काशी में गूंजा 'गणपति बप्पा मोरिया' जयकारा
- गणेश चतुर्थी के रंग में रंगा शिव की नगरी
- 10 दिन तक चलने वाला गणेश चतुर्थी पर्व आज से शुरू
- आज से पंडालो में गजानन की प्रतिमाएं हुई विराजमान
(रणभेरी): पूरे देश में आज गणेश चतुर्थी की धूम हैं, क्या आम और क्या खास, सभी बप्पा के प्रेम में रंगे हुए हैं। पंडालो में गजानन की प्रतिमाएं विराजमान हो गई है। पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम हैं, क्या आम और क्या खास, सभी बप्पा के प्रेम में रंगे हुए हैं। कुछ जगहों पर विघ्नहर्ता की स्थापना हो गई है तो कुछ जगहों पर स्थापना की तैयारी हो रही है। पीएम मोदी ने भी गणेश पर्व पर सबको बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया है कि 'गणेश चतुर्थी की ढेरों शुभकामनाएं। गणपति बप्पा मोरया!'। करीब एक सप्ताह से 10 दिन तक चलने वाला गणेश चतुर्थी पर्व आज से को शुरू हो जाएगा। जिसको लेकर युवाओं में खासा उत्साह है। वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों ज्ञानपुर, गोपीगंज, भदोही, खमरिया, सुरियावां सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में पंडाल भी बनाए गए हैं। मंगलवार शाम को कई जगहों पर प्रतिमा लेकर युवा पंडाल पर पहुंचे। गणपति बप्पा मोरिया का भक्त जयकारा लगा रहे थे। बुधवार से मंदिरों और पंडालों में विधि विधान से पूजन शुरू हो जाएगा।
मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि पर विध्नहर्ता और मंगलमूर्ति भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण से सभी चतुर्थी में इसका विशेष स्थान है। इस बार की भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी बहुत ही खास और शुभ फल देने वाली है। 300 साल बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ संयोग बना रहा है। दरअसल इस बार गणेश चतुर्थी तिथि पर वही शुभ योग और संयोग बना हुआ है जो गणेशजी के जन्म के समय बना था। भगवान गणेश का जन्म बुधवार के दिन, चतुर्थी तिथि, चित्रा नक्षत्र और मध्याह्र काल में हुआ था।
- गणपति स्थापना पूजा का शुभ मुहूर्त
गणपति की स्थापना के 5 शुभ मुहूर्त हैं और इनमें से सुबह 11:20 बजे से दोपहर 01:20 बजे तक का मुहूर्त सबसे ज्यादा शुभ है. इसके अलावा 4 और शुभ मुहूर्त हैं।
सुबह 6 से 9 बजे तक
सुबह 10:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक
दोपहर 03:30 बजे से शाम 5 बजे तक
शाम 6 से 7 बजे तक
- ऐसे करें गणेश पूजा
गणेश पूजा में कुमकुम, अक्षत, अष्टगंध, गंगाजल, चंदन, वस्त्र, पंचामृत, मौली, सूखे मेवे, फल, मोदक, लड्डू, दूर्बा, घी का दीपक, हार-फूल, धूप बत्ती आदि अर्पित किए जाते हैं. यदि इतना सब कुछ जुटाना संभव ना हो तो चौकी पर स्वस्तिक बनाकर एक चुटकी चावल रखें. उस पर मौली लपेटी हुई सुपारी रखें. फिर इन सुपारी गणेश की पूजा करें. इसके बाद भगवान को दूर्बा और मोदक अर्पित करें. इस दौरान ध्यान रखें कि दूर्बा और मोदक अवश्य चढ़ाएं क्योंकि इसके बिना गणेश जी की पूजा अधूरी होती है. वहीं गणेश जी को तुलसी और शंख से जल न चढ़ाएं, ऐसा करना अशुभ होता है।