किसके सपोर्ट से करौली दे रहा फर्जी रिपोर्ट !
जिस डॉक्टर की जांच रिपोर्ट पर मुहर, उसका करौली डाइग्नोस्टिक सेंटर से नहीं है कोई वास्ता
पैथोलॉजिकल जांच के नाम पर मरीज को कर रहे गुमराह, काली कमाई से खुलती गई कई शाखाएं
वाराणसी (रणभेरी)। चिकित्सा विज्ञान में कहा गया है कि किसी रोग का कारण, भयावहता तभी पता चलता है जब उसकी विधिवत जांच हो। मेडिकल साइंस में इसके लिए मानक डिग्री निर्धारित की गई है। अधिकांश मरीज इस लिए ठीक नहीं हो पाते कि उनकी जांच सही होती ही नहीं। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मरीजों के नाम पर अब बीमारी दल-दल में फसाने का धंधा जमकर फल-फूल रहा है। दरअसल जिन डायग्नोस्टिक सेंटरों की जांच रिपोर्ट को आधार मानकर किसी भी मरीज का डाक्टरों द्वारा ईलाज किया जाता है वही डायग्नोस्टिक सेंटर अब किसी भी मरीज को बीमारी की गलत रिपोर्ट देकर और अधिक बीमार बना रहे हैं, जिसकी वजह से मरीजों को दोहरी खर्च के साथ शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के दौर से गुजरना पड़ रहा है। इससे लैब संचालक अपनी आमदनी करते हैं। वहीं चिकित्सक बहती गंगा में हाथ धो लेते हैं और मरीज गलत दवाई के सेवन से और अधिक बीमार पड़ जा रहा है। इस बात में अब कोइ संदेह नहीं कि अन्य क्षेत्रों की तरह चिकित्सा क्षेत्र भी अवैध कमाई का धंधा बन गया है। पैसा जैसे आए, आना चाहिए। शहर के कई हिस्से में संचालित होने वाले अधिकतर लैब संचालक जहां इसके लिए जिम्मेदार हैं, वहीं चिकित्सक व मेडिकल संचालक भी कम दोषी नहीं हैं। जबकि स्वास्थ्य विभाग अक्सर जांच के नाम पर खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ लेता है। हम बात कर रहे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में धरल्ले से संचालित हो रहे उस पैथोलॉजी जांच सेंटर की जो खुलेआम मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इस पैथोलॉजी सेंटर का नाम है "करौली डायग्नोस्टिक सेंटर"। तमाम जांच रिपोर्ट इस बात की पुष्टि कर रहे है कि वाराणसी के कई क्षेत्रों में धरल्ले से संचालित हो रहे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर पर मरीजों को फर्जी डॉक्टर के बलबूते फर्जी रिपोर्ट देकर उनके जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह खेल बहुत दिनों से शहर के तमाम डॉक्टरों के सांठगांठ से खूब फल फूल रहा है। दूर-दराज से आए मरीज जब डॉक्टर के पास जाते है तो डॉक्टर बीमारी की पहचान के लिए सबसे पहले जांच लिखते है। सूत्रों के अनुसार शहर के दर्जनों डाक्टरों द्वारा मरीजों को बकायदा यह कहा जाता है कि जांच करौली डाइग्नोस्टिक से करवाना। दूसरे जगह की रिपोर्ट सही नहीं होती। मरता क्या न करता। बेचारा मरीज सही जांच और ईलाज की लालसा में मजबूरन कौरौली डायग्नोस्टिक का रुख कर लेता है। हमारे सूत्र बता रहे हैं कि करौली में जांच के नाम पर पहले तो मरीजों को बकायदा लूटा जा रहा है। और फिर इसे विडंबना कहिए या बदकिस्मती कि लूटने के बाद भी मरीज को सही जांच रिपोर्ट नहीं मिलता। और फिर गलत रिपोर्ट के कारण मरीजों के सही बीमारी की पहचान न हो पाने के कारण