मां की वंदना आठो पहर, रात भर सोया नहीं शहर
वाराणसी (रणभेरी सं.)। विशुद्ध आध्यात्मिक व शास्त्रीय रूप से चल रहे नवरात्र का अनुष्ठान बुधवार की शाम से दुर्गोत्सव के रूप में लोक का उत्सव बन गया। निशाव्यापिनी महासप्तमी में सभी दुर्गा पूजा पंडालों में षोडशोपचार पूजन के साथ विधि-विधान से मां की प्रतिमाओं में प्रतिष्ठा होते ही जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। पंडालों में मां के दर्शन को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और भगवान शिव श्रीकाशी विश्वनाथ की नगरी मां आदिशक्ति की साधना, उपासना, आराधना के रंग में डूब गई। गांव से शहर तक हर ओर मां आदिशक्ति दुर्गा की भक्ति का ज्वार बह उठा है। भव्य सजावट से सजी नगर की सड़कें, गलियां, रंग-बिरंगे बल्बों, झालरों के प्रकाश में दमक उठी हैं तो अलग-अलग थीमों पर बने पूजा पंडाल दूर से ही भक्तों का उत्साह बढ़ाते रहे। भारत सेवाश्रम संघ, बंगाली टोला, रामकृष्ण मिशन आदि स्थानों पर बने दुर्गा पूजा पंडालों में बंगाल की संस्कृति जीवंत हो उठी है। ढाक की थाप से लगायत धुनुची नृत्य तक करते भक्त मां की आराधना में लीन दिखे। सुबह महाषष्ठी के विधान अनुसार देवी आमंत्रण पूजा की गई। गुरुवार को नवपत्रिका प्रवेश के विधान पूरे किए गए।
विशाल शोभायात्रा के साथ लाई गई मां की प्रतिमा
भारत सेवाश्रम संघ में मां की प्रतिमा स्थापना के पूर्व मां की अगवानी को विशाल शोभायात्रा निकाली गई। संघ से जुड़े संत, सन्यासी, पुजारी, भक्त, बटुक आदि रथों, हाथियों, घोड़ों पर सवार होकर चले। साथ में विभिन्न देवी-देवताओं, संघ के स्ंस्थापक स्वामी प्रणवानंद सहित अनेक दिव्य सिद्ध साधक संतों, गुरुओं की झांकियां सजाई गईं। मां दुर्गा के नौ रूपों को प्रदर्शित करती सजीव झांकियां रहीं तो विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों के साथ युद्ध कला का प्रदर्शन करते बालक-बालिकाओं ने मन मोह लिया।
कहीं शीशमहल तो कहीं स्वर्वेद मंदिर में विराजी हैं मां
काशी के पूजा पंडालों में इस बार भी विभिन्न प्रकार के प्रयोग किए गए हैं। अनेक थीमों पर बने भव्य पंडालों में स्थापित मां की प्रतिमाएं लाइट-साउंड सिस्टम से भी सुसज्जित होकर महिषासुर का वध करती दिख रही हैं। सनातन धर्म इंटर कालेज में मां की विशालकाय प्रतिमा जयपुर के शीशमहल में तो शिवपुर के मिनी स्टेडियम की प्रतिमा वृंदावन के प्रेम मंदिर की अनुकृतियों में बने पंडाल में विराजी हैं। इसी तरह पंडालों के रूप में कहीं स्वर्वेद मंदिर का ध्श्य दिख रहा है तो कहीं अयोध्या के श्रीराम मंदिर का।
गोदौलिया से मैदागिन तक नो-व्हीकल जोन
त्योहारी सीजन में शहर की व्यवस्था में कुछ बदलाव किया गया है। गोदौलिया से मैदागिन तक थ्री व फोर व्हीकल के आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा। दिव्यांग, वृद्ध, बीमार, गर्भवती व पैदल चलने में अक्षम लोगों के लिए फ्री ई-रिक्शा उपलब्ध रहेंगे। इस मार्ग के दुकानदारों को आवागमन में छूट रहेगी। दशाश्वमेध, बेनियाबाग, अर्दली बाजार, विशेश्वरगंज समेत भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किए जाएंगे। सड़क किनारे अनाधिकृत रूप से खड़े वाहनों को क्रेन से खींचकर टीपी लाइन लाया जाएगा। इसके लिए शहर में तीन क्रेन गुरुवार से काम करना शुरू कर देगी। चौथी क्रेन भी विभाग को प्राप्त हो गई है।
पार्किंग के गलत इस्तेमाल पर एक्शन
वर्तमान में तीन क्रेन चल रही है। एक नयी क्रेन विभाग और प्राप्त हो गयी है। इस क्रेन से भी अनाधिकृत पार्किंग किये गाडिों को उठाने का कार्य गुरुवार से शुरू हो जाएगा। वीडीए से समन्वय कर ऐसे व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को चिन्हित करने के निर्देश दिए गए हैं, जिनके द्वारा पार्किंग का प्रयोग अन्य कार्यों में किया जा रहा है। पीआरवी के सिपाही भी गाड़ी में बैठे न रहे, ट्रैफिक संचालन में अपनी सहभागिता अदा करें।
