल

(रणभेरी): अयोध्या जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने हर किसी की संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है। जिले के सरकारी अस्पताल में एक शुगर मरीज को सुनसान बरामदे में पड़े बेड पर हाथ-पैर बांधकर रखा गया। सामने खाने की थाली रखी गई थी, जिसमें दाल, सब्जी और रोटियां थीं, लेकिन बंधे होने की वजह से मरीज तक वह खाना नहीं पहुँच पाया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने लोगों के होश उड़ा दिए।

वीडियो सामने आने के तुरंत बाद प्रशासन ने मरीज को अयोध्या मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान आज उसकी मौत हो गई। मरीज को 6 दिन पहले ही जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था।

जानकारी के मुताबिक, वायरल वीडियो जिला अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड के उस पुराने बरामदे का है, जिसे स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया था। इस वार्ड में मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगी हुई थी, लेकिन इसके बावजूद 4 नवंबर को एक अज्ञात बेहोश मरीज को इसी बरामदे में लिटाकर उसके हाथ-पैर बांध दिए गए। जब मरीज होश में आया, तो उसके सामने खाना रखी थाली थी, जिसे वह नहीं उठा सका।

जांच में खुलासा हुआ कि जिला अस्पताल के निष्प्रयोज्य वार्ड में पड़े उस मरीज को मानसिक रोगी बताया गया, जबकि वह वास्तव में शुगर का मरीज था। उसकी पहचान बीकापुर थाना क्षेत्र के सराय भनौली निवासी सालिग राम (45) के रूप में हुई है।

सालिग राम के भतीजे विनोद ने बताया, “सालिग राम बांस मंडी के पास अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। वह होटल में बावर्ची का काम करते थे और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ थे। 4 नवंबर को वह काम पर निकले थे, लेकिन रास्ते में बेहोश हो गए। जिस ई-रिक्शा से वह जा रहे थे, उसने उन्हें जिला अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया। अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें पागल समझकर गलत तरीके से इलाज किया। वह रोते और गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। तभी किसी ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया।”

इस घटना के बाद प्रशासन ने सालिग राम को जिला अस्पताल से राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज में रेफर किया। यहां जांच में सामने आया कि उनके शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव हो रहा था, जिससे वह बार-बार बेहोश हो जाते थे, लेकिन जिला अस्पताल में शुगर का सही इलाज नहीं किया गया।

मामले पर प्रभारी सीएमएस डॉ. राजेश सिंह ने कहा कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। कमेटी की अध्यक्षता डॉ. ए.के. सिन्हा करेंगे, जबकि डॉ. मो. अकरम और मैट्रन इंदिरा राय सदस्य हैं। तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं। कमेटी यह जांच करेगी कि मरीज को निष्प्रयोज्य वार्ड में किसने पहुंचाया, हाथ-पैर किसने बांधे, और उसके सामने खाना किसने रखा।

अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. बी.के. चौहान ने इस कृत्य को अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही करार दिया। उन्होंने कहा, “भले ही मरीज मानसिक रोगी होता, उसे बांधना गलत था। उसे रेफर किया जा सकता था, लेकिन जिस तरह निष्प्रयोज्य बरामदे में बेड से बांधकर छोड़ दिया गया, वह अमानवीय है।” एडी हेल्थ के निर्देश पर रविवार को जिला अस्पताल का कार्यालय खोला गया और जांच कमेटी गठित की गई।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय चौधरी ने कहा, “4 नवंबर की रात मरीज को ई-रिक्शा चालक अस्पताल के गेट पर छोड़ गया था। भर्ती के बाद उसने गद्दे और कपड़े फाड़ दिए थे और वार्ड से भागने की कोशिश की थी। इसलिए उसे मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। अब यह जांच का विषय है कि उसे निष्प्रयोज्य वार्ड में कौन ले गया और क्यों बांधा गया।”

यह पूरा मामला अस्पताल की लापरवाही, मानवीय संवेदनाओं की अनदेखी और प्रशासनिक ढिलाई की बानगी है। एक इंसान, जो केवल अपने शुगर के इलाज के लिए अस्पताल आया था, उसे मानवता की शर्मनाक स्थिति में छोड़ दिया गया। सालिग राम की मौत ने न सिर्फ परिवार को मातम में डुबो दिया है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी भी बन गई है कि स्वास्थ्य सेवाओं में मानवीय मूल्यों की कितनी कमी रह गई है।