BHU के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की मनाई जा रही 160 वीं जयंती

BHU के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की मनाई जा रही 160 वीं जयंती

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय की आज 160वीं मनाई जा रही है। आज पूरा राष्ट्र उनको नमन कर रहा है। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर उनकी जयंती पर उन्हें याद किया है। इसके अलावा कई नेता, राजनेता उनको याद कर रहे हैं। अद्वितीय प्रतिभा के धनी पण्डित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था। मदन मोहन मालवीय को धार्मिक संस्कार विरासत में मिले। उनके पिता का नाम पं ब्रजनाथ मालवीय और मां का नाम मुना देवी था। प्रयागराज में संस्कृत के भाषा के प्रकांड विद्वान पं. ब्रजनाथ व मूनादेवी के यहा हुआ था। वे अपने सात भाई बहनों में पांचवें पुत्र थे। उनके पिता श्रीमद्भागवत की कथा सुना कर अपनी आजीविका अर्जित करते थे।

उनके पूर्वज मध्यप्रदेश के मालवा से थे। इसलिए उन्हें 'मालवीय' कहा जाता है। आगे चलकर यही जातिसूचक नाम उन्होंने भी अपना लिया। मदन मोहन बड़े प्रसन्न व चैतन्य प्रकृति के थे। ऐसा कहा जाता है कि उनको गुल्ली-डंडा और व्यायाम का काफी शौक था। सात साल की आयु में उनका यज्ञोपवीत संस्कार हुआ। उनकी जयंती के मौके पर मालवीय जी के द्वारा सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षणिक क्षेत्र में किये गए कामों को याद किया जाता है। पंडित मदन मोहन मालवीय जी के पूर्वज मालवा प्रान्त के निवासी थे। इसलिए इन्हें मालवीय कहा जाता था। भारत माता के इस महान सपूत का निधन 12 नवंबर, 1946 को हो गया।

पंडित मदन मोहन मालवीय जी का शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान रहा। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की। उन्होंने एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाने का संकल्प लिया था, जिसमें प्राचीन भारतीय परंपराओं को कायम रखते हुए देश-दुनिया में हो रही तकनीकी प्रगति की भी शिक्षा दी जाए। 1916 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने ही मदन मोहन मालवीय को महामना की उपाधि दी थी।

मालवीय जी के किए गए कार्यों को उनके 153वीं जयंती के एक दिन पहले 24 दिसंबर, 2014 को भारत सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। तब यह कहा गया कि आज से भारत रत्न का सम्मान और बढ़ गया।

मालवीय भवन बीएचयू की हृदयस्थली

विश्वविद्यालय के निर्माण और विकास दोनों के साक्षी मालवीय भवन बीएचयू की हृदयस्थली है। मालवीय जी से अगर आत्मीय दर्शन करना हो तो वे यहां जरूर मिलेंगे। यहां की हर दर-ओ-दीवार उनके होने का एहसास कराएगी। प्रवेश करते ही मालवीय की मूर्ति, जिसे देख हर कोई यहां अपने शीष जरूर झुकाता है। बीएचयू की स्थापना के बाद से महामना ने सबसे ज्यादा वक्त यहीं गुजारा।  मालवीय भवन के ऊपर लाइब्रेरी में मालवीय जी से जुड़े तमाम संग्रह मौजूद हैं। अब इस मालवीय भवन को हेरिटेज कॉम्प्लेक्स के रूप में विकसित करने की योजना है।

महामना मालवीय की 75वीं जयंती थी बेहद खास

पंडित मदन मोहन मालवीय के रहते हुए उनकी 75वीं जयंती बेहद खास थी। महामना का 75वां जन्मोत्सव विश्वविद्यालय स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर में 1937 में मनाया गया था। विश्वविद्यालय और काशी के गणमान्य लोगों ने इसे मालवीय के सम्मान में आयोजित किया था। महामना को एक ह्यअभिनंदन पत्रह्ण और सुंदर देशी घड़ी भेंट की गई थी, जिसमें भारत की आकृति बनी थी। महामना ने उस वक्त जन समूह को संबोधित करते हुए विश्वनाथ मंदिर के निर्माण में सहयोग करने की अपील की थी। मालवीय  को श्रीमद्भागवत और गीता ये दोनों ग्रंथ प्रिय थे, इसलिए उनकी जयंती पर मालवीय भवन में 1946 से ही श्रीमद्भागवत पारायण और कथा कराई जा रही है। वेदों और मंत्रों से सात दिन तक ये भवन गूंजता है। उनकी स्मृति में मालवीय स्मृति पुष्प प्रदर्शनी भी पिछले करीब पचास वर्षों से हो रही है।

जब हैदराबाद के निजाम की जूती करने लगे नीलम

बीएचयू निर्माण के दौरान मालवीय जी और हैदराबाद के निजाम का एक किस्सा बड़ा मशहूर है। मालवीय जी ने निजाम से जब आर्थिक मदद मांगी, तो निजाम ने कहा कि दान के लिए मेरे पास पैसे नहीं, आप मेरी जूती ले सकते हो। विनम्र स्वभाव के मालवीय जी इस बेइज्जती के बाद भी कुछ नहीं बोले और निजाम की जूती लाकर बाजार में निलाम करने लगे। जब इसकी जानकारी निजाम को मिली तो उसे अपनी बेइज्जती महसूस हुई। उसने तुरंत मालवीय जी को बुलाकर भारी-भरकम दान दिया।

ऐसे शुरू हुआ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का निर्माण

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनाने के लिए महामना मदन मोहन मालवीय जी को 1360 एकड़ जमीन दान में मिली थी। इसमें 11 गांव, 70 हजार पेड़, 100 पक्के कुएं, 20 कच्चे कुएं, 40 पक्के मकान, 860 कच्चे मकान, एक मंदिर और एक धर्मशाला शामिल था। 1915 में पांच लाख गायत्री मंत्रों के जाप के साथ इस विश्वविद्यालय का निर्माण शुरू हुआ था।

फूलों की बगिया से सजी महामना की बगिया

काशी हिंदू विश्वविद्यालय  के संस्थापक भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की आज जयंती है। महामना जयंती समारोह के तहत बीएचयू में विविध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज दोपहर से ऐतिहासिक मालवीय भवन में रंगबिरंगे मनभावन फूलों की 3 दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन कार्यवाहक कुलपति प्रो. वीके शुक्ल द्वारा किया गया। इसके साथ ही शाम के समय मालवीय भवन में राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से मालवीय दीपावली का आयोजन किया जाएगा।