प्रशासन खुद अपने सारे पाठ भूला, बनारस का दम फूला
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े जनसमागम के भागीदार बाबा विश्वनाथ की एक झलक के लिए बड़ी संख्या में काशी पहुंच रहे हैं। मौनी अमावस्या (29 जनवरी) करीब आने के साथ आस्थावनों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। मंगलवार को काशी विश्वनाथ धाम, कालभैरव मंदिर, दशाश्वमेध घाट के आसपास तिल भर जगह नहीं थी। लोग 12 घंटे तक इंतजार के बाद गर्भगृह तक पहुंच पाए। वहां भी बाबा की झलकभर मिल पाई। भीड़ के कारण सुरक्षाकर्मियों और सेवादारों ने उन्हें ठहरने नहीं दिया। भीड़ का आलम यह कि 24 घंटे कतार लगी है। तय समय पर बाबा का गर्भगृह भले बंद कर दिया जाए पर कतार नहीं टूट रही। जितने लोग दर्शन कर निकल रहे उससे कहीं अधिक फिर कतारबद्ध हो जा रह हैं। गंगा स्नान के बाद जो श्रद्धालु तड़के 4 बजे बाबा दर्शन के लिए कतार में लगे उन्हें शाम में दर्शन मिल सका। श्रद्धालु जब गोदौलिया पहुंचे तो उन्हें जंगमबाड़ी की ओर भेजा गया और फिर से उन्हें दशाश्वमेध में कतार लगानी पड़ी। दशाश्वमेध, गिरजाघर, जंगमबाड़ी और बांसफाटक की ओर से आ रही भीड़ के कारण कई बार गोदौलिया चौराहे पर भगदड़ की स्थिति बनी। पुलिस को बार-बार यातायात प्रबंधन का प्लान बदलना पड़ा। सोमवार को शाम करीब 4 बजे चौक थाने की ओर लगी कतार मैदागिन चौराहे तक पहुंच गई थी। बुलानाला स्थित अग्रसेन पीजी कॉलेज के पास लगी बैरिकेडिंग से आगे केवल उन्हीं को प्रवेश मिला जो कतार में लगे थे। दर्शन करके लोग वापसी तो कर पा रहे थे लेकिन धाम के गेट नंबर चार की ओर जाने की इजाजत बिना कतार के नहीं दी जा रही थी। इसके कारण शहरवासियों को दोपहिया वाहनों के साथ गलियों का रास्ता चुनना पड़ा। गोलघर, चौखंभा, ठठेरी बाजार की गलियां जाम हो गईं। यही हाल गौरी केदारेश्वर मंदिर के आसपास देखने को मिला। कालभैरव मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को कालभैरव तिराहे से जतनबर के रास्ते भेजकर गली से मंदिर के पीछे से होते हुए मुख्य द्वार तक भेजा गया। जिसके कारण श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ी। मंदिर में पांच से सात घंटे बाद ही लोग पहुंच सके।
मैदागिन से विश्वनाथ धाम तक जाने वाले मार्ग पर श्रद्धालुओं का हुजूम ऐसे उमड़ा था कि शव लेकर लोग जहां के तहां खड़े रहे। पुलिस के सहयोग से किसी तरह से लोग मणिकर्णिका प्रवेश द्वार तक पहुंचे और फिर शवदाह के लिए घाट की ओर बढ़े।
चरमराई बनारस की यातायात व्यवस्था
काशी के प्रमुख क्षेत्र जैसे गोदौलिया, मैदागिन, बुलानाला चौक, बांसफाटक, और गिरजाघर आदि पूरी तरह से जाम की चपेट में आ गए। इन इलाकों में गाड़ियों की लंबी कतारें और पैदल चलने वालों की भारी भीड़ के कारण लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में परेशानी महसूस कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जाम की समस्या के कारण वे समय पर दफ्तर नहीं पहुंच पा रहे हैं और बच्चों को स्कूल भेजने में भी काफी देर हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इस जाम की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं, जिसमें भीड़ की भयावहता दिखाई दे रही है।
भीड़ प्रबंधन की विफलता पर सवाल
