सपा के गढ़ में फिर खिला कमल, अखिलेश के हाथ से निकली विरासत की सियासत

सपा के गढ़ में फिर खिला कमल, अखिलेश के हाथ से निकली विरासत की सियासत

(रणभेरी): उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं। रामपुर से धनश्याम लोधी और आजमगढ़ से दिनेश लाल निरहुआ ने जीत दर्ज की है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 13 साल बाद बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है। निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 8679 वोटों से शिकस्त दी है। 

सपा अध्यक्ष के अखिलेश यादव के रिश्ते आजमगढ़ के उपचुनाव में इस बार मुरझा गए। भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव से जीत छीन ली। विश्लेषक मान रहे हैं कि सपा की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण सपा मुखिया अखिलेश यादव की आजमगढ़ के मतदाताओं से दूरी है। सपा अध्यक्ष के अखिलेश यादव उपचुनाव में एक बार भी आजमगढ़ नहीं आए। जिससे तदाताओं में इस बात का मलाल रहा। वही आजमगढ़ की जनता का दिल जीतने के लिए भाजपा ने चौतरफा घेरेबंदी की। शुरू से बसपा के झंडाबरदार रहे गुड्डू जमाली ने बसपा के टिकट पर मुस्लिम मतों में सेंध लगाई। आजादी के बाद दूसरी बार यहां भाजपा जीत हासिल करने में कामयाब हुई।

पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव की धरती पर कब्जा करने वाले सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव अपने अनुभवों के आधार पर आजमगढ़ में अपना झंडा बुलंद किए रहे। इसकी पुनरावृत्ति अखिलेश यादव ने भी की। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सपा का समीकरण आजमगढ़ में इस कदर रंग लाया कि यहां एक भी सीट पर गैर सपा प्रत्याशी की जीत नहीं हो पाई। लेकिन अखिलेश यादव इस भरोसे को संभाल नहीं पाए। विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव के इस्तीफे से आजमगढ़ की जनता में यह संदेश गया कि उनके लिए यह जिला ज्यादातर प्राथमिकता का नहीं है। इससे पहले भी अखिलेश आजमगढ़ में न तो ज्यादा सक्रिय हो पाए और न ही यहां की जनता के बीच अपने लगाव का संदेश छोड़ पाए।