विशिष्ट विभूतियों को "विद्या वाचस्पति मानद सम्मान"
वाराणसी (रणभेरी)। देश में रेशमी शहर के नाम से मशहूर बिहार के गांधीनगर भागलपुर के विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा शनिवार को विश्व की सांस्कृतिक राजधानी काशी में विशिष्ट विभूतियों को "मानद सम्मान विद्या वाचस्पति (पी.एच.डी.)" से सम्मानित किया गया। काशी सेवा समिति के महामना मालवीय सभागार मे विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करने वाली काशी की विशिष्ट विभूतियों को डॉक्टरेट की यह मानद उपाधि कुलाधिपति डॉ.राघवेंद्र नारायण आर्य, कुलपति डॉक्टर संभाजी राजाराम बाविस्कर व कुलसचिव डा दीपंकर वियोगी द्वारा प्रदान किया गया है।
विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के कुलपति डॉ संभाजी राजाराम बाविस्कर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुये इस सम्मान समारोह में विशेष रूप से संस्कृत भाषा के उत्थान क्षेत्र में श्रेष्ठा सिंह, पत्रकारिता के क्षेत्र में शुमैला आफरीन एवं अजीत सिंह, समाज सेवा के क्षेत्र में कल्कि महाराज, आनंद साहू,राजेश शंकर श्रीवास्तव एवं चक्रवर्ती विजय नावड, गंगा सेवा के क्षेत्र में उज्जवल वर्मा, कला के क्षेत्र में चंद्रशेखर अग्रवाल आदि को डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गयी । विद्या वाचस्पति की उपाधि डॉक्टरेट के समकक्ष मानी जाती है। यह उपाधि कला,सहित्य,शिक्षा सहित विशेष क्षेत्र में बेहतर और उल्लेखनीय कार्यों के लिए दी जाती है। देश में भागलपुर स्थित विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ एकमात्र ऐसी संस्था है जो विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान करती है। उपाधि मिलने के बाद संबंधित साहित्यकार, कवि, पत्रकार या अन्य विशिष्ट जन अपने नाम के आगे डॉ. लिखने के पात्र हो जाते है। ठीक उसी प्रकार जैसे पीएचडी उपाधि के बाद व्यक्ति डॉ. लिखता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रयागराज के पूर्व जिला जज डॉ चन्द्रभाल सुकुमार ने की। इस अवसर पर विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर इंद्रजीत तिवारी निर्भीक, काशी सेवा समिति के सभापति सुप्रसिद्ध कवि डॉ रामावतार पाण्डेय, डॉ कैलाश सिंह विकास, डॉ दीपांकर वियोगी, ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ पण्डित प्रकाश मिश्र, शास्त्रीय गायिका विदुषी वर्मा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।