काशीवासी प्रशासन की तैयारी पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जहां साइकिल चलाना भी मुश्किल हो रहा था, वहां बड़ी गाड़ियां कैसे चलने दी जा रही हैं? प्रशासन के दावे जमीन पर पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। गोदौलिया से मैदागिन मार्ग पर पुलिस ने नो व्हीकल जोन के बैनर लगाए थे, लेकिन इसके बावजूद जाम की समस्या जस की तस बनी रही।
पुलिस और प्रशासन ने बढ़ाई सख्ती
प्रयागराज महाकुंभ के बाद श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह काशी में देखने को मिल रहा है। इसे देखते हुए पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने आला अधिकारियों के साथ गोदौलिया क्षेत्र का निरीक्षण किया। उन्होंने इस दौरान आदेश दिया कि महाकुंभ के दौरान बड़े वाहनों को शहर के बाहर निर्धारित पार्किंग स्थलों पर खड़ा किया जाए। इसके साथ ही, वीआईपी और प्रोटोकॉल गाड़ियों को भी गोदौलिया और मैदागिन मार्ग पर प्रतिबंधित कर दिया गया है। केवल जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त विशिष्टजन ही इस मार्ग पर चारपहिया वाहन से जा सकते हैं। पुलिस कमिश्नर ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे श्रद्धालुओं से अच्छा बर्ताव करें और उनकी सुरक्षा में कोई भी कमी न हो। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि जिन इलाकों में भारी भीड़ है, वहां पुलिसकर्मी सक्रिय रहें और भीड़ को नियंत्रित करने के उपाय लागू करें।
होटल कारोबारी बोले- अब घाट के पास ठहरने को जगह नहीं
टूरिस्ट काशी आएं तो क्या करें? यह समझने के लिए भास्कर टीम ने होटल कारोबारी यश चतुवेर्दी से बात की। वह कहते हैं- गंगा किनारे अब ठहरने का कोई स्थान खाली नहीं है। घर-घर में पर्यटक ठहरे हुए हैं। 1000-2000 हजार रुपए वाले डबल बेड रूम का चार्ज 26-30 जनवरी के लिए 4000 से 5000 रुपए तक हो गया है। पर्यटक इससे ज्यादा भी देने को राजी हैं, मगर 30 जनवरी तक देने के लिए कोई कमरा नहीं बचा है। घाटों पर 1000-1500 वाले गेस्ट हाउस की बुकिंग 3 से 4 हजार रुपए में हुई है।
मेडिकल सुविधाएं और सुरक्षा व्यवस्थाएं
इस बीच, जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग को भी विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश दिया। गंगा घाटों और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास मेडिकल टीम को तैनात किया गया है ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति का तत्काल इलाज किया जा सके। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए जलकल, नगर निगम और अन्य विभागों को उनकी जिम्मेदारियां निभाने के लिए कहा गया है। अधिकारियों ने इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया कि श्रद्धालुओं को गंगा स्नान और दर्शन-पूजन में कोई असुविधा न हो और सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की कमी न हो। प्रशासनिक अफसरों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों की निगरानी व्यवस्था का जायजा लिया।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भारी भीड़
बाबा कालभैरव मंदिर में दर्शन के लिए भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। काशी के कोतवाल के दर्शन के लिए एक किमी लंबी लाइन लगी रही। गोदौलिया से लेकर विश्वनाथ धाम तक की पूरी क्षेत्र की व्यवस्था प्रभावित हो गई। श्रद्धालुओं ने "हर हर महादेव" के जयघोष के साथ कतारों में खड़े होकर मंदिर में दर्शन किया।
3 दिन में 35 लाख श्रद्धालु पहुंचे काशी
