तीन साल बाद नवनिर्मित स्थान पर विराजे मूंगे वाले हनुमान
वाराणसी(रणभेरी)। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पुतलीबाई मंदिर के खंभे की 'बेड़ियों' में तीन साल से जकड़े संकट मोचन अपने नवनिर्मित स्थान पर शनिवार को विराजमान हो गये। धाम स्थित पुतलीबाई मंदिर के बाहर हनुमान चबूतरा पर पवनपुत्र को विराजमान कराया गया। शनिवार को मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने धाम स्थित पुतलीबाई मंदिर के सम्मुख मूंगे वाले हनुमान जी महाराज का विधि-विधान से पूजन-अर्चन करके स्थापित कराया। दक्षिणमुखी हनुमान पुतलीबाई मंदिर में स्थित महादेव की ओर उन्मुख हो निरंतर विराजमान हुए। हनुमान जी 40 इंच लंबे और 12 इंच चौड़े स्थल पर स्थापित हुए है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले ही संकट मोचन के दर्शन भक्तों को होंगे।
350 वर्ष पुरानी है महाबली की प्रतिमा
काशी विश्वनाथ से लेकर सारनाथ तक, संकट मोचन से लेकर पिशाच मोचन तक, गंगाघाटों से लेकर के राजघाट तक हनुमान जी के ऐतिहासिक मंदिर और प्रतिमाएं हैं। इन प्राचीन प्रतिमाओं में मूंगा वाले हनुमान जी की प्रतिमा लगभग 350 साल पुरानी है। धार्मिक विद्वानों की माने तो हनुमान जी की प्रतिमा मूंगे से निर्मित है। इसमें बजरंगबली के महाबली होने को दशार्या गया है। जिसमें उनके कंधों पर राम-लक्ष्मण विराजमान हैं। वहीं पैरों में पाताल भैरवी हैं, तो उनके पुत्र मकरध्वज है।