काशी की सांस्कृतिक विरासत को संजो रहा ‘संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल’

काशी की सांस्कृतिक विरासत को संजो रहा ‘संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल’
काशी की सांस्कृतिक विरासत को संजो रहा ‘संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल’

वाराणसी (रणभेरी)। विगत 4 दशक से भी अधिक समय से काशी की बौद्धिक, आध्यात्मिक विरासत को उसके सनातन सांस्कृतिक स्वरूप को सहेजता वाराणसी का अग्रणी शिक्षण संस्थान संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल नित नए प्रतिमान गढ़ रहा है। भारतीयता को आत्मसात करते हुए यह विद्यालय परिसर ‘वंदे मातरम्’ की अभिनव अभिवादन शैली एवं गीता से उद्धत प्रार्थना ‘त्वमादि देव: पुरुष: पुराण:’ के स्वर से पूरा परिसर गूंजायमान होता विशिष्ट जान पड़ता है, जो अपने आप में अद्भुत और अलौकिक ऊर्जा का संचार करता है। 
‘संस्कार के शिकार’ के ध्येय वाक्य को जीवंत करता विद्यालय शिक्षा के विविध आयामों में राष्ट्रीय स्तर तक अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कर रहा है। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि सीबीएसई हेरिटेज इंडिया क्विज जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल कोईराजपुर के विद्यार्थियों ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सन् 2022 में नेशनल साइंस सेमिनार में अपने समानांतर सभी विद्यालयों को पीछे करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित जे. ई. ई. की परीक्षा में 30 से भी अधिक विद्यार्थियों ने 95% तक अंक प्राप्त किया, जो शिक्षकों के परिश्रम एवं उनके कुशल निर्देशन का परिणाम है। नई शिक्षा नीति के अनुपालन के क्रम में यह विद्यालय पुस्तकीय पाठ्यक्रम के अलावा प्रत्येक विद्यार्थी की अंतर्निहित योग्यता को पहचान देने, सवारने उभरने और आगे बढ़ने का भी अवसर देता है। बच्चों की बहुमुखी प्रतिभा के विस्तार के लिए कक्षा 11 में वैकल्पिक विषयों के अंतर्गत अनेक विषयों को सम्मिलित किया गया है, जो उनके व्यक्तित्व के सर्वाधिक विकास हेतु बुद्धिमता के विभिन्न आयामों को दशार्ता है एवं उनके अभीष्टम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उन्हें समर्थ बनता है। विद्यार्थियों के बीच विभिन्न क्लब एवं सोसाइटी निरंतर उन्हें आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। विभिन्न सह-शैक्षिक गतिविधियों के माध्यम से विद्यालय न सिर्फ विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास को बढ़ावा दे रहा है, अपितु उन्हें बहुआयामी जीवन कौशल भी सिखा रहा है, जो भविष्य में उनके लिए उपयोगी 
सिद्ध होगा। 

विभिन्न विधाओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे है अतुलानंद के बच्चे
संत अतुलानन्द कॉन्वेंट स्कूल बच्चों को संगीत के क्षेत्र में भी अपना करियर बनाने का मौका प्रदान   कर रहा है। कक्षा 12 की छात्रा अस्तुति कहती है कि संगीत हमारे मन को शांत करती है, जिससे शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे विद्यालय में संगीत का भी पठन - पाठन कराया जाता है। विद्यालय ने हमें संगीत के क्षेत्र में नई क्रिएटिविटी करने का मौका प्रदान किया।

 सर्व विद्या की राजधानी काशी में यह कैंपस अपने वृहद छात्र समुदाय एवं विशिष्ट शैक्षिक वातावरण मैं अपना प्रथम स्थान प्राप्त किया। यह पूरा कैंपस आध्याधुनिक पाठ्य उपकरणों से लैस है, वहीं बच्चे नित-नैतिक शिक्षा के साथ-साथ प्राकृतिक एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी अपना नाम रोशन कर रहे हैं।  शैक्षिक परिवेश के साथ-साथ विद्यालय सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है  एवं इको फ्रेंडली वातावरण के सृजन व  पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए  विद्यार्थी व शिक्षक स्वयं संदर्भित क्रियाकलाप से जुड़कर कई मायनों में जल संरक्षण एवं प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।  प्रकृति के सुरम्य वातावरण से घिरे परिसर में पठन-पाठन  और अधिगम को और सुगम एवं प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के फूलों , वनस्पतियों एवं औषधीय पौधों का विद्यार्थी न सिर्फ अवलोकन करते हैं बल्कि उसकी संरचना से जुड़े सभी मूलभूत तथ्यों का गहन निरीक्षण अपने कुशल शिक्षक/शिक्षिकाओं के साथ अत्यंत गंभीरता के साथ  करते हैं। 

शिक्षक सृष्टि का निर्माण तो नहीं कर सकता परंतु दृष्टि का निर्माण जरूर करता है, इसी कथन को चरितार्थ करता ‘संत अतुलानंद कॉन्वेंट स्कूल’ शिक्षा के माध्यम से सर्वांगीण विकास को नित नए आकर देने में अपनी सक्रियता निश्चित कर चुका है। विभिन्न प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों में विद्यालय की अनुशासनीयता व सहभागिता को उच्च प्रशासनिक अधिकारियों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा समय-समय पर सराहा गया है। उल्लेखनीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं ज्ञानपरक प्रतियोगिताओं जैसे काशी तमिल संगमम, जाणता राजा महानाट्य मंचन, युवा सांसद आदि के माध्यम से विद्यार्थी राष्ट्रीय एवं वैश्विक पटल पर सभ्य समाज की स्थापना हेतु स्वयं को तैयार कर रहे हैं। हमारा पूर्व से ही  यह उद्देश्य रहा है कि विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान के साथ - साथ प्रैक्टिकल ज्ञान में भी अव्वल किया जा सके।  -राहुल सिंह (संस्थापक)

शिक्षा का उद्देश्य व्यापक, समग्र एवं बहुआयामी होना चाहिए। विगत कई वर्षों से शिक्षा का जो प्रारूप रहा है, वह विद्यार्थियों के लिए बोझ सा बनता दिखाई दे रहा है। परम्परागत शिक्षा के बोझिल स्वरूप को वर्तमान समय में बदलने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षा को कौशल से जोड़कर उसे और रुचिकर , ग्राह्य और प्रासंगिक बनाने की जरूरत है। हमारा हमेशा यह प्रयास रहता कि व्यक्तिगत स्तर पर प्रत्येक विद्यार्थी  की विलक्षण प्रतिभा की पहचान हो, उसमें निहित कौशल के आधार पर हमारे विद्यार्थी सफलता के उच्चतम शिखर को प्राप्त करें । - डॉ. वंदना सिंह (संस्था निर्देशिका)

विद्यालय में हमारा प्रयास होता है कि विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ सह शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से अपने आप को ज्यादा सक्षम और कुशल बनाएं, जिससे उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा । वर्तमान परिवेश में अधिगम के नवोन्मेषी आयामों से जुड़ने की आवश्यकता है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर हम एक सक्षम युवा बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे जिससे हमारी भावी पीढ़ी विकसित भारत के संकल्प को पूरा करेगी। - नीलम सिंह (प्रधानाचार्या)