महाकुंभ आए भक्त काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने भी पहुंच रहे हैं। नतीजा 3 दिन में 35 लाख श्रद्धालु काशी पहुंच चुके हैं। यह भीड़ देव दीपावली के स्पेशल आयोजन में आए लोगों से 2 गुने से ज्यादा है। प्रशासनिक आकड़ों के अनुसार, पहली बार एक साथ इतने श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं। हालात ऐसे हैं कि गौदोलिया से लेकर मैदागिन तक सिर्फ लोग ही लोग दिख रहे हैं।
नाव, बजड़ा, क्रूज सब फुल
सोमवार को गंगा में चलने वाली सभी नावें फुल रहीं। क्रूज, बजड़ा और नाव मालिकों ने तय रेट से ज्यादा दाम भी वसूले हैं। पिछले सप्ताह नगर निगम ने रेट सूची तो चस्पा करा दी थी, लेकिन उसकी निगरानी नहीं हो रही है। ऐसे में बजड़ा और नाव वाले मनमानी कर रहे हैं। अस्सी, दशाश्वमेध घाट पर आरती के समय भी लोगों नाव पर बिठाकर आरती दिखाने के सौ से तीन सौ रुपये तक लिए गए।
लगातार 22 घंटे चले दर्शन
रात 2:15 बजे मंदिर फिर से खुला। 22 घंटे लगातार भक्तों ने दर्शन-पूजन किया। भोर में 2:45 बजे मंगला आरती शुरू हुई। मंगला आरती के बाद दर्शन पूजन का सिलसिला फिर शुरू हो गया। मंगलवार को भी देर रात तक दर्शन कराए जाएंगे। इससे पहले सोमवार को दोपहर में दशाश्वमेध घाट से गोदौलिया रूट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। ऐसा पहली बार हुआ।
देर तक जागे बाबा विश्वनाथ, रात एक बजे तक दर्शन
महाकुंभ के पलट प्रवाह ने इस साल श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में एक दिन में आने वाले श्रद्धालुओं के अभी तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। मंदिर प्रशासन के मुताबिक, सोमवार को 11 लाख से ज्यादा भक्तों ने बाबा दरबार में दर्शन किए हैं। भक्तों को दर्शन के लिए एक सेकंड से भी कम समय मिला। सामान्य दिनों में पहली बार रात एक बजे तक विश्वनाथ मंदिर को खोला गया। इससे पहले महाशिवरात्रि और सावन के महीने में देर रात तक मंदिर खुलता था।
गर्भगृह में सिर्फ 1-2 सेकेंड के दर्शन
मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को सिर्फ 1-2 सेकेंड ही दर्शन मिल पा रहे हैं। गोदौलिया और चौक एरिया के आसपास 2 से 3 किलोमीटर की लंबी लाइन लग रही है। सुबह मंगला आरती के बाद शुरू दर्शन-पूजन का सिलसिला रात 11 बजे तक चल रहा है। तमाम श्रद्धालु ऐसे रहे, जो 2 घंटे लाइन में लगने के बाद बाबा विश्वनाथ के झांकी दर्शन पा रहे हैं। गेट नंबर चार, गंगा द्वार और सरस्वती फाटक की ओर श्रद्धालुओं की भीड़ सबसे ज्यादा हो रही है।
1.5 किमी घूमकर फिर वहीं पहुंचे भक्त
भीड़ को बांटने के लिए बैरिकेडिंग लगाकर लाइनों को काफी घुमावदार बना दिया गया था। कई भक्त तो विश्वनाथ दरवार की लाइन समझकर काल भैरव की कतार में खड़े हो गए। दरअसल, भक्तों की लाइन मैदागिन से बुलानाला, ठठेरी बाजार, सोरा कुआं, चौखवा तक पहुंच गई थी। वहां से यू टर्न करके मैदागिन, फिर यू टर्न करके विश्वनाथ मंदिर की ओर लाइन मुड़ी। काल भैरव की लाइने विश्वेश्वरगंज मंडी से शुरू होकर काल भैरव मार्ग पर बढ़ी। इतने में भक्त 1.5 किमी तक चलकर फिर वहीं पहुंचे, जहां से चले। ऐसी ही कुल 4-4 लाइनें थीं।
शहर से लेकर हाईवे तक जाम
नेशनल हाईवे पर प्रयागराज से वाराणसी लेन पर मोहनसराय, अमरा-अखरी और डाफी के अलावा टेंगरा मोड़ से चंदौली के सिंधीताली तक वाहनों की कतार लगी रही। राजघाट पुल पर रास्ता बंद दिया गया। इसके साथ ही शहर के सड़कों पर वाहनों की कतार लगी रही।