सीएम योगी की निति को सद्दाम ने दे दी मात !

- मानचित्र स्वीकृत का फर्जी बोर्ड लगाकर बना लिया 16 अवैध फ्लैट
- खुले दिल से लगाता है सद्दाम, वीडीए के अधिकारियों का दाम !
- बेच कर अपना ईमान, वीडीए वीसी ने बनवा दिया सद्दाम का आलिशान मकान !
- सीएम योगी के खासमखास हैं वीडीए बोर्ड के सदस्य, फिर भी चरम पर भ्रष्टाचार का नहीं हो रहा पर्दाफ़ाश !
अजीत सिंह
वाराणसी (रणभेरी): मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां प्रदेश भर में कानून का राज स्थापित करने की बात करते हैं, वहीं बनारस में ‘सद्दाम’ नामक व्यक्ति ने प्रशासन और कानून दोनों को अपनी जूती बनाकर रख लिया। वीडीए (वाराणसी विकास प्राधिकरण) से मिलीभगत और उच्च रसूख के दम पर सद्दाम ने न सिर्फ मानचित्र स्वीकृति का फर्जी बोर्ड लगाकर अवैध निर्माण खड़ा कर लिया, बल्कि हाईकोर्ट के आदेशों को भी सरेआम ठेंगा दिखा दिया। इस धूर्त व्यक्ति द्वारा बृज इनक्लेव में बिल्डिंग के बाहर मानचित्र स्वीकृत का फर्जी बोर्ड टांगा गया है ताकि प्रशासन के अन्य विभागों की आंखों में धूल झोंकी जा सके। हालांकि इस निर्माण का विरोध होने के बाद वीडीए अधिकारियों द्वारा सद्दाम को कई बार नोटिस भेजने और सीलिंग की कार्यवाही करने की बात कही गई, पर वास्तविकता यह है कि यह सब केवल दिखावा है।
जिस इमारत को सील किया गया, वे अगले दिन फिर से निर्माण की स्थिति में दिखाई दीं। सूत्रों के मुताबिक, निर्माण के प्रारम्भ में वीडीए के कुछ अफसरों ने मोटी रकम लेकर अपनी आंखें मूंद ली थीं। इसके बाद विरोध होने पर जब इस निर्माणाधीन भवन को सील किया गया तब इस डील की राशि बदल कर बढ़ा दी गयी लेकिन निर्माण नहीं रुका। वीडीए की इन्हीं कारगुज़ारियों से यह तो स्पष्ट होता है कि इस विभाग के अफसर मुख्यमंत्री योगी की नीतियों को मात देने में पूरी भूमिका निभा रहे हैं।
बृज इंक्लेव कॉलोनी में खड़ी कर दी बहुमंजिला इमारत
बृज इंक्लेव कॉलोनी में सद्दाम ने फर्जी मानचित्र के आधार पर बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक यह स्पष्ट हुआ है कि जिन स्वीकृतियों का हवाला दिया गया है, वे या तो कूटरचित हैं या काल्पनिक। इस निर्माण के पीछे भी वही रसूख, वही अफसरों की खामोशी और वही भ्रष्ट तंत्र काम कर रहा है। हाईकोर्ट ने एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माण पर रोक लगाने का सख्त आदेश दिया था, फिर भी सद्दाम के दुर्गाकुंड के नवाबगंज के निर्माण पर कोई असर नहीं पड़ा। इस अवहेलना के पीछे कौन है ? किसने दी मौन स्वीकृति ? क्या वीसी और जोनल ऑफिसर की चुप्पी में ही सब कुछ दफन है ?
