चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन: वाराणसी में मां चंद्रघंटा और सौभाग्य गौरी के दर्शन-पूजन को उमड़े श्रद्धालु
वाराणसी (रणभेरी): चैत्र नवरात्रि का आज तीसरा दिन है। आज तृतीया तिथि पर सौभाग्य गौरी के दर्शन का विधान है। यानि मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा सुशोभित होता है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनकी उपासना करने से भय और नकारात्मक शक्तियों का अंत हो जाता है। मां चंद्रघंटा को देवी पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है। मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं। माता का शरीर सोने के समान चमकता है। उनकी 10 भुजाएं है। उनकी चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार,और कमंडल है वहीं, पांचवा हाथ वर मुद्रा में है। जबकि, मां की अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला हैं और पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है। इनके दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की है।
वाराणसी में मां चंद्रघंटा और सौभाग्य गौरी के दर्शन-पूजन के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु कतारबद्ध हैं। मंदिर क्षेत्र में माता के जयकारे गूंज रहे हैं। सौभाग्य गौरी का विग्रह विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी स्थित सत्यनारायण मंदिर परिसर में प्रतिष्ठित है।देवी के इस स्वरूप के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है। कहते हैं 108 दिन लगातार देवी के दर्शन से मनोरथ विशेष अवश्य पूर्ण होता है। चौक स्थित प्राचीन माता चंद्रघंटा के मंदिर में सुबह छह बजे के बाद से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है। श्रद्धालुओं को अखंड सौभाग्य और सुख प्रदान करने वाली सौभाग्य गौरी से भक्तों ने घर बैठे भी पूजन कर आशीर्वाद मांगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि बाबा दरबार परिक्षेत्र स्थित मंदिर में दर्शन पूजन की मान्यता होने की वजह से सौभाग्य गौरी का दर्शन पूजन सोमवार की सुबह नवरात्र के तीसरे दिन लोग कर रहे हैं।
नवरात्र के मौके पर मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया और संवारा गया है। कॉरिडोर परिसर में निर्माण के बाद भी सौभाग्य गौरी की मान्यता की वजह से सत्यनारायण मंदिर में लोगों की आस्था बनी हुई है। बाबा दरबार आने वाले लोग सौभाग्य गौरी का दर्शन और पूजन सत्यनारायण मंदिर में जाकर कर रहे हैं। उनके दर्शन मात्र से मानव जीवन में सौभाग्य का आगमन होता है और जीवन सफल हो जाता है।