शैलेंद्र पाठक को पक्षकार बनाए जाने पर फैसला सुरक्षित
वाराणसी(रणभेरी)। ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े केस में मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) प्रशांत सिंह ने सुनवाई की। ज्ञानवापी के संपूर्ण परिसर का सर्वे करने का पर बहस भी हुई। बहस प्रार्थना पत्र संख्या-432 पर 1991 के वाद में संपूर्ण सर्वे करने की अर्जी पर सुनवाई की गई। वहीं, ज्ञानवापी के 1991 के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मामले में वादी रहे सोमनाथ व्यास के नाती को पक्षकार बनाने के मामले में 18 मार्च की अगली सुनवाई तय की गई है। व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार पाने के बाद शैलेंद्र पाठक ने खुद को मूल वाद में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है। कोर्ट ने दोपहर बाद दोनों पक्षों को तलब किया था। कोर्ट में याचिका दायर कर कई गवाहों को पेश किया, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुरक्षित कर लिया। विगत सप्ताह हरिहर पांडेय के बेटों को पक्षकार बनाने की अर्जी अदालत ने खारिज कर दी थी हालांकि अदालत ने हरिहर पांडेय के नाम के आगे मृतक लिखने का आवेदन स्वीकार कर लिया था। पिछले गुरुवार को जिला एवं सत्र न्यायालय में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से दलील दी कि हाईकोर्ट ने छह माह में मुकदमे के निस्तारण का आदेश दिया है, जिसे जल्द पूरा किया जाए। वादमित्र के आश्रितों में शामिल सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक व्यास को पक्षकार बनाने के मुद्दे को भी खारिज करने की मांग की है। उनका कहना था कि यह री-प्रजेंटेटिव वाद है, इसमें जरूरी नहीं है कि वादी के मृत्यु होने पर उनके वारिस को पक्षकार बनाया जाए। केस में वादी नहीं होने पर उसका अधिवक्ता भी मुकदमा लड़ सकता है। आवेदन के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, आशीष श्रीवास्तव और सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। कहा कि इंडिविजुवल वाद है, तीन लोगों ने यह वाद दाखिल किया था। ऐसे में मृतक वादी के वारिस नाती भी पक्षकार बन सकते हैं। श्रीराम मंदिर मामले का हवाला भी दिया गया।