दस्तावेज़ों का छलावा और अफसरशाही की चुप्पी
सुंदरपुर क्षेत्र के बृज इंक्लेव कॉलोनी का है जहां सद्दाम हुसैन नाम के व्यक्ति ने नियम कानून को ताख पर रखकर अवैध निर्माण कराया है। सूत्रों की माने तो जिस स्थान पर इस भवन का निर्माण कराया गया है उसका बहुतायत हिस्सा कब्रिस्तान का है। सूत्र यह भी बताते हैं कि अशफाक नगर निवासी सद्दाम हुसैन एवं अल्ताफ अंसारी बड़े शातिर किस्म के व्यक्ति है जिन्होंने पहले तो बिल्डर के जरिये अधिकारियों को मिलाकर उस जमीन के एक बिस्वा क्षेत्र के लिए भवन का नक्शा पास करा लिया फिर उसी नक्शे पर बिना मानचित्र स्वीकृत के तीन मंजिल की इमारत खड़ी कर दी। इतना ही नहीं, भवन पर वाकायदा वीडीए द्वारा मानवित्र स्वीकृत का बोर्ड लटकाकर सारे नियम-कानूनों को ताख पर रखते हुए लगभग 5 बिस्वा में अवैध रूप से 4 मंजिला व्यवसायिक भवन का निर्माण करवा लिया। सद्दाम द्वारा प्रस्तुत किए गए नक्शे और बिल्डिंग प्लान की जांच पड़ताल में साफ हो गया कि दस्तावेज कूटरचित तरीके से तैयार किया गया है। वीडीए सूत्रों की माने तो सद्दाम और उसके साथियों ने अंदरखाने ऐसे अफसरों से सांठगांठ की जो या तो लंबे समय से यहां जमे हुए हैं या फिर भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त हैं। नक्शा पास नहीं होता, लेकिन निर्माण शुरू हो जाता है। फिर दो साल बाद दस्तावेज वैध बन जाते हैं। यह सारा खेल वीडीए वीसी के संरक्षण में रसूख के बलबूते की जाती है और सिस्टम की बली चढ़ाई जाती है।
दिलचस्प है वीडीए का सीलिंग और नोटिस का नाटकीय खेल
वीडीए के ज़ोनल ऑफिस से लेकर जेई तक, सबने समय-समय पर इन अवैध निर्माणों पर कड़ी कार्यवाही के दिखावे किए। नोटिस जारी हुए, अखबारों में खबरें छपीं, और कैमरे के सामने सीलिंग की रस्म निभाई गई। मगर हकीकत? अगले ही दिन निर्माण दुगुनी तेजी से शुरू हो जाता था। स्थानीय लोगों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि जब सीलिंग हुई थी तो हमने राहत की सांस ली थी कि अब कानून का राज लौटेगा। मगर सद्दाम के मजदूर रात में दोबारा ईंटें ढोने लगे। सबने देखा, पर कोई कुछ नहीं बोला और आज आलिशान भवन तन कर सिस्टम को ठेंगा दिखा रही है। सूत्रों की मानें तो वीडीए ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार और अधिशासी अभियंता की मिलीभगत से सीलिंग और ध्वस्तीकरण के नोटिस का दिखावा किया गया और पीछे से मोटी रकम लेकर निर्माण जारी रखने की मौन स्वीकृति दी गई।
सद्दाम का रसूख और खरीद-फरोख्त का खेल
सद्दाम को कोई साधारण शख्स नहीं। उसके पीछे राजनैतिक पहुंच, पुलिसिया संरक्षण और अफसरशाही की नीलामी है। सूत्र बताते हैं कि हर निर्माण की शुरुआत से पहले ही वीडीए में सेटिंग होती है, फर्जी नक्शा पास होने की औपचारिकता बाद में निभाई जाती है। यही वजह है कि निर्माण बीच में रोके जाने के बजाय तेज़ी से पूरे होते हैं।
ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार चुप्पी या सांठगांठ?
संजीव कुमार, जो कि वीडीए के जोन-4 के ज़ोनल अधिकारी हैं, उनके कार्यकाल में सद्दाम के दर्जनों निर्माण कार्य हुए। हर बार जब आपके अपने अखबार गूंज उठी रणभेरी ने सद्दाम के अवैध निर्माण का पर्दाफाश किया तो संजीव कुमार ने या तो जांच जारी है कहकर टाल दिया या नोटिस भेजने का ढोंग रचाया। लेकिन कभी भी किसी इमारत को वास्तव में गिराया नहीं गया। वीडीए सूत्रों ने बताया कि जोनल अफसर संजीव कुमार और वीसी पुलकित गर्ग एक ही चने की दो दाल हैं। बताया जाता है कि संजीव कुमार वीसी की मर्जी के बिना न एक कदम आगे चलते हैं और न ही एक कदम पीछे होते हैं। अवैध निर्माण के सभी बड़े मामलों में कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित रहती है।
एक शहर की आत्मा को बेचने की कहानी
वाराणसी को प्रधानमंत्री मोदी ने एक भविष्य का स्मार्ट सिटी बताया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस की बात कही थी। लेकिन जमीनी हकीकत में सद्दाम,अल्ताफ और रिज़वान जैसे बिल्डरों ने कानून को अपने पैर की जूती पर रख लिया है। अधिकारियों के ईमान को खुलेआम खरीदना और मनमाफिक उन्हें अपने आंगन में नचाना इनका पेशा बन चुका है। जानकार बताते हैं कि यह केवल एक अवैध निर्माण का मामला नहीं है, यह शासन, प्रशासन और न्याय व्यवस्था की सामूहिक विफलता है। यह कहानी किसी एक सद्दाम की नहीं है। यह कहानी हर उस सिस्टम की है जो चुप है, जो बिक चुका है, और जो आम जनता के सामने खुद को असहाय दिखाता है। जब तक ऐसे बिल्डर माफिया और भ्रष्ट अफसर के गठजोड़ को खत्म नहीं किया जाएगा, तब तक वाराणसी जैसे शहरों की आत्मा सिर्फ इमारतों के मलबे में दबी रहेगी। सवाल अब भी वही है... क्या सीएम योगी की निति को सद्दाम ने दे दी मात ? क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने ही आदेशों की रक्षा कर पाएंगे ? या सद्दाम की सल्तनत यूं ही चलती रहेगी ?
पार्ट- 27
रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए.....