लहुराबीर मार्ग पर बाइक भी नहीं जा सकेगी
दुर्गा पूजा पंडालों में भीड़ के मद्देनजर गुरुवार और शुक्रवार शाम 6 से रात 12 बजे तक व्यस्त मार्गों पर वाहनों का आवागमन रोका जाएगा। लहुराबीर, नई सड़क, गोदौलिया, मैदागिन आदि पूजा पंडालों, दुगार्कुंड स्थित मंदिर मार्ग पर प्रतिबंध जारी रहेगा। ट्रैफिक प्लान के मुताबिक चौकाघाट लकड़ी मंडी से जगतगंज तिराहा की ओर वाहन नहीं आ सकेगा, जगतगंज से लहुराबीर चौराहा, मलदहिया चौराहे से लहुराबीर की ओर वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। वहीं, लहुराबीर से चेतगंज, पिशाच मोचन तिराहा से हथुआ मार्केट की ओर वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। रामापुरा चौराहा से तीन और चार पहिया वाहन लहुराबीर की तरफ नहीं जाएंगे। बेनिया से लहुराबीर, मैदागिन से कबीरचौरा की ओर तीन और चार पहिया वाहनों पर रोक रहेगी। पिपलानी कटरा तिराहा से बड़े वाहन लहुराबीर चौराहा की तरफ पूर्णतया प्रतिबंधित रहेंगे। जो रामकटोरा से लकड़ी मंडी की ओर जाएंगे। दुगार्कुंड स्थित मंदिर की ओर वाहन नहीं आ-जा सकेंगे। दयाल टावर से वाहन पद्मश्री चौराहा की ओर डायवर्ट होंगे।
मां अन्नपूर्णा के दरबार में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी
नवरात्रि के आठवें दिन अष्टमी पर्व पर लाखों श्रद्धालुओं ने महागौरी अन्नपूर्णा के दरबार में दर्शन पूजन किया। विश्वनाथ गली स्थित माता के दरबार में दर्शन पूजन के बाद महिलाओं और पुरुषों ने परिवार के सुख, शान्ति, और समृद्धि की मंगल कामना की। मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालुओ के दर्शन शुरू हुआ।कड़ी सुरक्षा के बीच कतारबद्ध श्रद्धालु अपनी बारी का इन्तजार करते दिखे। मंदिर प्रांगण में मां के गगनभेदी जयकारे से गूंज रहा था। भोर में मंहत शंकर पुरी की देखरेख में भगवती का पंचामृत स्नान कराया गया,नूतन वस्त्र और आभूषण धारण कराने के बाद मंगला आरती की गई। आरती पश्चात मंदिर का पट खुलते ही श्रद्धालु गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन पूजन कर रहे थे।
महंत शंकरपुरी ने कहा की हर रूप में शक्ति को पूजा जाता हैं । अष्ट्मी को माता का गौरी रूप में दर्शन होता है। महिलाएं फेरी लगाती हैं और माँ सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। भीड़ को देखते हुये अस्थाई सीढ़ी बनाई गई थीं। प्रवेश द्वार से सीढ़ी के रास्ते दरबार में पहुंच कर दर्शन कर रहें थे। सभी भक्त अपनी मनौती अनुसार माता रानी की परिक्रमा भी करते रहे। परिसर में बैठ कर भिक्षा भी महिलाये लें रही थीं। भक्तों की कतार देर रात तक चलती रही। रात्रि में सयन आरती कर मंदिर पट बंद हुआ।शारदीय नवरात्र के आठवें दिन पूजी गईं महागौरी
शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन है। आज अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के दर्शन पूजन का विधान है। इन्हें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों में आठवां रुप माना गया है। काशी में काशी में देवी अन्नपूर्णा ही महागौरी का स्वरूप हैं। माता के दर्शन के लिए देर रात से भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्त माता को नारियल, चुनरी, भोग, प्रसाद, और श्रृंगार का सामान अर्पित करके शीश नवा रहे है। शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा के महागौरी का संबंध देवी गंगा से भी है। धर्म ग्रंथों में देवी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस स्वरूप के दर्शन मात्र से पूर्व संचित समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। देवी की साधना करने वालों को समस्त लौकिक एवं अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। पति रूप में शिव को पाने के लिए कठोर तप से देवी कृष्णवर्ण की हो गई थीं तब शिव ने मां गंगा के जल से अभिषेक कर देवी की लेख लौटाई और वह महागौरी कहलाई। काशी में देवी अन्नपूर्णा ही महागौरी का स्वरूप हैं।