किसने घोला छितौना की आबोहवा में जातीय जहर !

बीती 5 जुलाई को खेत में गाय घुसने को लेकर दो पक्षों में हुई थी मारपीट, राजनीतिक एंट्री के बाद माहौल हो गया तनावपूर्ण
क्षत्रिय समाज से जुड़े लोगों ने कल हाइवे पर किया था प्रदर्शन, काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने संभाली स्थिति
वाराणसी (रणभेरी सं.)। चौबेपुर थाना क्षेत्र स्थित छितौना गांव इन दिनों पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। गांव के चारों ओर सघन नाकाबंदी कर दी गई है और सभी छह प्रवेश मार्गों पर भारी पुलिस बल तैनात कर बाहरी लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। ब्लॉक प्रमुख समेत कई स्थानीय नेताओं के घरों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। यह सारा घटनाक्रम 5 जुलाई को खेत में गाय घुसने को लेकर ठाकुर और राजभर समुदाय के बीच हुई मामूली कहासुनी से शुरू हुआ, जिसने अब गंभीर सामाजिक और राजनीतिक रूप ले लिया है। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के हस्तक्षेप के बाद मामले ने नया मोड़ लिया। उनके दबाव में राजभर पक्ष की ओर से पहले एफआईआर दर्ज हुई, जिससे ठाकुर समाज आक्रोशित हो गया। इसके विरोध में क्षत्रिय महासभा और करणी सेना ने प्रदर्शन किया, जिसके बाद ठाकुर पक्ष की ओर से भी केस दर्ज हुआ। 11 जुलाई को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अरविंद राजभर ने डीजीपी से मुलाकात कर मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की और 12 जुलाई को वाराणसी पहुंचकर घायल राजभर पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये का चेक दिया। इसके बाद उन्होंने गांव में शक्ति प्रदर्शन किया और ठाकुर समाज द्वारा आरोप लगाया गया कि उन्होंने करणी माता और सवर्ण समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। इस घटनाक्रम से ठाकुर समाज में रोष फैल गया। करणी सेना और क्षत्रिय महासभा ने अरविंद राजभर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर 15 जुलाई को संदहा चौराहे पर जोरदार प्रदर्शन किया। इसके मद्देनजर जिले के 10 से अधिक थानों की फोर्स और दंगा नियंत्रण बल को छितौना गांव और आसपास के क्षेत्र में तैनात किया गया है। पूर्वांचल के अन्य जिलों से करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के कार्यकतार्ओं के पहुंचने की सूचना पर वाराणसी-गाजीपुर हाईवे पर भी पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है, लेकिन गांव में तनाव लगातार बना हुआ है।
हाईवे पर प्रदर्शन, पुलिस ने पहले जोड़े हाथ फिर दिखाई सख्ती:पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से करणी सेना और क्षत्रिय महासभा से जुड़े कार्यकतार्ओं के संदहा चौराहे पहुंचने की सूचना पर पुलिस प्रशासन सतर्क हो गया। सभी जिÞला सीमाओं पर नाकेबंदी कर दी गई। ब्लॉक प्रमुख अभिषेक सिंह चंचल समेत कई नेताओं को नजरबंद कर उनके घरों से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई। इसके बावजूद लगभग 80-90 कार्यकर्ता वाराणसी-गाजीपुर हाईवे स्थित संदहा चौराहे पर पहुंच गए। जय भवानी के नारे लगाते हुए उन्होंने सुभासपा नेता अरविंद राजभर के खिलाफ पुलिस से मुकदमा दर्ज करने की मांग की। प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए हाथ जोड़े और हाईवे से हटने को कहा, लेकिन जब बात नहीं बनी, तो पुलिस ने बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ दिया। इस दौरान हल्की धक्कामुक्की हुई, जिसमें एक एसीपी का बैज गिर गया। प्रदर्शनकारी हाईवे पर बैठकर नारेबाजी करने लगे, लेकिन पुलिस ने एक न चलने दी। करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस ने चौराहा खाली कराया और प्रदर्शनकारियों को हटाया। पूरे घटनाक्रम के दौरान क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात रहा।
