वाराणसी के घाटों पर आज पितरों की अंतिम विदाई,गंगा में स्नान कर लोग कर रहे तर्पण और पिंडदान-श्राद्ध
वाराणसी (रणभेरी): आज पितृपक्ष का अंतिम दिन है।जिसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि आज के दिन किए गए श्राद्ध और दान से पितरों की आत्माएं जीवन और मरण के चक्र से मुक्त हो जाती हैं। सर्व पितृ अमावस्या को पितृ पक्ष का समापन होता है। ऐसे में आज के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने, पितरों को तर्पण करने और दान-दक्षिणा देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वाराणसी में पितृ विसर्जन के मौके पर घाटों पर काफी श्रद्धालु उमड़े हैं।रविवार सुबह से ही लोग अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर रहे हैं। बाढ़ के बीच गंगा घाट पर पूजा की सामग्री लिए बैठे लोग तरह-तरह के अनुष्ठानों से अपने पूर्वजों को अंतिम विदाई दे रहे हैं।
अस्सी घाट स्थित बटुक महराज ने बताया, "आज पितरों की अंतिम विदाई की चल रही है। इस दिन को विसर्जनी या महालया अमावस्या भी कहा जाता है। जिन लाेगों को पूरे पितृपक्ष के दौरान छुट्टी नहीं मिलती है, वो अमावस्या यानी की आज के दिन श्राद्ध करते हैं। पूजा का विधान बहुत विशिष्ट होता है। पूजा-पाठ में कई सामग्रियां इस्तेमाल होती हैं। तिल, जौ, मधु, आटा गुड़ और घी आदि चढ़ाकर पितरों की शांति का पाठ करते हैं।