यकीनन गंदा है... पर उनका तो धंधा है
- शहर के तमाम इलाकों में संचालित हो रहा देह व्यापार का धंधा, बेहिसाब पैसा होने के कारण जुड़े हैं होटल और लॉज भी
- प्रशासन की लापरवाही से हर कोई खोल रहा है होटल, प्रशासन जांच करे तो सैकड़ों होटल पाए जाएंगे फर्जी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। धर्म नगरी काशी में हर रोज हजारों की संख्या में दर्शन-पूजन करने, गंगा घाट और आरती देखने पर्यटक आते हैं। जिले में होटल, गेस्ट हाउस, पेईंग गेस्ट हाउस और मठ-मंदिर में भारी संख्या में पर्यटक व श्रद्धालु ठहरते हैं लेकिन कुछ लोगों ने इस कारोबार को अवैध तरीके से कमाई का जरिया बना लिया है। वहां अनैतिक और गलत कार्य होते हैं। वहीं, कुछ लोग बिना सराय एक्ट में पंजीयन कराए होटल और गेस्ट हाउस संचालित कर रहे हैं। जांच में नाम उजागर होने के बाद भी नहीं होती है कोई कार्रवाई। लाकडाउन खुलने के साथ उनकी फिर से चांदी हो गई। जिम्मेदार जिला प्रशासन, पर्यटन और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है। अपर जिलाधिकारी (प्रोटोकाल) के यहां होटल और गेस्टहाउस का सराय एक्ट में पंजीयन होता है। पंजीयन से पहले अपर जिलाधिकारी विभिन्न विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) मांगते हैं। सभी विभागों की एनओसी आने पर उनका सराय एक्ट में पंजीयन होता है। कहने को जिले में करीब 400 होटल और गेस्ट हाउस सराय एक्ट में पंजीकृत है। इसके अलावा धर्मशाला, मठ-मंदिर मिलाकर कुल संख्या 992 है लेकिन जिले में उससे कहीं ज्यादा संचालित हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसके बारे में इन अफसरों को जानकारी नहीं है। वह जानने के बाद भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं या कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा नहीं पाते हैं, क्योंकि इस कारोबार से जुड़े कुछ लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
ऐसे होता है खेल
होटल और गेस्ट हाउस के लिए विकास प्राधिकरण से व्यावसायिक भवन का नक्शा पास होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है। ज्यादातर होटल और गेस्ट हाउस आवासीय स्वीकृत मानचित्र में संचालित हो रहे हैं। एडीएम के यहां से एनओसी मांगी जाती है तो वीडीए के जोनल और अवर अभियंता यह नहीं लिखते कि मानचित्र आवासीय या व्यावसायिक स्वीकृत है। वे सिर्फ यह लिखते हैं कि वीडीए से मानचित्र स्वीकृत है।
इनसे लेनी होती है एनओसी
तहसील, नगर निगम, जलकल, पर्यटन, लोकनिर्माण, एलआइयू, पुलिस, बिजली सुरक्षा और विकास प्राधिकरण।
रुपये के बल पर लेते हैं एनओसी
अपर जिलाधिकारी एनओसी के लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजते हैं। वहां से लेना संचालक हो आसान नहीं है। हर विभाग में एनओसी का रेट फिक्स है। जब तक पैसा नहीं देंगे एनओसी नहीं मिलेगी। कलेक्ट्रेट परिसर में कुछ लोग होटल और गेस्ट हाउस का सराय एक्ट में पंजीयन कराने का ठेका भी लेते हैं। इसका दो से ढाई लाख रुपये रेट है।