पड़ोसियों के झगड़े में घुला जाति के वोटबैंक का रंग:वाराणसी के छितौना गांव में जातीय टकराव ने हिंसक रूप ले लिया। भाजपा बूथ अध्यक्ष संजय सिंह और राजभर बिरादरी के पड़ोसियों के बीच खेत में गाय घुसने को लेकर विवाद हुआ, जो मारपीट में बदल गया। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने अस्पताल में घायल राजभर पक्ष से मुलाकात की, लेकिन संजय सिंह से नहीं मिले। थाने में संजय पक्ष की एफआईआर दर्ज नहीं हुई, जिससे नाराजगी फैली। करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के कार्यकतार्ओं ने हाईवे पर प्रदर्शन किया।
पुलिस प्रशासन ने 48 घंटे मांगे क्षत्रिय महासभा का वॉकआउट
पुलिस प्रशासन ने टकराव को रोकने के लिए करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारियों को 14 जुलाई को सर्किट हाउस बुलाया। करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह रघुवंशी और क्षत्रिय महासभा युवा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह, चिरईगांव ब्लाक प्रमुख अभिषेक सिंह चंचल के साथ डीएम सत्येंद्र कुमार और डीआईजी शिवहरि मीणा ने वार्ता की। अधिकारियों ने बताया कि छितौना कांड को लेकर एसआईटी गठित कर दी गई है। मारपीट में घायल एक शख्स की हालत गंभीर है। पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच का भरोसा देते हुए अधिकारियों ने 48 घंटे की मोहलत मांगी जिसे करणी सेना ने मान लिया लेकिन क्षत्रिय सभा प्रदर्शन करने की जिद पर अड़ी रही और उसने बैठक का बहिष्कार कर दिया।
अनिल के बाद अरविंद राजभर की एंट्री ने मचाई खलबली
गावों में आए दिन पड़ोसियों के बीच होने वाले झगड़े को मंत्री की एंट्री ने राजभर बनाम ठाकुर बना दिया, उसके बाद राजभर बिरादरी की राजनीति की केंद्र सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के बेटे पूर्व राज्यमंत्री अरविंद राजभर की एंट्री ने सूबे की राजनीति में खलबली मचा दी। मामला राजभर बिरादरी का था इसलिए तत्काल डीजीपी तक पहुंच गए। पत्रक दिया और उच्च स्तरीय जांच संग दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। अरविंद राजभर के पत्रक का असर भी हुआ। लखनऊ से घंटे बजी और वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी का गठन कर दिया, थानेदार लाइन हाजिर हो गए। यहां तक तो सब ठीकठाक हुआ। दोनों राजभर मंत्रियों ने अपना रुतबा बिरादरी को दिखाया लेकिन मामला तब बिगड़ गया जब अरविंद राजभर 12 जुलाई को छितौना गांव पहुंच जाते हैं। पहले राजभर बिरादरी के पीड़ित पक्ष पर एक लाख का चेक थमांते हैं, गांव के लोगों के साथ बैठकर बातचीत करते हैं और फिर निकल पड़ते हैं काफिला लेकर गांव घूमने। यहां से फिर मामला बिगड़ गया। करणी सेना और क्षत्रिय महासभा का आरोप है कि पूर्व राज्यमंत्री अरविंद राजभर के उकसाने पर राजभर बिरादरी के लोगों ने एक बार फिर संजय सिंह के घर पर हमला बोलने की कोशिश की, फसलों को नुकसान पहुंचाया, ठाकुरों और करणी माता को मां बहन की गाली दी गई। अरविंद राजभर ने भी अपशब्द कहे जिसका सुबूत है। अरविंद के खिलाफ 15 जुलाई को प्रदर्शन का एलान किया गया। पुलिस प्रशासन ने 48 घंटे की मोहलत मांगी लेकिन बात नहीं बनी।