रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे... और झूम उठे श्रोता

रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे... और झूम उठे श्रोता

वाराणसी (रणभेरी सं.)। संकट मोचन संगीत समारोह के 102वें संस्करण में रविवार की शाम राग को देखने का अरमान पूरा हुआ। संगीत रसिकों का यह अरमान रामपुर घराने के वर्तमान प्रतिनिधि अरमान खान ने अपनी गायिकी से पूरा किया। गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुए अरमान ने अपने गायन से श्रोताओं को संगीत के उत्कर्ष की अनुभूति कराई। शुरूआत बनारस घराने से ताल्लुक रखने व प्रयागराज निवासी ऋषि वरुणा मिश्रा के गायन से हुआ। उन्होंने अपने गायकी का आगाज 'तुम संग लागी नैना श्याम...' से किया। तबला पर अंशुल प्रताप सिंह, सारंगी पर बनारस के युवा विनायक सहाय व हारमोनियम पर विशाल विश्वकर्मा ने किया। ऋषि मिश्रा ने राग शुद्ध कल्याण की अवतारणा की। उन्होंने विलंबित ख्याल में 'शिव शंकरा' बंदिश सुनाने के बाद द्रुत तीन में 'मन में विराजे राम' और एक ताल 'जय प्यारे हनुमान' बंदिशें पेश की। समापन भजन 'चलो रे मन गंगा जमुना तीर' से की। समारोह की परंपरा के अनुसार उन्हें ठीक साढ़े सात बजे मंच प्रदान कर दिया गया लेकिन साज मिलाने में लगे अत्यधिक समय के कारण पहला ही कार्यक्रम आधे घंटे विलंबित हो गया। जबकि उन्हें कुल 45 मिनट का समय दिया गया था। देर से शुरू करने के बाद भी उन्होंने करीब 50 मिनट गायन किया। 

  इसके चलते सूची में प्रथम स्थान पर तय नयनिका घोष के कथक का कार्यक्रम तब शुरू हो सका जब उसके समाप्त होने का समय निर्धारित था। दूसरी प्रस्तुति में लखनऊ घराने की कथक नृत्यांगना नयनिका घोष (दिल्ली) ने अपनी प्रस्तुति अपने गुरुजन पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज एवं पं. विजयशंकर को समर्पित की। भगवान श्रीराम की नृत्यमय वंदना से आरंभ करने के बाद उन्होंने श्रीराम चरित मानस के सुंदरकांड में सीता-हनुमान संवाद प्रसंग को नृत्य के माध्यम से अभिव्यक्ति दी। परंपरागत कथक के अंतरगत उन्होंने तीन ताल में उठान, आमद, परन, रेला, चक्करदार परन, फरमाईशी परन, घुंघरु ओं का चलन दिखाया। इसके बाद उन्होंने पं. बिंदादीन महाराज की ठुमरी 'मुझे छेड़ो न नंद के सुनह छैल' पर भावनृत्य से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। उनके साथ तबला पर उस्ताद अकरम खां, पखावज पर महावीर गंगानी, सितार पर रईस खां ने संगत की। 

बोलपढ़ंत मयूख भट्टाचार्य और गायन समीउल्ला खां ने किया। इसके अतिरिक्त कोलकाता के अभिषेक लाहिड़ी का सरोद वादन, कोलकाता के ही अरमान खान का गायन, इसके अतिरिक्त तरुण भट्टाचार्या का संतूर वादन, पं. जयतीर्थ मेउन्डी का गायन, पुणे की शहाना बनर्जी का सितार वादन और पं. संजू सहाय के तबला वादन की प्रस्तुतियों ने भोर तक श्रोताओं को बांधे रखा।

समापन आज, शामिल होगे अनूप जलोटा, साजन मिश्र समेत अन्य कलाकार संकट मोचन संगीत समारोह-2025 का समापन आज होगा। जिसमें प्रमुख कलाकारों में भजन सम्राट अनूप जलोटा के साथ ही पं. साजन मिश्र का गायन व पं. रोनू मजुमदार का बांसुरी वादन होगा।