वीडीए भी नहीं करता कार्रवाई
आपसी विवाद ही सही लेकिन वीडीए के फर्जी एनओसी की शिकायतें अक्सर आती हैं। जोनल अधिकारी और अवर अभियंता कुछ भी लिखने को तैयार नहीं होते हैं। शिकायतकर्ता के ज्यादा दबाव बनाने पर संबंधित के मकान का ब्योरा लेने के साथ उसे उल्टा ही नोटिस जारी कर देते हैं जिससे कोई विरोध नहीं कर सके। होटल, गेस्ट हाउस के लाइसेंस में देखा जाए तो ज्यादातर वीडीए की एनओसी फर्जी लगी होगी।
लंका-असि क्षेत्र के नगवां में धड़ल्ले से संचालित हो रहे अवैध पेइंग गेस्ट हाउस
बिना आईडी के मिलते है रूम, एक्स्ट्रा रुपए दीजिए, बिना किचकिच के गेस्ट हाउसो में रूम लीजिए
धर्म नगरी काशी के लंका-अस्सी क्षेत्र के नगवां के होटलों और गेस्ट हाउस में अवैध धंधा पुलिस के नाक के नीचे खूब फल-फूल रहा है। गेस्ट हाउस कारोबारियों को पुलिस का कोई खौफ नहीं है क्यूंकि उनका कहना है की पुलिस से उसकी सेटिंग है। यहां धड़ल्ले से पेइंग गेस्ट हाउस संचालित हो रहे है। नगवां क्षेत्र में अवैध कामों के लिए होटलों का रेट फिक्स है। यहां बिना आईडी के रूम मिलता है। एक्स्ट्रा रुपए दीजिए और बिना आईडी के होटलों व गेस्ट हाउसो में रूम लीजिए। इन होटलों में घण्टे के हिसाब से कमरा मिलता है। छोटे होटल व गेस्ट हाउस का 1000 रुपए व बड़े होटल व गेस्ट हाउस का 2000 रुपए तय है। मोटी रकम की कमाई के लिए होटल संचालक नियमो को ताख पर रखते हैं। मोटी कमाई की लालच में बिना पहचान पत्र लिए ही कमरा दे देते हैं। इन होटल संचालकों को सुरक्षा का भी ख्याल नहीं है। होटल के मैनेजर इतने मनबढ़ है की इनको पुलिस का भी भय नहीं है क्यूंकि इनको पुलिस की मौन सहमति मिली होती है।
दशाश्वमेध के पॉश इलाके में धमकी प्रशासनिक टीम, अवैध होटलों की हुई जांच, कइयों को दी चेतावनी
शहर में अवैध होटलों व गेस्ट हाउस को लेकर प्रशासनिक अधिकारी सख्त हैं। इसी बीच सोमवार को प्रशासनिक टीम गोदौलिया, दशाश्वमेध इलाके में धमकी। जहां गलियों में चल रहे कई गेस्ट हाउस, पेइंग हाउस आदि की जांच पड़ताल की गई। प्रशासनिक टीम गोदौलिया-दशाश्वमेध इलाके में जबरदस्त तरीके से चेकिंग अभियान चलाया। जिसमें बिना लाइसेंस व बिना विकास प्राधिकरण की अनुमति के चल रहे कई होटलों के खिलाफ कार्यवाही की। अधिकारियों ने होटलों में पहुंच कर उनके कमरों आदि की जांच पड़ताल की। साथ ही उनके रजिस्टर आदि की जांच की गई।
वही पेइंग गेस्ट हाउस चलाने वालों का आरोप है कि प्रशासनिक कागजी कार्यवाही में इतना समय लगता है कि एक हस्ताक्षर कराने में भी महीनों लग जाते हैं। हमलोग नियम के आधार पर एक दो कमरों का पेइंग गेस्ट हाउस चला रहे हैं। ऐसे में हमलोगों का जीविकापार्जन करना मुश्किल हो गया है। इस छापेमारी में प्रशासनिक अधिकारियों में फायर ब्रिगेड, एडीएम प्रोटोकॉल, पर्यटन विभाग, उप जिलाधिकारी, विकास प्राधिकरण जोनल अधिकारी, नगर निगम के अधिकारी ,फायर विभाग के अधिकारी, पुलिस विभाग की टीम एवं अन्य टीम उपस्थित रही।