मजबूर और जिम्मेदारों की सवारी बनकर रह गई साइकिल

मजबूर और जिम्मेदारों की सवारी बनकर रह गई साइकिल

वाराणसी (रणभेरी सं.)। बचपन में साइकिल चलाना सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि आजादी और आत्मविश्वास की पहली झलक होती है, क्योंकि बच्चा साइकिल से पूरे गांव के चक्कर लगाने के साथ खेत-खलिहान की सैर करता है। ऐसा माना जाता है कि जब तक एक बार बच्चे को साइकिल से चोट नहीं लग जाती है, तब तक वह ठीक से साइकिल चलाना नहीं जान पाता है। अक्सर हमारे आसपास इस तरह के कई उदाहरण मिलते भी रहते हैं। साइकिल चलाना हर बच्चे का एक बड़ा ख्वाब होता है। बचपन में बच्चे अपने दोस्तों के साथ साइकिल की रेस लगाते हैं। हालांकि, तेजी से बदलती दुनिया और भौतिकता ने साइकिल की सवारी को बहुत पीछे छोड़ दिया है। आजकल लोग साइकिल चलाना पसंद नहीं करते हैं। लोगों के बीचों में यह धारणा रहती है कि साइकिल से गरीब ही चलते हैं। लेकिन इसके इतर आज भी समाज में कई प्रतिष्ठित लोग साइकिल से चलना पसंद करते हैं। बशर्ते इनकी संख्या कम है, जिसकी वजह से यह मजबूरों की निशानी बनती जा रही है। भारत में साइकिल चलाने वालों की संख्या बहुत है लेकिन इनमें ज्यादातर लोग मजबूरी की वजह से साइकिल चला रहे हैं। बड़े शहरों में जहां पर्यावरणीय संकट पैदा हुए हैं, वहां लोग यदि साइकिल का इस्तेमाल करना शुरू कर दें तो स्थिति को काफी सुधारा जा सकता है। मजबूरों के साथ-साथ सेहत और पर्यावरण की चिंता करने वाले सीमित लोग भी साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। आज के समय में हर कोई ऐश-ओ-आराम से जीना चाहता है। इसलिए सभी लग्जरी गाड़ी का सपना देखते हैं और उन्हें ही चलाना चाहते हैं। इन लग्जरी लाइफ की चाह में हमारी हेल्थ को फिट रखने वाली साइकिल, सभी को चलाने में शर्म महसूस होती है। वहीं जो लोग अपने हेल्थ को लेकर एक्टिव हैं, वह ये जानते हैं कि साइकिल चलाना उनके लिए कितना फायदेमंद है। बड़ी गाड़ियां होने के बाद भी वह साइकिल चलाते हैं। हमारा यूथ भी साइकिल के फायदों को जानने लगा है, तभी हर शाम वह साइकिल चलाने के लिए बड़ा लालपुर के स्टेडियम में पहुंच जाते हैं। आज वर्ल्ड साइकिल डे पर हम एक्सपर्ट से जानते हैं कि साइकिल चलाने से हमें क्या-क्या फायदे होते हैं। बड़ा लालपुर स्टेडियम में रोज शाम 4 बजते ही साइकिल चलाने के लिए पहुंच जाने वाले बच्चों ने बताया कि साइकिल चलाना उन्हें बहुत पसंद है। 4 बजते ही वह अपनी साइकिल लेकर दोस्तों के साथ स्टेडियम आ जाते हैं। इससे अच्छी एक्सरसाइज भी हो जाती है। पियूष यादव ने बताया कि साइकिल चलाना न सिर्फ उनकी हेल्थ को फिट रखता है, बल्कि इससे पॉल्यूशन भी नहीं होता है। इसलिए वह अपने पूरे ग्रुप के साथ रोज स्टेडियम में साइकिल चलाने आते हैं। उनके ग्रुप में पांच लोग है जिनका नाम अवधेश यादव, आशा यादव, श्रृष्टि यादव और नेहा पाल है। गु्रप के मेंबर ने बताया कि वह और बच्चों को भी साइकिल चलाने के फायदे बताते हैं, तभी आज उनके ग्रुप के साथ कई और बच्चे साइकिल चलाने के लिए पहुंच जाते हैं।

