काशी विश्वनाथ धाम की शोभायात्रा में दिखेंगी महाकुंभ की झलक

काशी विश्वनाथ धाम की शोभायात्रा में दिखेंगी महाकुंभ की झलक

विश्वनाथ धाम के लोकार्पण की वर्षगांठ पर फिर एक बार काशी में बिखरेंगे उत्सवी रंग

(रणभेरी) वाराणसी। महादेव की नगरी एक बार फिर एक खास त्योहार मनाने के निकट है। यह पर्व या अवसर दिव्य-भव्य काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से जुड़ा है। लोकार्पण 13 दिसंबर 2021 को हुआ था। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के सहयोग से शिवबारात समिति हर साल इस दिन भव्य शोभायात्रा निकालती है। इस बार शोभायात्रा की थीम प्रयागराज महाकुंभ पर आधारित है। इस बार इसका विशेष महत्व यह कि महाकुंभ लगने वाला है और महाकुंभ का महादेव के साथ सीधा नाता है।

देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने की होड़ लगी थी। जब विष निकला को महादेव ने इसे अपने कंठ में धारण कर लिया। अमृत निकलते ही इसे पाने के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया। तभी इंद्र का पुत्र जयंत अमृत कलश लेकर भागा। इसकी चार बूंदें हरिद्वार (गंगा), प्रयागराज (त्रिवेणी), नासिक (गोदावरी) और उज्जैन (शिप्रा) में गिरीं। ये चारों तीर्थ कहे। महादेव ने चूंकि विषपान कर सबकी रक्षा की थी, इसलिए महाकुंभ को उनके त्याग के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

महादेव का काशी से सीधा नाता है, ऐसी स्थिति में महाकुंभ का भी काशी से जुड़ाव सहज हो जाता है। प्रयागराज का महाकुम्भ इसलिए भी विशेष है कि बाक़ी तीन नगरों उज्जैन में, हरिद्वार और नासिक में एक नदी है जबकि प्रयागराज़ तीन - तीन नदियों का संगम है। जब मेष का सूर्य होता है तो बैसाख में गंगा पर हरिद्वार में, तुला का सूर्य होने पर आषाढ़ में क्षिप्रा नदी पर उज्जैन में, कर्क का सूर्य होने पर अश्विन में गोदावरी नदी पर नासिक में और मकर का सूर्य होने पर  गंगा, यमुना और सरस्वती क़े संगम पर प्रयाग राज़ में। आस्था ,धर्म ,संस्कृति  का अभूतपूर्व संगम है प्रयागराज का महाकुंभ। जहां लोग बिना निमंत्रण बिना प्रचार - प्रसार के क़रोडो क़ी संख्या में इतनी ठंढ में देश के कोने कोने से शामिल होने पहुँचते है। दुनिया में कही भी इतना बड़ा मेला और रेला न कभी हुआ और न होगा। इसलिए हम सभी काशी वासियों क़ो चाहिए कि देश के ऐतिहासिक काशी विश्वनाथ के लोकार्पण दिवस के तृतीय वर्षगाँठ क़ो इसी तरह आजीवन जीवंत बनाए रखने क़े लिए और इसे यादगार बनाने क़े लिए लोकार्पण दिवस के उत्सव को महोत्सव में बदल दे। पत्रकार वार्ता को दिलीप सिंह और आर के चौधरी ने संबोधित किया।