'गर्भ जारी रखने या गर्भपात कराने में महिला की सहमति सर्वोच्च'

'गर्भ जारी रखने या गर्भपात कराने में महिला की सहमति सर्वोच्च'

कोर्ट ने 15 वर्षीय किशोरी के 32 सप्ताह के गर्भ को जारी रखने की अनुमति दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि बच्चे की डिलीवरी लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मेरठ में होगी। राज्य सरकार सभी खर्च वहन करेगी।
 

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता 15 वर्षीय गर्भवती के मामले में कहा कि गर्भ जारी रखना या गर्भपात कराने का निर्णय महिला को लेना है, किसी अन्य को नहीं। महिला की सहमति सर्वोच्च है। कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए 15 वर्षीय किशोरी के 32 सप्ताह के गर्भ को जारी रखने की अनुमति दे दी है।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि बच्चे की डिलीवरी लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मेरठ में होगी। राज्य सरकार सभी खर्च वहन करेगी। जिला मजिस्ट्रेट सुनिश्चित करेंगे कि पीड़िता व उसके परिवार को चिकित्सा और सहायक खर्च मिल सके। न्यायमूर्ति शेखर बी. सर्राफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की पीठ ने पीड़िता व उसके माता-पिता की याचिका पर यह आदेश दिया है।

इस मामले में पीड़िता के मामा ने 25 जून 2024 को संबंधित पुलिस स्टेशन में दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि पीड़िता को एक व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में युवती बरामद हुई और उसका अल्ट्रासाउंड कराया गया तो वह लगभग 29 सप्ताह के गर्भ से थी। पीड़िता व उसके परिजनों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारी को गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने का आदेश देने की प्रार्थना की।

हाईकोर्ट ने पीड़िता और उसकी मां के फैसले को ध्यान में रखते हुए बच्चे की डिलीवरी लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मेरठ में करने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि पीड़िता और उसके परिवार की गोपनीयता किसी भी तरह से उजागर न हो। कोर्ट ने लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ के प्रिंसिपल और चिकित्सा अधीक्षक, जिला मजिस्ट्रेट, मेरठ और केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण के निदेशक को याचिका में पक्षकार बनाया है।