काशी के शिवलिंग में शिव के शरीर: भगवान की जटा के शीर्ष पर हैं ओंकारेश्वर, पैरों में हैं कालेश्वर व कपर्दीश्वर
वाराणसी (रणभेरी सं.)। सानन्दमानन्दवने वसन्तं आनन्दकन्दं हतपापवृन्दम्, वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये...।। अर्थात जो भगवान शंकर आनंदवन काशी क्षेत्र में आनंदपूर्वक निवास करते हैं, जो परमानंद के निधान और आदिकारण हैं और जो पाप समूह का नाश करने वाले हैं, मैं ऐसे अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ की शरण में जाता हूं। भगवान शिव की सबसे प्रिय नगरी काशी साक्षात शिव स्वरूप है।
कण-कण शंकर की नगरी काशी के कण-कण पर विराजमान शिवलिंग शिवभक्तों को यह बताते हैं कि नगरी का स्वरूप भगवान शिव के समान है। सहस्त्रों शिवलिंगों में से महज 18 शिवलिंगों की परिक्रमा मात्र से महादेव की परिक्रमा का फल मिलता है।
आनंदकानन काशी ढूंढे की टीम ने शिवपुराण, लिंग पुराण, काशी खंड, स्कंद पुराण समेत 10 से अधिक पुस्तकों को केंद्र में रखकर सवा महीने की खोज के बाद भगवान शिव की इस यात्रा के पथ को तैयार किया है।
हृदय के रूप में चंद्रेश्वर महादेव का शिवलिंग
सहस्त्रों शिवलिंग वाली नगरी में भगवान शिव की जटा के शीर्ष पर ओंकारेश्वर हैं तो पैरों में एक तरफ कालेश्वर तो दूसरी ओर कपर्दीश्वर महादेव विराजमान हैं। ओंकारेश्वर के नीचे जटा में ही श्रुतीश्वर, दाहिनी तरफ आदिमहादेव तो बाईं तरफ कृतिवासेश्वर महादेव विराजमान हैं।
भगवान शिव के तीसरे नेत्र के रूप में त्रिलोचन महादेव, दाहिने कान के रूप में गोकर्णेश्वर और बाएं कान के रूप में भारभूतेश्वर महादेव हैं। वहीं, आत्मा के रूप में आत्मवीरेश्वर और हृदय के रूप में चंद्रेश्वर महादेव का शिवलिंग है।
चतुर्भुज स्वरूप में विराजमान भगवान शिव के दाहिने हाथ के रूप में विश्वेश्वर और बाएं हाथ के रूप में धर्मेश्वर महादेव हैं। नाभि के रूप में मध्यमेश्वर महादेव, बाएं हाथ की भुजा के रूप में मणिकर्णिकेश्वर और दाहिने हाथ की भुजा के रूप में अविमुक्तेश्वर महादेव हैं। नितंब के रूप में ज्येष्ठेश्वर महादेव, शुक्र के रूप में शुक्रेश्वर और लिंग के रूप में केदारेश्वर महादेव हैं।
बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के धर्मशास्त्र मीमांसा विभाग के प्रो. माधव जनार्दन रटाटे और काशी करवत मंदिर के महेश उपाध्याय ने बताया कि उपरोक्त के अतिरिक्त काशी में करोड़ों शिवलिंग हैं। वे भगवान शिव के शरीर के नख, लोम और भूषण के रूप में हैं। काशी खंड 64/62 के अनुसार काशी के सभी शिवलिंग विश्वनाथ के प्रतिनिधि के रूप में स्थापित हैं।