स्थायी भविष्य के लिए जरूरी साइकिलिंग

हर साल लोगों को साइकिल चलाने के लिए जागरूक करने के लिए 3 जून को वर्ल्ड साइकिल डे मनाया जाता है। इस बार 2025 की थीम सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए साइकिलिंग सीधे-सीधे ये मैसेज देती है कि साइकिल सिर्फ घूमने का तरीका नहीं, बल्कि हेल्दी लाइफ जीने का स्टाइल है। जब हम साइकिल चलाते हैं, तो न सिर्फ फिट रहते हैं, बल्कि दिमाग भी फ्रेश होता है और स्ट्रेस लेवल डाउन हो जाता है। सबसे खास बात ये धरती को भी पॉल्यूशन से बचाती है। 

छुट्टियों पर 30 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं काशी के तीन अफसर

कमिश्नरेट के वरुणा जोन के डीसीपी प्रमोद कुमार रोज सुबह लगभग 10 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार और रविवार को प्रयास रहता है कि 30 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी साइकिल से तय की जाए। चुनार और उमरहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम जैसे दर्शनीय स्थलों का भ्रमण भी आसानी से हो जाता है। उन्होंने वीडीए कार्यालय से चुनार किला 35 किमी और चौबेपुर के स्वर्वेद मंदिर यानी 30 किमी के आसपास की यात्रा साइकिल से की थी। उन्होंने बताया कि साइक्लिंग से फिजिकल के साथ-साथ मेंटल हेल्थ भी ठीक रहता है। शुरू से ही साइकिल चलाना अच्छा लगता है। काशी से पहले झांसी में भी साइक्लिंग करता था। वहीं, कैंट बोर्ड के सीईओ सत्यम मोहन ने बताया कि वे और प्रमोद कुमार एक ही बैच के हैं। जबकि वीडीए उपाध्यक्ष उनके एक साल सीनियर हैं। तीनों एक साथ साइक्लिंग करते हैं और शरीर के स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं।

किस उम्र के लिए कब फायदेमंद है साइकिलिंग

बच्चे (6-14 वर्ष): स्कूल जाने से पहले सुबह 6 से 7 बजे साइकिल चलाना उनकी हड्डियों के विकास और स्टैमिना के लिए फायदेमंद होता है।

युवा (15-30 वर्ष): सुबह 5:30 से 7:30 बजे का समय बेस्ट होता है। इससे वजन कंट्रोल में रहता है और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है।

वरिष्ठ नागरिक (60+): शाम के समय 5 से 6 बजे हल्की रफ्तार से साइकिल चलाना जोड़ों की अकड? दूर करने और ब्लड सकुर्लेशन बढ़ाने में मदद करता है।

साइकिल चलाने के फायदे

  1. शारीरिक फिटनेस बढ़ती है। पैर और कमर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं
  2. दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं। ब्लड सकुर्लेशन बेहतर होता है। हार्ट और लंग्स हेल्दी रहते हैं
  3. वजन घटाने में मदद मिलती है। रोज 30-45 मिनट साइकिल चलाने से कैलोरी बर्न होती है
  4. मानसिक तनाव कम होता है। मूड फ्रेश होता है, डिप्रेशन और एंग्जायटी में राहत मिलती है

पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद

  1. ना धुआं, ना ध्वनि प्रदूषण, ग्रीन और क्लीन ट्रांसपोर्ट
  2. पैसा बचता है। पेट्रोल-डीजल की जरूरत नहीं, मेंटेनेंस भी बहुत कम
  3. हर उम्र के लिए सही है। बच्चे, युवा, बूढ़े सभी के लिए हेल्दी और सेफ एक्सरसाइज है 

रोजाना 30-40 मिनट साइकिलिंग करने से हार्ट मजबूत होता है। मोटापा कम होता है और मानसिक तनाव भी दूर होता है। यह शरीर के लगभग हर हिस्से की एक्सरसाइज है, खासकर पैर और पेट की। डॉ. ओमशंकर, कार्डियोलॉजी, बीएचयू