विद्यापीठ दीक्षांत समारोह : गुल हो गई बिजली, खराब हुआ माइक
- 18 विद्यार्थियों को दिया गया गोल्ड मेडल, 90 छात्रों को दी गई शोध की उपाधि, 97 हजार से अधिक उपाधि और रिजल्ट किए आनलाइन
वाराणसी (रणभेरी सं.)। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 46 वें दीक्षांत समारोह के दौरान बिजली कटने की चर्चा के बीच राज्यपाल से कुलपति ने दीक्षांत समारोह को आगे बढ़ाने की अनुमति मांगी। जैसे ही राज्यपाल महोदया ने अनुमति देने के लिए माइक उठाया तो माइक खराब निकला। राज्यपाल को दूसरी माइक दी गई और दूसरी माइक भी खराब निकला। ऐसे में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बिना माइक ही दीक्षांत समारोह के शुरू करने की अनुमति देते हुए घोषणा किया। वहीं, दुखी मन से कुलपति माइक लौटाते नजर आए। कुलपति प्रो. आनंद त्यागी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि बड़ी संख्या में छात्र और छात्राओं को रोजगार दिया गया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ नियमित समझौता किया जा रहा है। इसके साथ ही इस साल हमारे छात्रों ने खेलों में 100 से ज्यादा पदक जीते हैं। इस दौरान 97,252 डिग्रियां अपलोड हुईं। सभी 18 छात्र और छात्राओं को गोल्ड मेडल मिले। प्रवेश से लेकर परीक्षा से कार्य आॅनलाइन हो रहे हैं। आॅनलाइन क्लास और वेबिनार में भी आगे रहे हैं। नैक 2 के अंतिम चरण की तैयारी पूरी है। कैंपस को स्वच्छ करने का काम किया जा रहा है। इस बार इस मूल्यांकन में विश्विद्यालय को टॉप ग्रेड मिलने वाला है।
मंच पर ये मेहमान थे मौजूद
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और पॉवर कॉपोर्रेशन ग्रिड के सीएमडी आर के त्यागी मंच पर मौजूद हैं। साथ में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी और कैबिनेट उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय भी मंच पर थे।
सभी को नहीं मिल सकती सरकारी नौकरी :राज्यपाल
राज्यपाल ने कहा कि सभी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती। मेरिट और टैलेंट के आधार पर ही सीटें हैं। मेरिट के बाहर हुए छात्रों का भी सोचें। इसलिए, तकनीक और विकास से जुड़ीं योजनाओं के प्रोजेक्ट सरकार कों भेजें। सरकार का उच्च शिक्षा में बजट 1.48 लाख करोड़ है। 19025 करोड़ यूजीसी को दिया गया है। इसका फायदा उठाएं। राज्यपाल ने कहा कि जिनको सरकारी योजनाओं में पात्रता नहीं है, लेकिन व्यवसाय करना है तो उनको हर साल 1 लाख और 10 लाख रूपया बिना ब्याज मिलेगा।
म्यूजिक थेरेपी से मानसिक दिक्कत दूर होंगी
राज्यपाल ने कहा कि मेंटल दिक्कत से जूझ रहे छात्र और छात्राओं के लिए काशी विद्यापीठ में म्यूजिक थेरेपी शुरू हुई। राज्य का पहला विश्वविद्यालय है जहां इस तरह के कोर्स की शुरूआत हुई है। इसका बहुत अच्छा रिजल्ट मिलेगा। गर्भ में पल रहे बच्चों पर म्यूजिक का असर पड़ता है। उसी तरह अब नेचुरोपैथी की ओर जाने का समय है।
ग्रीन आर्मी की महिलाएं छोड़वाती हैं शराब और जुआ
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि सोनभद्र से आई ग्रीन आर्मी ने लोगों के शराब और हुआ छुड़ाने का काम करती हैं। जब ये ग्रीन साड़ी पहनकर बाहर निकलती हैं तो फिर जुवाड़ी शराबी लोग डरते हैं। नजदीक का कोई गांव पकड़ती हैं, वहां के तालाब की खुदाई करके बारिश का पानी इकट्ठा करती हैं। कोई पैसा ये लोग नहीं लेती। सिर्फ सेवा भाव से काम करती हैं। बच्चों से घर से स्कूल तक पहुंचाना और देखभाल करना इन सबकी जिम्मेदारी ये ग्रीन आर्मी की महिलाएं करती हैं। राज्यपाल में 29 सितंबर को लखनऊ स्थित राजभवन में आमंत्रित किया है। कुल 100 महिलाओं को राजभवन में बुलाया गया।
सौ फीसद डिलीवरी अस्पताल में हो
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा राज्य सरकार चाहती है कि प्रेगनेंसी की सौ फीसदी डिलीवरी हॉस्पिटल में हो। अभी तक राज्य में 85 फीसदी डिलीवरी हॉस्पिटल में हो रही है। गर्भावस्था में कई बच्चे बीमार होते हैं। उनको हॉस्पिटल की सुविधा से ही बचा सकते हैं। इससे पहले राज्यपाल ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को दो सौ किट बांटे। इस किट में एक रुमाल, कंघी, डिटॉल लिक्विड, बैंडेज है। जिससे यदि मां किसी काम में व्यस्त है तो बच्चे की देखभाल ठीक से हो सके।
दीक्षांत में कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने शिक्षकों और छात्रों के सामने सुनाया अपना दर्द
काशी विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने शिक्षको और छात्रों को संबोधित किया। इस दौरान योगेंद्र उपाध्याय ने शिक्षको को अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि आज मौजूदा समय में देश दो धाराओं में बंट गया है। एक तरफ एक व्यक्ति देश को चांद और सूरज तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहा है, तो वही एक ऐसा व्यक्ति है जो देश को जाति में बांट रहा है। उन्होंने कहा कि मैं कुछ लोगो का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन वह देश को बांट रहे है। एक व्यक्ति है, जो भारत माता की जय नही कहता और एक व्यक्ति है अमेरिका की गलियों और चौराहों पर भारत माता की जय का उद्घोष करवा रहा है। कुछ ऐसे लोग भी देश में है,जो देश को बांटने में लगे गई। ऐसे में शिक्षक का कर्तव्य है, कि समाज किस धारा में जाए यह उन्हें बताना और शिक्षित करना है।