पहलगाम आतंकी हमले से चहुंओर शोक की लहर

पहलगाम आतंकी हमले से चहुंओर शोक की लहर

वाराणसी (रणभेरी सं.)। पूर्व जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों को पूरे देश में श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर आयोजित गंगा आरती के दौरान आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई। मां गंगा की आरती करने वाले सात अर्चकों के साथ हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने दो मिनट का मौन रखकर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की। वही, अस्सी घाट पर भी हजारों पर्यटकों ने जय मां गंगा सेवा समिति के आरती में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। गंगा सेवा निधि की ओर से आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सातों अर्चकों ने मां गंगा में दीपदान कर दिवंगत आत्माओं को नमन किया। घाट पर उपस्थित हर व्यक्ति की आंखें नम थीं और माहौल भावुकता से भर गया था। इस दौरान विदेशी पर्यटकों ने भी मृतक आत्माओं को श्रद्धांजलि दी। गंगा आरती के इस विशेष आयोजन ने यह संदेश दिया कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता और बनारस की गंगा-जमुनी तहजीब हमेशा एकजुट रहकर हर दुख का सामना करती रहेगी।
27 पर्यटकों की हुई है मौत
पहलगाम में मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले में 27 लोगों की मौत हो गई। 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। हमला उस वक्त किया गया, जब बैसरन घाटी में बड़ी तादाद में पर्यटक मौजूद थे। मृतकों में यूपी, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के पर्यटक हैं। नेपाल और यूएई के एक-एक टूरिस्ट और 2 स्थानीय भी मारे गए।

कश्मीर में आतंकवाद पुन: लौट आया है : स्वामी नरेंद्रानंद

सुमेरू पीठाधीश्वर स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा - भारत का ललाट कश्मीर है पहलगाम शिव और शक्ति का उपदेश स्थल है। उन्होंने कहा कि वहां भगवान शिव ने नंदी को छोड़ा था। ? उन्होंने कहा कि वहां पर जो घटना हुई वह वहां के व्यवसाय एवं पर्यटकों पर हमला है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद के लौटने का संकेत है उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल जल सेना वायु सेना और थल सेना को छूट दे। आतंकवादियों को संरक्षण देने वालों पर भी कड़ी कार्रवाई होना चाहिए। आतंकवादियों को होने की भाषा में जवाब देने की जरूरत है। 
उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि गृह मंत्रालय इस पर सक्रिय हो और जल्द से जल्द सटीक जानकारी करके आतंकी सेंट्रो पर हमला करना चाहिए। स्वामी नरेंद्रानंद ने कहा - हम सभी संत यह मांग करते हैं कि जो घायल हैं उनका अच्छे से इलाज किया जाए। जिन लोगों का निधन हुआ है उन्हें 5 करोड रुपए मिलना चाहिए उनके परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वहां जाति नहीं पूछा गया बल्कि धर्म पूछ कर लोगों को मारा गया है। 

सैलानियों पर आतंकी हमले के विरोध में वाराणसी में निकाली गई रैली

हाल ही में कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए क्रूर आतंकी हमले में लगभग 30 निर्दोष हिंदू श्रद्धालुओं की निर्मम हत्या से आहत होकर गुरुवार को वाराणसी में आजाद - आशा की एक किरण परिवार, अतुल्य काशी परिवार, और श्री बाबा काशी विश्वनाथ सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक विरोध रैली का आयोजन किया गया। यह रैली प्रात: 7 बजे सिगरा स्टेडियम के सामने 'सुविधा साड़ी' की चाय की दुकान से प्रारंभ होकर तिलक जी की मूर्ति तक पहुंची। सैकड़ों की संख्या में जागरूक नागरिकों, युवाओं, समाजसेवियों एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। मीडिया को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने निम्न बातों पर बल दिया। प्रकाश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आज का दिन केवल शोक का नहीं, यह प्रतिज्ञा का दिन है। हम आतंक के इस चेहरे को कभी स्वीकार नहीं करेंगे। हमारी चुप्पी अब टूट चुकी है। प्रवीण वर्मा ने कहा कि अगर किसी को केवल इसलिए मारा जाए क्योंकि उसके हाथ में कलावा है या वह कलमा नहीं पढ़ सकता तो यह स्पष्ट रूप से धर्म आधारित आतंकवाद है। अब हिंदू समाज चुप नहीं रहेगा। मंगल सिंह ने कहा कि समय आ गया है कि हर नागरिक आत्मरक्षा के लिए तैयार हो, संगठित हो। हमें अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी। 

