वाराणसी में रमना प्लांट का ट्रायल सफल, 200 टन घरेलू कचरे से बना 70 टन कोयला
वाराणसी (रणभेरी): जी-20 सम्मेलन के पहले वाराणसी को एक नई उपलब्धि मिली है। लगातार 72 घंटे के परीक्षण में हरित कोयला योजना पास हो गया है। अब रोज 600 टन सॉलिड वेस्ट से 200 टन कोयला बनाया जाएगा। यह काम नवंबर, 2023 में शुरू होगा। वाराणसी के रमना स्थित 200 करोड़ की लागत से बने और 16 एकड़ में फैले प्लांट में कचरा डिपोजिट किया जाएगा। यह सॉलिड वेस्ट के रूप में होगा, जिसे कि वहां पर वाराणसी म्यूनिस्पल कॉर्पोरेशन द्वारा डंप किया जाएगा। उस कचरे को प्रॉसेस कर कोयला बनाया जाएगा। यह प्लांट और प्रोजेक्ट NTPC द्वारा चलाया जा रहा है। जिसका नाम है 'वाराणसी हरित कोयला परियोजना'। कार्यदायी संस्था मैकावर बीके के महाप्रबंधक चंदर उदय सिंह ने बताया कि नगर निगम से मिले 200 टन कचरे से पहली बार में 70 टन कोयले का उत्पादन हुआ। कचरा गीला होने के कारण उत्पादन कम हो पाया है। एनटीपीसी के वरिष्ठ प्रबंधक आशीष रंजन ने बताया कि पहली इकाई का परीक्षण सफल रहा है। जल्द ही अन्य इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
इससे पहले अक्टूबर, 2022 में भी एक ट्रायल हुआ था। लगभग 6 टन कचरे से 3 टन कोयला बना था। प्लांट को डिजाइन करने और इसे बनाने वाली कंपनी मैकाबर बीके नोएडा के एक अधिकारी ने बताया कि प्लांट के दूसरे परीक्षण में 50 कर्मचारी दिन-रात लगे थे। अब जल्दी ही इस प्लांट से बनने वाले कोयले से बिजली बनाकर वाराणसी के घरों में सप्लाई की जाएगी। वाराणसी के अधिशाषी अभियंता ने बताया कि आधुनिक तरीके से बने प्लांट से कूड़े की दुर्गंध नहीं आएगी। किसी भी प्रकार की विषैली गैस नहीं निकलेगी। वाराणसी म्यूनिस्पल कॉर्पोरेशन द्वारा NTPC को सॉलिड वेस्ट उपलब्ध कराया जाएगा। इसी से कोयला बनेगा। इस प्रोजेक्ट में कुल 3 यूनिट होगी। इसमे एक यूनिट स्टैंडबाई में रहेगा। इस प्लांट के शुरू होने से करीब 50 लोगों को रोजगार, जबकि इंडायरेक्टली सैकड़ों लोगों के हाथ में कुछ-न-कुछ काम आएगा।