बेरोजगारी, पेपर लीक के मुद्दे पर युवाओं ने सरकार को घेरा
प्रयागराज । चाय पर चर्चा के दौरान लोगों ने लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर मतदान करने का आह्वान किया। साथ ही सरकार के कार्यों की सराहना और आलोचना भी की गई। 'सत्ता संग्राम' के तहत शनिवार को प्रयागराज के इंडियन प्रेस चौराहे पर आयोजित चाय पर चर्चा के दौरान प्रतियोगी छात्रों, बेरोजगारों, युवाओं, व्यापारियों और बुद्धजीवियों से बातचीत की गई। जिसमें लोगों ने बेबाकी से अपनी बात रखी। युवाओं ने जहां बेरोजगारी का मुद्दा उठा कर दो करोड़ प्रतिवर्ष नौकरी देने के वादे की याद दिलाई, तो महिलाओं ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर योगी सरकार की सराहना की। एक बात सभी ने कही कि हमें लोकतंत्र की मजबूती के लिए बढ़ चढ़कर मतदान करना चाहिए। चर्चा के दौरान गर्मा गरम बहस हुई और सरकार की नाकामियों के साथ ही उनके अच्छे कार्यों की सराहना की गई। पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर भी लोगों ने सरकार को घेरा और इसके गंभीर परिणामों के बारे में चर्चा की।
प्रयागराज का अस्तित्व खतरे में, सरकार को नहीं है चिंता
समाजसेवी अचल अग्रवाल ने कहा कि शहर में पर्यावरण पर संकट मंडरा रहा है। पेड़ शहर में काटे जा रहे हैं और इसकी भरपाई के लिए पौधरोपण नहीं हो रहा है। पौधे लगए भी जा रहे हैं तो झूंसी में। इसका कोई मतलब नहीं है। प्रयागराज को सुधारने के नाम पर बर्बाद किया जा रहा है। जनता की नहीं सुनी जा रही है। अधिकारी मनमानी पर उतारू हैं। शहर को बर्बाद करके अधिकारी तो चले जाएंगे, लेकिन इसका खामियाजा तो यहां रहने वाले लोग भुगतेंगे। हाईकोर्ट का आदेश है कि कोई भी संस्था जितने पेड़ काटेगी उसके दस गुना पेड़ लगाकर भरपाई की जाएगी, लेकिन इस पर कोई अमल नहीं हो रहा है। पर्यावरणविद् और समाजसेवी कमलेश सिंह ने कहा कि देश में सबसे बड़ा बलिदान करने वाली नगरी प्रयागराज है। गंगा और यमुना से इसकी पहचान है। प्रयागराज का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। छतरपुर में केन और बेतवा नदी पर बांध बनाए जाने से यमुना का पानी कम हो जाएगा। इसका सीधा असर प्रयागराज पर पड़ने वाला है। यमुना को केतली नदी और चंबल नदी को पार्वती नदी में जोड़ा जा रहा है। इसका असर यह होगा कि दस साल बाद प्रयागराज का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा। कमलेश सिंह ने कहा कि एनजीटी भी यमुना नदी के अस्तित्व को लेकर चिंतित है और इसको लेकर नोटिस जारी किया है। कोरोना काल में आॅक्सीजन का संकट पैदा हो गया था। इसी तरह से पेड़ कटते रहेंगे और पर्यावरण पर संकट गहराता रहेगा तो आॅक्सीजन का फिर संकट खड़ा होगा और लोगों शुद्ध हवा भी आने वाले समय में नसीब नहीं होगी।
विकास पर नहीं, धर्म के नाम पर मांगे जा रहे वोट
कांग्रेस नेता किशोर वार्ष्णेय ने कहा कि हमे संविधान और देश को बचाने के लिए बढ़ चढ़कर मतदान करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि जो सरकारी कर्मचारी मतदान न करे उसका एक माह का वेतन काट लेना चाहिए और जो मतदान करे उसको एक दिन की ज्यादा सैलरी देनी चाहिए। इससे मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म का प्रयोग बहुत की घातक है। मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाकर लोगों की भावना से खिलवाड़ कर हिंदू, मुस्लिम, पाकिस्तान, राम मंदिर और धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है। इससे जाहिर होता है कि सत्ता पक्ष के पास विकास के नाम पर काम गिनाने के लिए कुछ नहीं है। इसलिए वह चुनाव के समय विकास की बात न करके धर्म की बात कर रहे हैं। मटन, चिकन, मछली और मंगलसूत्र का मुद्दा उठाकर, राजनीति अब सबसे घटिया स्तर पर पहुंच गई है। क्या सरकार के पास विकास के नाम पर बताने के लिए अब कुछ नहीं बचा है?
प्रतियोगी छात्रों से बदला ले रही है सरकार
प्रतियोगी छात्र अभिषेक शुक्ला ने कहा कि सरकार प्रतियोगी छात्रों से बदला ले रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हर वर्ष दो करोड़ बेरोजगारों को नौकरी देने का वादा किया था। जिसके झांसे में आकर बेरजोगारों ने सरकार का समर्थन किया। पांच साल बीत जाने के बावजूद न नौकरी मिली न ही भर्ती निकली। छात्रों के साथ छल किया गया है। छात्र दस बाई दस के कमरे में पूरी जिंदगी बिता रहे हैं और भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो जा रहा है। चार साल से छात्र आरओ-एआरओ भर्ती परीक्षा का इंतजार कर रहे थे और तैयारी में लगे थे। छात्र परीक्षा देकर निकले तो पता चला कि पेपर पहले ही लीक हो गया है, ऐसे परिवारों पर क्या गुजर रही है? हद तो यह है कि सरकार पेपर लीक हुआ यह मानने के लिए तैयार नहीं है। दस दिनों तक धरना प्रदर्शन और आंदोलन के बाद जब सरकार की नींद खुली तो परीक्षा को निरस्त किया गया। प्रतियोगी छात्र कौशल सिंह ने कहा कि सलोरी में शहर के सीवर का गंदा पानी बिना किसी शोधन के सीधे गंगाजी में गिराया जा रहा है। जिले में आज तक एम्स नहीं है। प्रयागराज कभी देश और प्रदेश की राजधानी हुआ करता था। वादा तो बुलेट ट्रेन और मेट्रो ट्रेन का किया गया, लेकिन आज तक इसका पता नहीं है। प्रतियोगी छात्रों के साथ छल किया जा रहा है। तीन प्रतियोगी परीक्षाओं आरओ-एआरओ, पुलिस भर्ती, पीसीएस का पेपर लीक हो गया। छात्रों के साथ अन्याय किया जा रहा है। यूथ और बेरोजगारो के मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मुख्य मुद्दे से भटकाकर जनता को गुमराह करने का कार्य किया जा रहा है। चार सौ सीट का नारा दिया जा रहा है, जैसे कि यह पहले से फिक्स हो। यह मतदाता तय करेंगे कि चार सौ सीट मिलेंगी कि चालीस सीट।