मोदी जी शुक्रिया, पाकिस्तान का पानी बन्द कर दिया

वाराणसी (रणभेरी सं.)। पहलगाम की आतंकी घटना ने पूरे देशवासियों को झकझोर दिया है। युवाओं में सबसे ज्यादा बेचैनी है। विशाल भारत संस्थान के युवा परिषद ने जिला मुख्यालय पर पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोगों को जागरूक करने के लिए उस पोस्टर को जगह-जगह चिपकाया , जिस पर एक महिला अपने पति के लाश के साथ बैठी है। हृदय विदारक दृश्य देखकर लोगों का कलेजा फट गया। युवा परिषद के प्रदेश प्रमुख विवेकानंद सिंह के नेतृत्व में युवा सामाजिक कार्यकर्ता सड़क पर उतरे। हिन्दुओं के मानवाधिकार को लेकर चिंतित युवाओं ने पाकिस्तान का पुतला फूंका और आतंकियों के खिलाफ नारे लगाए। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद मुदार्बाद के नारे लगाए। पाकिस्तान में छुपा बैठा आतंकी सैफुल्ला को खुली चुनौती दी। आतंकी मुखालफत मार्च निकालकर संदेश दिया कि युवाओं में बहुत आक्रोश है। पाकिस्तान को सबक सिखाओ सरकार, सिंध हमारा है, गिलकित हमारा है, पीओके हमारा है, उसे कब लोगे सरकार के नारे लगे। लश्कर-ए-तैयबा को जहन्नुम भेजो, जैश-ए-मोहम्मद को जहन्नुम भेजो के नारे लगे। इस अवसर पर युवा परिषद के प्रदेश प्रमुख विवेकानन्द सिंह ने कहा कि ये आतंकी डर का व्यापार करते हैं। आतंकी सैफुल्ला ने अपने गुर्गों को भेजकर निर्दोष भारतीयों की हत्या कराई है, इसे हम कभी भूल नहीं पाएंगे। मोदी जी ने कड़ा एक्शन ले लिया है। अभी इनका पानी बंद हुआ है, इन सबको रोटी के लिए मोहताज होना पड़ेगा।

बाबा विश्वनाथ धाम में हुआ रूद्र पाठ

काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा सनातन धर्म को लक्षित कर किए गए पहलगाम के वीभत्स आतंकी हमले के प्रतिकार हेतु 'अति रुद्र पाठ' संपन्न किया गया। आयोजकों ने रोष एवं क्रोध के रौद्र स्वरूप में महादेव के अति रुद्र स्वरूप का आह्वान कर प्रतिकार का संकल्प लिया। शताब्दियों से धार्मिक बर्बरता के शिकार सनातन धर्मियों के आत्मबल में वृद्धि एवं सबल प्रतिकार के भाव में अभिवृद्धि का संकल्प ले कर मंत्रोच्चार के साथ श्री काशी विश्वनाथ धाम में आज अति रुद्र का आह्वान किया गया। महादेव पैशाचिक सभ्यता के नराधम अनुयायियों का प्रतिकार करने का भाव एवं आपसी मतभेदों से मुक्त आक्रामक प्रतिकार की भावना का हमें आशीष दें, यही इस आयोजन का उद्देश्य है। महादेव से यह प्रार्थना भी है कि सनातन धर्मी अपने छिने धर्मस्थल, अपमानित प्रतीक एवं नष्ट परंपराओं को पुन: प्राप्त करने हेतु भी उद्यत हों, सशक्त हों एवं सफल हों।