घुंघरुओं की झनकार ने श्रोताओं को रिझाया

दूसरी प्रस्तुति में लखनऊ घराने की कथक नृत्यांगना नयनिका घोष ने अपनी प्रस्तुति अपने गुरुजन पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज एवं पं. विजयशंकर को समर्पित की। भगवान श्रीराम की नृत्यमय वंदना से आरंभ करने के बाद उन्होंने श्रीराम चरित मानस के सुंदरकांड में सीता-हनुमान संवाद प्रसंग को नृत्य के माध्यम से अभिव्यक्ति दी। परंपरागत कथक के अंतरगत उन्होंने तीन ताल में उठान, आमद, परन, रेला, चक्करदार परन, फरमाईशी परन, घुंघरुओं का चलन दिखाया। इसके बाद उन्होंने पं. बिंदादीन महाराज की ठुमरी मुझे छेड़ो न नंद के सुनहु छैल पर भावनृत्य से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। उनके साथ तबला पर उस्ताद अकरम खां, पखावज पर महावीर गंगानी, सितार पर रईस खां ने संगत की। बोलपढ़ंत मयूख भट्टाचार्य और गायन समीउल्ला खां ने किया।

अरमान के फिल्मी गानों ने जमाया रंग

उस्ताद इनायत हुसैन खान द्वारा स्थापित रामपुर सहसवान घराना की गायिका का रंग संकट मोचन के दरबार में रविवार की रात जमा लगातार तीसरे साल प्रस्तुति के दौरान उन्होंने राग गोरखकल्याण के स्वरूप को निखार प्रदान किया। स्पष्ट बोल और तरह-तरह की तानों का मिश्रित प्रयोग उनके गायन की विशेषता रही। अरमान खान ने आलाप के दौरान ही अरमान ने अपने घराने की खासियतों का परिचय दिया। विलंबित लय की बंदिश आए प्रीतमवा और अपने माता-पिता के नाम से सजी बंदिश गाने के बाद उन्होंने कई चर्चित रचनाओं का गायन किया।
रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे और बसरेगा सावन झूम झूम के जब गाया तो भाव विभोर श्रोता भी उनके साथ सुर में सुर मिलाने लगे। दीर्घा में बैठे हर वय के श्रोता ऐसा करते दिखे। उनके साथ तबला पर दिल्ली के सुरजीत सिंह, संवादिनी पर ललित सिसोदिया और सारंगी पर काशी के विनायक सहाय ने सधी हुई संगत की।

राम की आराधना से गूंजा हनुमान दरबार

संकटमोचन संगीत समारोह की पंचम निशा की शुरूआत प्रयागराज के ऋषि मिश्रा के ख्याल गायन से हुई। उन्होंने राग शुद्ध कल्याण की अवतारणा की। उन्होंने विलंबित ख्याल में ह्यशिव शंकरा बंदिश सुनाने के बाद द्रुत तीन में ह्यमन में विराजे राम और एक ताल ह्यजय प्यारे हनुमान बंदिशें पेश कीं। समापन भजन ह्यचलो रे मन गंगा जमुना तीर से की। समारोह की परंपरा के अनुसार उन्हें ठीक साढ़े सात बजे मंच प्रदान कर दिया गया लेकिन साज मिलाने में लगे अत्यधिक समय के कारण पहला ही कार्यक्रम आघे घंटे विलंबित हो गया। जबकि उन्हें कुल 45 मिनट का समय दिया गया था। देर से शुरू करने के बाद भी उन्होंने करीब 50 मिनट गायन किया। इसके चलते सूची में प्रथम स्थान पर तय नयनिका घोष के कथक का कार्यक्रम तब शुरू हो सका जब उसके समाप्त होने का समय निर्धारित था।

राग में निषाद का कोमल हुआ प्रयोग

इस संध्या का तीसरा कार्यक्रम कोलकाता के अभिषेक लाहिड़ी का सरोद वादन रहा। उन्होंने राग झिंझोटी में आलाप, जोड़ और झाला का सुरीला वादन किया। खमाज थाट के लोकप्रिय राग में वादी-संवादी स्वर के बीच बेहतरीन तालमेल उनके वादन में दिखा। पूर्वरंग प्रधान राग में संपूर्ण जाति के इस राग में निषाद का कोमल प्रयोग श्रोताओं को आनंदित कर गया। यह बात अलग है कि आरोह के दौरान वर्जित निषाद भी श्रोताओं को महसूस हुए। उनके साथ तबला पर बनारस घराने के खलीफा पं. संजू सहाय का संगत मुख्य वादन से बीस रहा। हारमोनियम पर मोहित साहनी ने साथ दिया।