ऑफलाइन क्लास से हैं विधार्थी खफा
वाराणसी (रणभेरी): कोरोना महामारी चलते विश्वविद्यालय पूरी तरह से बंद चल रहे थे। जिसको लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय को पूरी तरह खुलवाने और ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करवाने के लिए सेंट्रल ऑफिस पर धरना-प्रदर्शन किया था। लेकिन अब विश्वविद्यालय खुल जाने पर इसके बाद छात्रों का एक धड़ा इसके विरोध में उतर आया है। बीएचयू स्थित सेंट्रल ऑफिस के बाहर धरना दे रहे छात्रों का कहना है कि कैंपस फिजिकल रूप से भले ही खुल गया हो, मगर ज्यादातर छात्र अभी दूर-दराज स्थित अपने घर से यहां नहीं आ सके हैं। ऐसे में बाहर जो छात्र हैं वे परीक्षाएं कैसे देंगे। वहीं क्लासेज अब ऑफलाइन ही चल रहीं हैं, जिसे हाइब्रिड मोड यानि कि वर्चुअल और फिजिकल दोनों मोड में चलाई जाए।
बीते 90 घंटे से लगातार चल रहे आंदोलन ने अब बड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।कुलपति आवास के सामने दोनों ओर की सड़कों पर आवागमन रोक दिया गया है। वीसी आवास की ओर अब आ-जा नहीं सकते हैं। बड़ी संख्या में छात्र और छात्राएं आवास के गेट के सामने बैठ कर जोर-शोर से हाइब्रिड मोड में क्लास चलाने की मांग कर रहे हैं। रास्ता बंद हो जाने से अब दूसरे छात्रों, प्रोफेसरों, अध्यापकों, कर्मचारियों और डॉक्टरों को घूम कर आगे की ओर जाना पड़ रहा है। छात्र धरना दे रहे हैं और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारी उन्हें समझाकर हटाने में लगे है। छात्रों का कहना है कि परीक्षा से तुरंत पहले आॅफलाइन क्लास की अनिवार्यता उन्हें पसंद नहीं आ रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्दबाजी में गलत फैसला ले चुका है। हम चाहते हैं हाइब्रिड मोड में क्लासेज चलें और परीक्षा ओपन बुक एग्जाम की प्रणाली पर ली जाए। इससे छात्रों को हजारों किलामीटर दूर चलकर बनारस नहीं आना होगा।
छात्रों का कहना है कि यह समय पासआउट होकर करियर बनाने की है। कितने छात्र तो वर्क फ्रॉम होम के तहत छोटा-मोटा काम भी कर ले रहैं। वहीं कई छात्रों ने कंपनियां ज्वाइन भी कर लीं हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय बुलाकर उनका एग्जाम कराना कहां तक न्यायोचित है। किराए का कमरा और हॉस्टल आवंटन की प्रकिया से ही जूझते रह जाएंगे। यह सिस्टम अव्यवहारिक है, जिसे तत्काल बदला जाना चाहिए। छात्रों ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय अपना फैसला नहीं बदलता है तब तक वे आंदोलन पर अड़े रहेंगे। छात्रों ने कहा कि अगर यही आॅफलाइन क्लासेज दो महीना पहले खुलतीं तो हम सभी उसका स्वागत करतें। यहां तक हम लोगों ने खुद की फिजिकल तौर पर कक्षाएं चलाने की बात कही थी। मगर जब एग्जाम नजदीक है और यहां से जाने का वक्त आया तो विश्वविद्यालय का महकमा सबको कैंपस बुलाकर एग्जाम लेने पर तुला है। यह फैसला तो कहीं से भी उचित नहीं है। हम इसी बात का विरोध कर रहे हैं।