डॉक्टर भी सही ईलाज नहीं कर पाते। कई ऐसे मरीज है जो बीमारी को लेकर महीनों दौड़ते रहते हैं। और कई तो अपनी जिन्दगी से हाथ धो बैठते है। दरअसल इन सबके बीच माजरा कमीशनखोरी का है। सूत्रों की माने तो कौरौली डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक अंशुमान अग्रवाल और आदित्य अग्रवाल बड़े ही धूर्त प्रवृत्ति के है जिन्होंने पैसे के लालच में सारी मानवता को दरकिनार कर दिया है और डॉक्टरों को मोटा कमीशन देकर बड़ी संख्या में मरीजों को अपने डाइग्नोस्टिक सेंटर तक जांच के लिए बुलाबाते है, फिर उन लाचार व बेबस मरीजों का करौली में जांच के नाम पर खून चूसा जाता है। इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट पर जिस डॉक्टर का हस्ताक्षर और मुहर रहता है दरअसल वो डॉक्टर भी वहां है ही नहीं, वो विदेश में प्रैक्टिस कर रहे हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के संचालक ने सट्टे की काली कमाई से शहर में कई जगह अपने पैथलॉजी सेंटर खोल रखी है ताकि काली कमाई पर पर्दा डाला जा सके। ऐसे में आप सोचिए कि कोई पैथोलॉजी सेंटर मरीजों को गलत जांच रिपोर्ट दे दे तो क्या होगा !
रेडियो लॉजिस्ट के बिना संचालित नहीं किया जा सकता डायग्नोस्टिक सेन्टर
आप जानते होंगे कि बिना किसी सक्षम व कुशल रेडियोलॉजिस्ट के बिना कोई भी इस तरह का सेन्टर संचालित नहीं किया जा सकता। जबकि डॉ. एस. सेंथिल कुमार को भारत छोड़ते समय मुख्य चिकित्साधिकारी वाराणसी को लिखित पत्र द्वारा सूचित किया था कि वे भारत छोड़कर विदेश जा रहे है। उन्होंने कहा था कि न मैं कोई पैथोलॉजी सेन्टर चला रहा हूँ न ही किसी पैथोलॉजी सेंटर में कार्यरत हूँ। सूत्रों की माने तो बावजूद इसके करौली डायग्नोस्टिक सेंटर मरीजों व आम लोगों के स्वास्थ्य की परवाह किये बगैर सी.एम.ओ. कार्यालय को करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के प्रबंध निदेशक द्वारा अवैध व मोटी रकम देकर इन सारी बातों को दबा दिया गया और फिर फर्जी व मनमाने तरीके से करौली डायग्नोस्टीक सेंटर चलवा रहा है। करौली डायग्नोस्टिक सेंटर डॉ. एस. सेंथिल कुमार के फर्जी हस्ताक्षर से फर्जी जांच रिपोर्ट जारी कर मरीजों व नागरीकों के स्वास्थ्य के साथ बड़े पैमाने पर खेल कर रहे है। सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग वाराणसी के अधिकारी व कर्मचारी इस फजीर्वाड़े में शामिल है, लिहाजा अंधा, गूंगा और बहरा बने है।
जांच की मांग के बावजूद नहीं जा रही जिम्मेदारों की नजर
बीते दिनों करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के फजीर्वाड़े के शासन स्तरीय जांच की मांग भाजपा के जिला कार्यसमिति सदस्य (मिजार्पुर) ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर भी किया था। उन्होंने शासन को पत्र लिखकर यह कहा कि करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के फजीर्वाड़े की अविलम्ब उच्च स्तरीय समिति गठित कर निष्पक्ष की जाए। पत्र में कहा गया है कि जनहित के मध्यनजर करौली डायग्नोस्टिक सेंटर विरूद्ध निरोपात्मक कार्यवाही करते हुए इस सेंटर को तत्काल सीज किया जाय। तथा सेन्टर के संस्थापक, व्यवस्थापक, निदेशक के विरूद्ध एफआईआर की रिर्पोट दर्ज कराई जाए जिससे मरीजों व आम नागरीकों को स्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़ बंद हो। अब यह देखना होगा कि सरकार कब मरीजों के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे पैथोलॉजी सेंटर को सीज कर आमजनता के जीवन की रक्षा करने में अपनी सहभागिता दिखता है।
