मां विशालाक्षी के दर्शन कर काशी यात्रा का समापन करते है तमिल यात्री
वाराणसी (रणभेरी): आज से काशी-तमिल संगमम् की शुरूआत हो गई। काशी में दक्षिण भारतीयों की आस्था का एक बड़ा केंद्र बाबा विश्वनाथ के साथ ही देवी विशालाक्षी का मंदिर है। दक्षिण भारतीय श्रद्धालुओं के अनुसार कांची की कामाक्षी, मदुरै की मीनाक्षी और काशी की विशालाक्षी सगी बहनें हैं। उनका मानना है कि उनकी धर्मयात्रा तभी पूरी होती है जब वह काशी आकर बाबा विश्वनाथ के साथ ही देवी विशालाक्षी का दर्शन-पूजन कर लेते हैं। बाबा विश्वनाथ के धाम से चंद कदमों की दूरी पर देवी विशालाक्षी का मंदिर है।
महंत पंडित राजनाथ तिवारी के अनुसार, पौराणिक मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ रोजाना रात्रि विश्राम मां विशालाक्षी के मंदिर में करते हैं। दक्षिण भारतीय शैली में स्थापित मां विशालाक्षी का मंदिर 5 हजार साल पुराना है। मौजूदा समय में जो मंदिर है उसका जीर्णोद्धार 7 फरवरी 1908 को किया गया था। पुराणों के अनुसार जहां-जहां देवी सती के अंग के टुकड़े,वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आए। देवी भागवत में कहा गया है कि ''वाराणस्यां विशालाक्षी गौरीमुख निवासिनी... यानी वाराणसी में विशालाक्षी देवी गोरीमुख में निवास करती हैं। अविमुक्ते विशालाक्षी महाभागा महालये... यानी जहां सती का मुख गिरा था।