भारत में सूर्य ग्रहण रहेगा अदृश्य, मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे, पितृपक्ष के अनुष्ठानों पर कोई प्रभाव नहीं

वाराणसी (रणभेरी): आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि यानि रविवार को 21 सितम्बर की रात्रि 11 बजे सूर्य ग्रहण लगेगा। ग्रहण का मोक्ष रात्रि 3.24 मिनट पर होगा। यह आंशिक सूर्यग्रहण होगा। जो भारत वर्ष के किसी भी राज्य में नहीं दिखायी पड़ेगा। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक यह ग्रहण दक्षिण आस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, अंटालिका में दिखायी पड़ेगा। ग्रहण न्यूजीलैण्ड, अमेरिका के साथ फीजी आदि देशों में दिखायी पड़ेगा। इसके पश्चात 17 फरवरी 2026 को सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। यह ग्रहण भी भारत में कहीं भी दिखायी नहीं पड़ेगा।
सामान्यत: एक पखवारे में दो ग्रहण का होना विषमताओं को दर्शाता है। पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में कहीं न कही अकल्पित घटनाओं का जोर रहेगा। राज्य सत्ता परिवर्तन एवं जाने की स्थिति भी बनती है। इसके पूर्व 7 सितम्बर की रात्रि में चन्द्र ग्रहण पड़ा था जो अन्य कई देशों में दिखायी दिया था। इसमें चीन, बंगला देश, नाइजीरिया, ब्राजील, स्पेन, इटली, जापान व अमेरिका के कुछ हिस्सों में आंशिक तौर पर दिखायी पड़ा था।
यदि तत्कालीन घटनाओं को इन ग्रहणों से जेड़ा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। सूर्य ग्रहण के भारत में अदृश्य होने पर पितृ विसर्जन के समस्त कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मंदिरों के कपाट भी खुले रहेंगे। सूर्य ग्रहण पर सूतक भी नहीं लगेगा। वर्तमान विक्रम संवंत में चार ग्रहण पड़ रहे हैं जिसमें दो चन्द्र ग्रहण व दो सूर्य ग्रहण रहेगा।