अवैध व फर्जी तरीके से संचालित हो रहीं करौली की शाखाएं
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करौली डायग्नोस्टीक सेन्टर ने अपनी शाखाएं संकट मोचन मंदिर, भोजुबीर, मंडुआडीह व मलदहीया में खोल रखी है। सभी डायग्नोस्टिक सेंटर अवैध व फर्जी तरीके से संचालित किए जा रहा है। आप के चहेते सायंकालीन अखबार 'गूंज उठी रणभेरी' के कार्यालय को एक ऐसा शिकायती पत्र मिला है जिसमें करौली डायग्नोस्टिक सेंटर के अवैध कारनामों को बेनकाब कर रहा। शिकायती पत्र के साथ-साथ कुछ जांच रिर्पोट भी मिले है जो अलग-अलग तिथियों के हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अलग-अलग तिथियों के जांच रिपोर्ट में अलग-अलग डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर है। उस फर्जी रिपोर्ट पर जिस डॉक्टर के नाम है वो है डॉ. एस. सेन्धील कुमार (एमबीबीएस, डीएमआरडी), जो पूर्व में अपोलो अस्पताल के सिनियर रेडियोलॉजिस्ट थे और चेन्नई के रहने वाले है। आपको जान कर हैरानी होगी कि डॉ. एस. सेन्धील कुमार पिछले दो वर्षों के अधिक समय से भारत के बाहर विदेश में सेवारत है। ऐसे में आप समझ सकते है कि कैसे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर उनके नाम, पदनाम व हस्ताक्षर का दुरूपयोग कर मरीजों व नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
सट्टे की काली कमाई से खड़ी कर दी करौली डायग्नोस्टिक की कतार !
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में सट्टा माफिया किस कदर युवाओं और उनके परिवारों को बर्बाद कर किस कदर आबाद हो रहे है इसका जीता जाता उदाहरण है बनारस का करौली डायग्नोस्टिक सेंटर। हर साल अपनी नई नई शाखाओ को खोलने वाले इस डायग्नोस्टिक सेंटर के मालिक है आदित्य अग्रवाल और अंशुमान अग्रवाल। सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक अदित्य और अंशुमान अग्रवाल सट्टा माफिया पंकज आर्या के साथ मिलकर सट्टेबाजी का काम करता है। सट्टेबाजी के काली कमाई से ही इसने करौली डायग्नोस्टिक नाम से एक जांच पैथोलॉजी खोली। धीरे-धीरे उसी सट्टे की अवैध कमाई से करौली नाम की कई पैथोलॉजी सेंटर को खड़ा दिया। सूत्रों की माने तो आदित्य और अंशुमान ने सट्टे से कमाई काली रकम को सफेद करने के लिए नए नए पैथोलॉजी सेंटर का निर्माण करा रहा। करौली के संचालक आदित्य अग्रवाल व अंशुमान अग्रवाल हैं। यह दोनों मिलकर सट्टे का कारोबार बड़े स्तर पर कर रहे हैं। पिछले 5 सालों से सट्टे के अवैध धंधे की बदौलत करोड़ों रुपए कमाने वाले इन भाइयों ने ब्लैक मनी को वाइट मनी में कन्वर्ट करने के लिए करौली खोल रखा है। अब देखना है कि प्रशासन की नजर इन धूर्तो तक कब पहुंचती है ताकि मरीजों का दोहन बंद हो।