बीएचयू सिंह द्वार पर हुआ विरोध प्रदर्शन, पुतला दहन

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सिंह द्वार के समीप स्थित पंडित मदन मोहन मालवीय जी की प्रतिमा स्थल आज आतंकवाद के खिलाफ जन आक्रोश का साक्षी बना। पहलगाम में कल हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 27 निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई, के विरोध में पाकिस्तान और आतंकवाद का पुतला जलाकर आक्रोश व्यक्त किया गया। भाजपा नेता सुधीर सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि काशी का नेतृत्व स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी करते हैं। आज काशी शोक में है, पीड़ा में है। पाकिस्तान की यह कायरतापूर्ण हरकतें अब और सहन नहीं की जा सकतीं। यह कोई सामान्य आतंकवाद नहीं बल्कि धार्मिक आतंकवाद है, जहाँ नाम, धर्म पूछकर लोगों की हत्या की गई। अब 27 के बदले 2700 आतंकवादियों को पाकिस्तान में घुसकर मारने का समय आ गया है। कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे पूर्व अध्यक्ष, सेंट्रल बार एसोसिएशन विवेक शंकर तिवारी ने कहा, ह्अब वक्त आ गया है कि भारत सरकार फिर से एक्शन मोड में आए, जैसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की गई थी। जब तक पाकिस्तान में 2700 आतंकवादियों की लाशें नहीं गिरेंगी, तब तक देश के नागरिकों को चैन नहीं मिलेगा। हमारे प्रधानमंत्री का यह संसदीय क्षेत्र है तो उनके संसदीय क्षेत्र के लोग कैसे चैन से बैठेंगे हम सभी लोग निर्दोष लोगों को जिस प्रकार से उनको गोली मारा गया उनकी हत्या की गई और निंदा करने के साथ इसका प्रतिरोध लेने का वक्त आ गया है कि हम लोग बदल लेंगे।

आतंकी हमले पर काशी के साधु-संतों में भी आक्रोश 

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादी हमला हुआ था। इस भयावह हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया है। हमले में 26 लोगों की मौत हो हुई है, जबकि 17 लोग घायल भी हुए हैं। आतंकियों का शिकार बने अधिकतर लोग पर्यटक थे, जो अपने परिवारों के साथ यहां घूमने आए थे। इस घटना के बाद से ही पूरे देश में शोक है। वहीं,इस घटना पर साधु-संतों एवं शंकराचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- नेताओं को बार-बार यह कहते सुना गया है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। लेकिन, पहलगाम की इस घटना ने प्रमाणित कर दिया है कि आतंकवाद का धर्म होता है। वहां लोगों का धर्म पूछकर उन्हें मारा गया। जिन्होंने अपने धर्म को छिपाने की कोशिश की, उनके कपड़े उतरवाकर जांच की गई और गोली मार दी गई। यह कोई वैचारिक दृष्टिकोण नहीं है, बल्कि राक्षसी प्रवृत्ति है। आतंकवाद शब्द तक इन पर लागू नहीं होता, इन्हें राक्षस कहना चाहिए। इस तरह की नृशंस घटनाएं कोई इंसान नहीं कर सकता, केवल राक्षसी मानसिकता ही ऐसा कर सकती है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सरकार और राजनीतिक नेतृत्व पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं ने देश को आश्वस्त किया कि कश्मीर अब सुरक्षित है और वहां स्वर्ग की वादियों का आनंद लिया जा सकता है, उनके बयानों पर भी विचार होना चाहिए। जो लोग वहां रोजगार देने गए थे, उनके साथ इस तरह की क्रूरता क्यों हुई? उन्होंने यह भी कहा कि यह समय हिंदू समाज के लिए आत्मचिंतन का है। घटना के बाद वीरता भरे बयान देना आसान है, लेकिन असली सवाल यह है कि उस समय प्रशासन कहां था?