विश्व रैबीज दिवस: कुत्ता-बंदर काटे तो 28 दिन में वैक्सीन की डोज जरूरी
बरेली। कुत्ते और बंदर हमारे डर को भांप लेते हैं। डरने पर हमारे शरीर में हार्मोन संबंधी बदलाव होते हैं। इसे पहचान कर ही वे हम पर हमला करते हैं। अगर हम बगैर प्रतिक्रिया दिए या आक्रामक प्रवृत्ति प्रदर्शित करते हुए चलते रहें तो वे हमें नुकसान नहीं पहुंचाते। कुत्ता-बंदर के काटने पर एंटी रैबीज वैक्सीन न लगे तो व्यक्ति के रैबीज की चपेट में आने की आशंका रहती है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अभिजीत पावड़े ने ये बातें कहीं।
उन्होंने बताया कि पहले से डरा हुआ व्यक्ति कुत्ते-बंदरों के हमले का विरोध भी नहीं कर पाता। बंदर में भी अब व्यावहारिक परिवर्तन आ रहा है। उनके प्राकृतिक आवास खत्म हो रहे हैं। वे आबादी के बीच रहने के आदती हो गए हैं। भूख लगने पर भोजन की तलाश में भटकते बंदरों के हमलावर होने की आशंका ज्यादा रहती है।
28 दिन में वैक्सीन की चार डोज जरूरी
राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. मीसम अब्बास के मुताबिक दस हजार में से करीब सात हजार लोग ही वैक्सीन की चारों डोज लगवाते हैं। ये बेपरवाही जान पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि आखिरी डोज बूस्टर होती है। रैबीज के वायरस को पूरी तरह समाप्त करने के लिए यह बेहद जरूरी होती है।